Mouni Amavasya: प्रयागराज में मौनी अमावस्या (Mouni Amavasya) के अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए मेला प्रशासन ने महाकुंभ-2025 के दूसरे अमृत स्नान के लिए अखाड़ों के स्नान का समय एक घंटा पहले कर दिया है। अब साधुओं का स्नान सुबह 4:00 बजे से शुरू होगा। यह निर्णय भीड़ नियंत्रण और व्यवस्था बनाए रखने के लिए लिया गया है।
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पहले अमृत स्नान में आई जटिलताएं

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) पर पहले अमृत स्नान (Amrit Snan) के दौरान अखाड़ों के साधुओं ने सुबह 6:15 बजे से स्नान करना शुरू किया था, जिसके कारण संगम घाट पर श्रद्धालुओं की बड़ी भीड़ इकट्ठा हो गई थी और कई जटिलताएं उत्पन्न हो गईं। इसे ध्यान में रखते हुए, मेला प्रशासन ने इस बार स्नान के समय में एक घंटे की बढ़ोतरी की है, ताकि साधु पहले स्नान कर सकें और शुरुआती घंटों में भीड़ को नियंत्रित किया जा सके।
मेला अधिकारी का बयान: 10 करोड़ श्रद्धालुओं की उम्मीद

कुंभ नगर के डीएम (मेला अधिकारी) विजय किरण आनंद ने बताया कि मौनी अमावस्या पर लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं के मेला क्षेत्र में आने की संभावना है। उन्होंने कहा, “इस मौके पर सभी 13 अखाड़ों के हजारों साधु अमृत स्नान करेंगे। हमें इस बड़े आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए सभी व्यवस्थाएं की हैं। सुरक्षा और साफ-सफाई हमारी प्राथमिकता है।”
अब पहले स्नान करेंगे महानिर्वाणी और अटल अखाड़े
साधुओं के स्नान समय में बदलाव के अनुसार, महानिर्वाणी और अटल अखाड़े अब सुबह 4:00 बजे अपने शिविरों से स्नान घाटों के लिए प्रस्थान करेंगे और 5:40 बजे तक स्नान पूरा कर लेंगे। इससे पहले, मकर संक्रांति पर वे 5:15 बजे शिविर छोड़ते थे। इस बदलाव से अखाड़ों के समय को बेहतर तरीके से समन्वित किया जाएगा।
अखाड़ा परिषद का बयान: साधुओं की तैयारियों में जोश
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) के अध्यक्ष श्री महंत रवींद्र पुरी ने कहा, “दूसरे अमृत स्नान की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। नागा संन्यासियों सहित साधुओं के अनुष्ठान रात में ही शुरू हो जाएंगे, क्योंकि वे इस पवित्र अवसर के लिए खुद को तैयार कर रहे हैं।”
अब पहले स्नान करेंगे निर्वाणी अणी और आखिरी में निर्मोही अणी

मकर संक्रांति पर दिगंबर अखाड़ों के स्नान क्रम में भी बदलाव किया गया है। इस बार निर्वाणी अणी को सबसे पहले स्नान करने का समय दिया गया है, जबकि निर्मोही अणी को आखिरी में स्नान करने का समय मिलेगा। इससे स्नान की प्रक्रिया और अधिक व्यवस्थित होगी।
साधुओं के स्नान का असर आम श्रद्धालुओं पर
सभी अखाड़ों के साधु शाही जुलूस के साथ स्नान घाटों पर पहुंचेंगे और दोपहर 3 बजे तक स्नान पूरा कर लेंगे। इसका फायदा आम श्रद्धालुओं को मिलेगा, क्योंकि साधुओं के स्नान के बाद उन्हें भी संगम में डुबकी लगाने का अवसर मिलेगा। इस व्यवस्था से श्रद्धालुओं को अधिक सुविधा मिलेगी और वे शांतिपूर्वक स्नान कर सकेंगे।
इस प्रकार, प्रयागराज महाकुंभ में इस बार की गई व्यवस्थाएं श्रद्धालुओं और साधुओं दोनों के लिए उपयुक्त साबित होंगी। प्रशासन ने समय में बदलाव और अन्य व्यवस्थाओं के जरिए इस भव्य आयोजन को सुचारू रूप से संपन्न करने का हर संभव प्रयास किया है।
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