Lucknow News: लखनऊ के चिनहट थाने में हिरासत में हुई मोहित पांडे की मौत (Mohit Pandey murder case) का मामला एक बार फिर से गरमा गया है। राज्य मानवाधिकार आयोग (State Human Rights Commission) ने इस गंभीर मामले पर संज्ञान लेते हुए लखनऊ के पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी से पूरी घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। दरअसल, मोहित की मौत के बाद से ही परिजन पुलिस कर्मियों और अन्य अज्ञात लोगों पर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। इस घटना ने कानून-व्यवस्था और मानवाधिकार को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
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20 दिसंबर को आयोग में होगी सुनवाई
मोहित पांडे की मौत के मामले को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग में गजेंद्र सिंह नामक एक वकील ने शिकायत दर्ज कराई थी। आयोग ने इस शिकायत पर जल्द से जल्द कार्रवाई करते हुए 20 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है। आयोग द्वारा की गई इस पहल के बाद से उम्मीद की जा रही है कि मृतक के परिजनों को न्याय मिलने की राह आसान होगी।
600 रुपये के विवाद ने छीन ली जान
मोहित पांडे चिनहट थाना क्षेत्र के जैनाबाद के निवासी थे और स्कूल ड्रेस का कारोबार करते थे। उनकी दुकान पर काम करने वाले गोंडा निवासी आदेश के साथ उनके बीच 600 रुपये के लेन-देन को लेकर विवाद हो गया था। इस मामूली विवाद ने इस कदर तूल पकड़ा कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। सूचना मिलने पर पुलिस ने दोनों पक्षों को थाने बुलाया। विवाद के बाद पुलिस ने आदेश को छोड़ दिया लेकिन मोहित को रातभर थाने में बैठा लिया। जब मोहित का भाई शोभाराम उसे देखने थाने पहुंचा, तो पुलिस ने उसे भी थाने में ही रोक लिया। उसी रात पुलिस हिरासत में मोहित की तबीयत बिगड़ गई, और आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
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इंस्पेक्टर समेत अन्य पुलिस कर्मियों पर दर्ज हुआ हत्या का केस
मोहित पांडे की मौत के बाद गुस्से में आए परिजनों ने चिनहट थाने के तत्कालीन एसएचओ अश्वनी चतुर्वेदी, आदेश, उसके चाचा समेत अन्य अज्ञात पुलिस कर्मियों पर हत्या का आरोप लगाते हुए केस दर्ज कराया है। इस मामले में हत्या समेत अन्य गंभीर धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। लेकिन, चौंकाने वाली बात यह है कि अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे परिजन और स्थानीय लोग आक्रोशित हैं। इस पूरे प्रकरण की जांच का जिम्मा गोमती नगर विस्तार के इंस्पेक्टर सुधीर कुमार अवस्थी को सौंपा गया है, जो फिलहाल परिजनों के बयान दर्ज कर रहे हैं।
परिजनों की मांग – ‘जल्द हो आरोपियों की गिरफ्तारी’
मृतक मोहित पांडे के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने जानबूझकर इस घटना को गंभीरता से नहीं लिया और अब भी आरोपी पुलिस कर्मियों को गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। परिजनों का कहना है कि वे तब तक शांत नहीं बैठेंगे, जब तक कि आरोपियों को सजा नहीं मिल जाती। परिवारवालों ने राज्य सरकार से अपील की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कानून के तहत सख्त से सख्त सजा दी जाए।
मानवाधिकार आयोग से है न्याय की उम्मीद
मानवाधिकार आयोग द्वारा इस मामले को संज्ञान में लेने के बाद से यह मामला और भी संवेदनशील हो गया है। पुलिस हिरासत में किसी व्यक्ति की मौत कोई सामान्य घटना नहीं है, और यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है। आयोग के हस्तक्षेप के बाद परिजनों को न्याय मिलने की उम्मीद बंधी है। आयोग द्वारा मांगी गई रिपोर्ट से इस मामले में कई नई जानकारियां सामने आ सकती हैं, जो मामले को सुलझाने में मददगार होंगी।
पुलिस की भूमिका पर उठा सवाल, क्या मिलेगी न्याय की गारंटी?
मोहित पांडे की मौत ने लखनऊ पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। हिरासत में रहते हुए किसी व्यक्ति की मौत होना पुलिस प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है। इस मामले के बाद से क्षेत्र के लोगों में पुलिस के प्रति आक्रोश है, और वे इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। मानवाधिकार आयोग की त्वरित कार्रवाई के बाद से उम्मीद है कि मृतक के परिजनों को इंसाफ मिलेगा। अब सभी की निगाहें 20 दिसंबर को होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां आयोग की सुनवाई और रिपोर्ट से इस मामले में कई अहम खुलासे होने की उम्मीद है।