Monsoon 2025:भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने वर्ष 2025 के दक्षिण-पश्चिम मानसून को लेकर पहला पूर्वानुमान जारी कर दिया है, जिसमें देशभर में सामान्य से अधिक बारिश की संभावना जताई गई है। विभाग के अनुसार इस वर्ष मानसून के दौरान 106 से 110 प्रतिशत तक वर्षा होने का अनुमान है, जो देश के अधिकांश हिस्सों, विशेषकर मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल संभाग के लिए राहतभरी खबर है। यह वर्षा का स्तर दीर्घकालिक औसत से अधिक है, जिससे किसानों और जल संसाधन प्रबंधन से जुड़े विभागों को बड़ी राहत मिल सकती है।
मौसम विभाग ने आंकड़ों के औसत की दी जानकारी
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने जानकारी दी कि 1971 से 2020 तक के वर्षा आंकड़ों के औसत के आधार पर इस साल लगभग 87 सेंटीमीटर वर्षा होने की संभावना है। यह अनुमान देश के प्रमुख कृषि क्षेत्रों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत की कुल वर्षा का लगभग 70 प्रतिशत दक्षिण-पश्चिम मानसून से ही प्राप्त होता है।
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जुलाई और अगस्त महीने में बारिश
पूर्वानुमान में बताया गया है कि जुलाई और अगस्त के महीने बारिश के लिहाज से सबसे अधिक सक्रिय रह सकते हैं। ऐसे में खरीफ फसलों की बुआई के लिए यह समय अत्यंत अनुकूल रहेगा। अधिक वर्षा जलाशयों, नदियों और भूजल स्तर के पुनर्भरण में भी मददगार साबित होगी।
मानसून का प्रभाव
ENSO (एल नीनो-दक्षिणी दोलन) की मौजूदा स्थिति का भी इस मानसून पर प्रभाव पड़ सकता है। वर्तमान में प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में अल नीनो की मध्यम स्थिति बनी हुई है, लेकिन मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि मानसून के शुरुआती दौर में यह स्थिति धीरे-धीरे कमजोर हो सकती है और जून के अंत तक तटस्थ ENSO स्थिति बन सकती है। इसके बाद मानसून के दूसरे हिस्से में ला नीना की संभावित वापसी देखी जा सकती है, जो मानसून को और अधिक सक्रिय बना सकती है।
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बाढ़ प्रबंधन और जल संसाधन
मौसम विभाग ने यह भी स्पष्ट किया है कि मई के अंतिम सप्ताह में मानसून के दूसरे और अधिक विस्तृत पूर्वानुमान की घोषणा की जाएगी, जिससे क्षेत्रवार बारिश के सटीक आंकड़े और संभावनाएं स्पष्ट होंगी। यह पूर्वानुमान कृषि योजनाओं, बाढ़ प्रबंधन और जल संसाधन के बेहतर उपयोग के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाएगा।