MP हाईकोर्ट का दुष्कर्म मामले में बड़ा फैसला…प्रेमी के खिलाफ दर्ज रेप केस को किया निरस्त

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
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MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महिला द्वारा उसके प्रेमी के खिलाफ दर्ज कराए गए केस को रद्द कर हैरान कर देने वाला फैसला सुनाया है.हाईकोर्ट की पीठ ने इस केस को ये कहते हुए रद्द कर दिया कि,दोनों अपनी मर्जी से 10 साल से अधिक समय से रिलेशन में थे और दोनों वयस्क हैं.कोर्ट का कहना है कि,दोनों ने आपसी सहमति से 10 सालों से अधिक समय से शारीरिक संबंध बनाए लेकिन युवक द्वारा महिला से शादी करने को इनकार कर दिया गया इसका मतलब ये नहीं कि,याचिकाकर्ता पुरुष के खिलाफ रेप का मामला दर्ज किया जाए।

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युवक के खिलाफ दर्ज रेप का मामला खारिज

आपको बता दें कि,ये पूरा मामला मध्य प्रदेश के कटनी जिले का है जहां साल 2021 में टीचर ने अपने डॉक्टर दोस्त पर रेप का केस दर्ज कराया था.टीचर ने अपनी शिकायत में कहा था दोनों एक-दूसरे को 2010 से जब हाईस्कूल में पढ़ते थे तब से जानते हैं.2020 तक रिलेशन में रहे डॉक्टर ने युवती से शादी का वादा किया था लेकिन बाद में उसने शादी से मना कर दिया जिस पर युवती के पिता ने युवक के खिलाफ केस दर्ज करा दिया.जानकारी के मुताबिक मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने युवती की ओर से दर्ज शिकायत पर युवक के खिलाफ रेप का केस रद्द करते हुए कहा कि,दोनों अपनी मर्जी से 10 साल से अधिक समय से शारीरिक संबंध बना रहे थे शादी से इनकार करने पर रेप का मामला दर्ज नहीं किया जा सकता।

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कोर्ट ने बताया कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग

मामले की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति संजय द्विवेदी ने 2 जुलाई को अपना फैसला सुनाया.न्यायमूर्ति ने अपने फैसले में कहा ये मामला कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग प्रतीत होता है.इस मामले में कोर्ट ने कहा,आईपीसी की धारा 366 (महिला को शादी के लिए मजबूर करना) भी इसमें नहीं बनती है इसलिए याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज आईपीसी की धारा 366 के तहत अपराध भी रद्द किए जाने योग्य है।महिला ने युवक के खिलाफ नवंबर 2021 में कटनी जिले के महिला थाना पुलिस स्टेशन में रेप और अन्य आरोपों पर केस दर्ज करवाया था.इस मामले में उसने हाईकोर्ट का रुख किया था।

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“धारा 375 के तहत परिभाषित रेप का मामला भी नहीं”

मध्य प्रदेश के कटनी में हाईकोर्ट ने इस मामले को लेकर आगे ये भी कहा कि,महिला ने अपनी शिकायत में 164 सीआरपीसी के बयान में भी बताया है कि,इस मामले को आईपीसी की धारा 375 के तहत परिभाषित रेप का मामला नहीं माना जा सकता है कोर्ट ने कहा इस मामले को कानून की प्रक्रिया के दूरुपयोग के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता है।

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