Parliament Budget Session: संसद के मानसून सत्र की शुरुआत नीट पेपर लीक (Neet Paper Leak) के विवाद के साथ हुई। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) ने कहा कि इस मामले में पेपर लीक के स्पष्ट सबूत नहीं मिले हैं, जिसके चलते विपक्षी नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) नीट पेपर लीक को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, “परीक्षा व्यवस्था में गड़बड़ी हुई है। यह सिर्फ नीट का मामला नहीं है, बल्कि सभी प्रमुख परीक्षाओं पर सवाल उठता है।” उन्होंने आरोप लगाया कि पेपर लीक एक गंभीर मुद्दा है और इसने पूरे देश की परीक्षा प्रणाली को प्रभावित किया है। गांधी ने कहा कि शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस मुद्दे पर अनदेखी की है और केवल दूसरों को दोषी ठहरा रहे हैं।
धर्मेंद्र प्रधान का जवाब
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “मुझे किसी से प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं है। पूरी परीक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाना गलत है। राहुल गांधी का बयान दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने कहा कि भले ही वे विपक्ष के सवालों का जवाब दे रहे हैं, लेकिन चिल्लाने से कोई बात सच नहीं हो जाएगी। प्रधान ने यह भी कहा कि उन्हें अपने संस्कारों और शिक्षा पर विश्वास है और उनका जवाब देश की जनता के प्रति उनकी जिम्मेदारी है।
अखिलेश यादव ने सरकार को घेरा
समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने आरोप लगाया कि यह सरकार पेपर लीक का एक नया रिकॉर्ड बनाएगी। यादव ने कहा, “कुछ केंद्रों पर 2,000 से अधिक छात्र पास हुए हैं। जब तक यह मंत्री (धर्मेंद्र प्रधान) हैं, छात्रों को न्याय नहीं मिलेगा। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार ने इस मुद्दे पर क्या ठोस कदम उठाए हैं।
धर्मेंद्र प्रधान ने कांग्रेस पर निशाना साधा
शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि 2010 में कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने शिक्षा सुधार के लिए कई बिल लाए थे, जिसमें ‘प्रॉहिबिशन ऑफ अनफेयर प्रैक्टिस बिल, 2010’ शामिल था। यह बिल शिक्षा में धांधली को रोकने के लिए था। प्रधान ने सवाल उठाया कि कांग्रेस ने इस बिल को पास क्यों नहीं किया और क्या यह शिक्षा माफिया के दबाव में किया गया।
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संसद में आगामी मुद्दे
संसद का यह सत्र महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। नीट पेपर लीक पर हंगामा जारी रहने के संकेत हैं और आने वाले दिनों में कई विधेयक और सरकारी नीतियों पर बहस होगी। यह सत्र राजनीतिक गर्मागर्मी और पारदर्शिता की मांग के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।