Nabanna March in Kolkata: कोलकाता के हावड़ा इलाके में मंगलवार को आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर महिला डॉक्टर के साथ हुई दरिंदगी की घटना के खिलाफ प्रदर्शनकारियों ने राज्य सचिवालय, नबन्ना की ओर मार्च किया। पश्चिम बंगाल छात्र समाज के बैनर तले आयोजित इस मार्च ने राज्य की प्रशासनिक व्यवस्था को हिला कर रख दिया है। प्रदर्शनकारी ममता बनर्जी सरकार से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, जबकि राज्य प्रशासन ने प्रदर्शन (Nabanna Protest) को रोकने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं।
पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक संघर्ष
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस द्वारा हावड़ा के संतरागाछी में लगाए गए बैरिकेड्स को तोड़ने की कोशिश की। पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पानी की बौछारें और आंसू गैस के गोले दागे। प्रदर्शनकारी फिर भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं और लगातार आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे हैं। सड़कों पर भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है और पुलिस लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने का प्रयास कर रही है।
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पुलिस ने किया सुरक्षा के कड़े इंतजाम
राज्य सचिवालय के आसपास सुरक्षा को लेकर मंगलवार को 6000 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। आइजी और डीआइजी रैंक के 21 पुलिस अधिकारियों को विशेष सुरक्षा जिम्मेदारी सौंपी गई है। एसपी और डीएसपी रैंक के 13 पुलिस अधिकारियों के अलावा अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रैंक के 15 अधिकारी भी तैनात किए गए हैं। हावड़ा ब्रिज को सील कर दिया गया है और कोई भी वाहन वहां से गुजरने की अनुमति नहीं है।
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राजनीतिक साजिश का लगाया आरोप
तृणमूल कांग्रेस के नेता कुणाल घोष ने आरोप लगाया है कि इस प्रदर्शन के पीछे भाजपा की साजिश है, जो खून की राजनीति कर रही है। उन्होंने दावा किया कि माकपा और कांग्रेस भी भाजपा की मदद कर रही है। कुणाल घोष ने इस संबंध में दो वीडियो भी जारी किए हैं, जिनमें कुछ लोग राज्य सचिवालय अभियान के दौरान हिंसा फैलाने की बात कर रहे हैं।
केंद्र और राज्य सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोप
केंद्रीय राज्य मंत्री और बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि ममता सरकार छात्रों के आंदोलन से डर गई है और इसे दबाने की कोशिश कर रही है। सुकांत ने चेतावनी दी है कि अगर आंदोलन के दौरान कोई बड़ी घटना होती है तो राज्य सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया जाएगा। दूसरी ओर, बंगाल पुलिस के अतिरिक्त महानिदेशक मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि राज्य सचिवालय क्षेत्र को संरक्षित किया गया है और किसी भी संगठन ने विरोध जताने के लिए कोई आवेदन नहीं किया है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदर्शन के दौरान बच्चों और महिलाओं का इस्तेमाल कर अशांति फैलाने की आशंका है।
परीक्षा पर असर डालने की आशंका
मनोज कुमार वर्मा ने यह भी बताया कि मंगलवार को यूजीसी नेट की परीक्षा है और इस परीक्षा में बाधा डालने की कोशिश की जा सकती है। पुलिस का मुख्य प्रयास होगा कि आम लोगों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े और शांति बनाए रखी जाए। कोलकाता में चल रहे इन प्रदर्शनों ने एक बार फिर से पश्चिम बंगाल की राजनीति में तीव्रता ला दी है। प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच संघर्ष ने यह साफ कर दिया है कि इस मुद्दे पर राजनीतिक और सामाजिक ध्रुवीकरण चरम पर है।
पश्चिम बंगाल की सरकार और विपक्ष के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। इस बीच, राज्य की सुरक्षा व्यवस्था और प्रशासन की चुनौतियाँ भी बढ़ गई हैं। अब देखना यह है कि इस विवाद का समाधान किस तरह निकलता है और क्या यह आंदोलन राज्य की राजनीति में कोई बड़ा बदलाव ला पाएगा।