Monkey Pox का बढ़ा खतरा: WHO ने घोषित की ग्लोबल इमरजेंसी, भारत में बढ़ी सतर्कता

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Monkey Pox

Monkey Pox becomes a global threat: दुनिया एक बार फिर महामारी के संकट का सामना कर रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स (Monkey Pox) को ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दिया है। यह फैसला कांगो और अफ्रीका के अन्य हिस्सों में तेजी से फैलते संक्रमण के बाद लिया गया है। WHO ने संक्रमण की रोकथाम के लिए तत्काल कदम उठाने की सलाह दी है। इस बीच, स्वीडन में भी मंकीपॉक्स के नए स्वरूप का पहला मामला सामने आया है, जो पहले केवल अफ्रीका में देखा गया था। यूरोप के अन्य देशों में भी मंकीपॉक्स के मामले बढ़ने की संभावना जताई जा रही है, जिससे दुनिया भर में चिंता का माहौल बन गया है।

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भारत में बढ़ाई गई सतर्कता

मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए भारत ने भी एहतियात के तौर पर कई कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार ने सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर निगरानी बढ़ा दी है और राज्यों को भी सतर्क रहने के निर्देश जारी किए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रधान सचिव ने इस मामले पर एक उच्चस्तरीय बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें देश की तैयारियों की समीक्षा की गई।

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सीमाओं और हवाई अड्डों पर सख्त निगरानी

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी हवाई अड्डों के साथ-साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश की सीमाओं के पास स्थित भूमि बंदरगाहों के अधिकारियों को मंकीपॉक्स को लेकर सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं। दिल्ली के तीन प्रमुख अस्पतालों (राम मनोहर लोहिया अस्पताल, सफदरजंग अस्पताल और लेडी हार्डिंग अस्पताल) को मंकीपॉक्स के मरीजों के इलाज के लिए नोडल केंद्र के रूप में चिह्नित किया गया है। इसके अलावा, सभी राज्य सरकारों को भी अपने-अपने क्षेत्रों में ऐसे केंद्रों की पहचान करने के लिए कहा गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत इलाज मुहैया कराया जा सके।

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अभी तक भारत में कोई मामला नहीं

प्रधान सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में जानकारी दी गई कि अब तक भारत में मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है। हालांकि, डॉ. पीके मिश्रा ने अधिकारियों को सतर्क रहने और निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि मामलों का शीघ्र पता लगाने और जांच के लिए 32 प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क तैयार किया गया है। वर्तमान स्थिति के आधार पर, बड़े प्रकोप का खतरा कम है, लेकिन सतर्कता बरतना आवश्यक है।

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मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?

मंकीपॉक्स, कोविड-19 और स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियों से अलग है। यह हवा में नहीं फैलता, बल्कि संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क में रहने से फैलता है। यह मुख्य रूप से यौन संपर्क, रोगी के शरीर के घाव, तरल पदार्थ या दूषित कपड़ों के माध्यम से फैलता है। इसलिए, संक्रमण से बचने के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना और साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना जरूरी है।

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कैसे बचें?

मंकीपॉक्स से बचने का सबसे अच्छा तरीका है कि संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में न आएं और उसके कपड़े, बर्तन, बेडशीट, तौलिए आदि का इस्तेमाल न करें। साथ ही, नियमित रूप से हाथ धोते रहें और व्यक्तिगत स्वच्छता का ध्यान रखें। मंकीपॉक्स का संक्रमण आमतौर पर 2-4 सप्ताह के भीतर ठीक हो जाता है और इसके लिए सहायक चिकित्सा देखभाल पर्याप्त होती है।

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कोविड-19 से कितना अलग है मंकीपॉक्स?

कोविड-19 के मुकाबले मंकीपॉक्स का प्रसार काफी धीमा है। जहां कोविड-19 ने बहुत कम समय में लाखों लोगों को प्रभावित किया, वहीं मंकीपॉक्स का संक्रमण धीमी गति से फैल रहा है। WHO के अनुसार, 2022 से अब तक दुनिया भर में मंकीपॉक्स के 100,000 मामले सामने आए हैं और लगभग 200 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, यह स्थिति चिंता का विषय है, लेकिन कोविड-19 जैसी भयावहता अभी नहीं देखी गई है।

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मंकीपॉक्स पर लगाम लगाने की कोशिशें

2022 में 70 देशों में फैले मंकीपॉक्स के मामलों पर कुछ महीनों में काबू पा लिया गया था। धनी देशों में दवाओं और वैक्सीनेशन कार्यक्रमों के माध्यम से इसे नियंत्रित किया गया। फिलहाल, मंकीपॉक्स के सबसे ज्यादा मामले अफ्रीका में हैं, खासकर कांगो में। कांगो जैसे बेहद गरीब देश में, जहां भुखमरी और अन्य बीमारियों ने हेल्थ सिस्टम को बुरी तरह प्रभावित किया है, मंकीपॉक्स की वैक्सीन की मांग की गई है, लेकिन अब तक कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं हो पाई है।दुनिया भर में मंकीपॉक्स का खतरा बढ़ता जा रहा है, लेकिन उचित सावधानी और सतर्कता से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। स्वास्थ्य विभाग और आम जनता दोनों को मिलकर इस महामारी के खिलाफ लड़ने की जरूरत है।

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