Myntra ED Case: प्रसिद्ध फैशन ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म Myntra डिज़ाइन्स प्राइवेट लिमिटेड अब प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के रडार पर आ गया है। ईडी के बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने मिंत्रा और उससे जुड़ी कंपनियों पर 1564 करोड़ रुपये के विदेशी निवेश उल्लंघन का मामला दर्ज किया है। आरोप है कि मिंत्रा ने मल्टी-ब्रांड रिटेल सेक्टर में थोक कारोबार (होलसेल कैश एंड कैरी) की आड़ में ऐसे विदेशी निवेश नियमों का उल्लंघन किया है जिनकी अनुमति भारत में नहीं है।
ईडी का आधिकारिक बयान
ईडी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मिंत्रा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नियमों की अवहेलना कर रही थी। कंपनी पर मल्टी-ब्रांड रिटेल गतिविधियों को ऐसे रूप में संचालित करने का आरोप है जो एफडीआई नीति के दायरे से बाहर है। इस मामले में मिंत्रा डिज़ाइन्स के साथ-साथ कुछ अन्य संबंधित संस्थाओं और कंपनी के निदेशकों के नाम भी जांच के दायरे में लाए गए हैं।
गौरतलब है कि मिंत्रा की स्थापना 2007-08 में मुकेश बंसल, आशुतोष लवानिया और विनीत सक्सेना ने मिलकर की थी। शुरुआत में एक स्टार्टअप के तौर पर उभरी मिंत्रा ने समय के साथ भारत के अग्रणी फैशन ई-कॉमर्स ब्रांड के रूप में खुद को स्थापित किया। अब कंपनी का विस्तार सिंगापुर जैसे अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक हो चुका है। Myntra की योजना आने वाले वर्षों में वैश्विक स्तर पर और तेज़ी से विस्तार करने की है।
ई-कॉमर्स कंपनियों पर बढ़ती निगरानी
हाल के महीनों में केंद्र सरकार और जांच एजेंसियों ने विदेशी निवेश से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों पर सख्ती बढ़ाई है। विशेष रूप से उन कंपनियों की गतिविधियाँ संदेह के घेरे में हैं जो मल्टी-ब्रांड रिटेल के नियमों को दरकिनार कर काम कर रही हैं। मिंत्रा जैसे बड़े प्लेटफॉर्म के खिलाफ एफडीआई नीति के उल्लंघन का मामला इस बात की पुष्टि करता है कि सरकार अब किसी भी स्तर की अनियमितता को हल्के में नहीं ले रही।
जांच और कार्रवाई की दिशा तय करेगी ईडी
ईडी अब मिंत्रा से जुड़े व्यापारिक दस्तावेज, निवेश अनुबंध, आय-व्यय रिपोर्ट समेत अन्य वित्तीय विवरणों की गहन जांच करेगी। यदि उल्लंघन प्रमाणित होता है, तो कंपनी पर भारी जुर्माना, लाइसेंस रद्द करने जैसी कार्रवाई भी हो सकती है। हालांकि मिंत्रा की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। ईडी की यह कार्रवाई न केवल मिंत्रा के लिए बड़ी चुनौती बन सकती है, बल्कि यह ई-कॉमर्स सेक्टर में पारदर्शिता और नियम पालन की दिशा में एक सख्त संदेश भी है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि मिंत्रा इस कानूनी संकट से कैसे निपटती है और क्या यह मामला भारत में एफडीआई नीतियों के पुनर्विचार की ज़मीन तैयार करेगा।
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