मुरैना संवाददाता: वीरेंद्र कुमार
कैलारस: कैलारस ब्लॉक के गांव महेवा में प्राथमिक विद्यालय में जब पत्रकारों की टीम पहुंची तो वहां पर एक शिक्षक स्कूल में उपस्थित थे. दूसरे शिक्षक गांव में टहलते हुए नजर आए. उपस्थित शिक्षकों से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि छात्र संख्या स्कूल में 42 है, लेकिन बच्चे स्कूल में एक भी नहीं थे. शिक्षक से पूछा तो उन्होंने जवाब दिया कि मंदिर पर बच्चे चले गए है. जबकि स्कूल की हकीकत यह बताई गई कि बच्चे इस स्कूल में आते ही नहीं है. यदि आते भी है तो 10 से 5 बच्चे आते हैं. जिनको स्कूल का नाम तक पता नहीं है और नहीं प्राथमिक विद्यालय के उन बच्चो को पुस्तक पढ़ना आता है और ना ही वे अपने शिक्षकों का नाम जानते हैं.
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जनपद अध्यक्ष सुनीता जितेंद्र सिंह ने बच्चों की गुणवत्ता जांची
शिक्षा विभाग का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है. वही स्कूल के प्रधानाध्यापक द्वारा बताया गया है कि मैं रोजाना 20-22 किलोमीटर दूर से चलकर आता हूं. वही मौके पर पहुंची जनपद अध्यक्ष सुनीता जितेंद्र सिंह ने भी बच्चों की गुणवत्ता जांची तो बच्चे अपनी कोई भी जानकारी देने में सफल साबित नहीं हुए. इस पर जनपद अध्यक्ष ने नाराजगी जाहिर हर करते हुए वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत करने की बात भी कहीं. क्योंकि शिक्षकों का ध्यान बच्चों की तरफ नहीं है. उनका ध्यान मोबाइल एवं बाहर बैठकर समय व्यतीत करते है.
अधिकारियों को निरीक्षण के लिए फुर्सत नहीं
शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को निरीक्षण तक के लिए फुर्सत नहीं रहती है. उपस्थित बच्चों से जब पूछा गया तो वह जवाब नहीं दे पा रहे थे. गांव के लोगो से जब पूछा गया तो उन्होंने बताया कि शिक्षक बच्चों को पढ़ाते ही नहीं है और बच्चों को अभिभावक स्कूल भेजते हैं. लेकिन मध्यान भोजन को लेकर बच्चे आते हैं. जबकि उनको मध्यान भोजन मिलता ही नहीं है. स्वसहायता समूह को स्कूल के जिम्मेदार शिक्षक 42 वच्चोकी उपस्थित दिखाकर, उन्हें अनाज मिल जाता है.
जिसमें वहां के शिक्षक बंदरबांट कर लेते हैं. स्कूल के आसपास कि अभिभावक एवं लोगों ने मौखिक अपनी दबी जबान से बताया कि इस स्कूल की हालत अत्यंत दयनीय है. शिक्षक भी यदा कदा आते हैं और बच्चों को शिक्षा भी नहीं मिलती है. वह कुछ पढ़ना भी नहीं सीखे हैं. उन्होंने शासन तथा प्रशासन से शिक्षकों को बदलने की बात कही. अब देखना यह होगा कि शिक्षा विभाग की जिम्मेदार अधिकारी क्या कार्यवाही करते हैं.
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