Monsoon Update today: भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने हाल ही में घोषणा की है कि 2025 में भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। मौसम विभाग के मुताबिक, जून से सितंबर के चार महीने के मानसून सीजन में देशभर में औसतन 105% बारिश होने का अनुमान है, जो दीर्घकालिक औसत 87 सेंटीमीटर पर आधारित है। यह लगातार 10वां वर्ष होगा जब देश में सामान्य या उससे अधिक मानसून बारिश दर्ज की जाएगी।
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IMD ने बताया पूरे देश के मौसम का हाल
IMD के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि…. इस वर्ष अल-नीनो की स्थितियों के विकसित होने की संभावना नहीं है। इसके चलते मानसून के लिए परिस्थितियां अनुकूल बनी हुई हैं। हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि सामान्य या अधिक बारिश का मतलब यह नहीं कि पूरे देश में समान रूप से बारिश होगी। जलवायु परिवर्तन के चलते बारिश के पैटर्न में बड़ा बदलाव देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि बारिश के दिनों की संख्या घट रही है, लेकिन कम समय में भारी बारिश की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। इससे देश के कई हिस्सों में सूखा और बाढ़ जैसी चरम स्थितियां उत्पन्न हो रही हैं।
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मानसून से किसानों के लिए राहत या?
देश का लगभग 52% कृषि क्षेत्र मानसून पर निर्भर है। इस कारण से, अच्छा मानसून न केवल किसानों के लिए राहत की खबर है, बल्कि यह देश की खाद्य सुरक्षा और जल संसाधनों के लिए भी अहम है। इस साल उत्तर भारत के कई राज्यों जैसे दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के अलावा दक्षिण भारत के तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में भी अच्छी बारिश की संभावना जताई गई है।
हालांकि, मानसून से पहले की गर्मी भी चिंता का विषय बनी हुई है। IMD ने चेतावनी दी है कि मई और जून के महीनों में हीटवेव यानी लू के दिनों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। इसका असर न केवल जनजीवन पर पड़ेगा, बल्कि इससे बिजली की मांग बढ़ेगी और जल संकट की स्थिति भी बन सकती है।
जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
जलवायु विशेषज्ञों का मानना है कि मौसम का यह अस्थिर स्वरूप वैश्विक जलवायु परिवर्तन का प्रभाव है, और इससे निपटने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों की आवश्यकता है। ऐसे में पानी के संरक्षण, फसलों के चयन और सिंचाई की आधुनिक तकनीकों को अपनाने की जरूरत पहले से कहीं अधिक है। IMD की भविष्यवाणी अगर सटीक साबित होती है तो यह भारत के लिए एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन सतर्कता और तैयारियों में कोई कमी नहीं होनी चाहिए।