Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि आज की दुनिया को ऐसे धर्म की आवश्यकता है जो विविधता को गले लगाना सिखाए, और हिंदू धर्म इस दिशा में एक आदर्श उदाहरण है। वे नागपुर में धर्म जागरण न्यास के नए कार्यालय के उद्घाटन समारोह में बोल रहे थे।
“हम विविध हैं लेकिन अलग नहीं”
अपने संबोधन में भागवत ने कहा, “हम एक जैसे नहीं दिखते, पर वास्तव में हम सब एक ही हैं। धर्म हमें सिखाता है कि भले ही हम अलग-अलग भाषा, जाति, या पंथ के हों, लेकिन हममें एकत्व है।” उन्होंने कहा कि यह भावना ही भारत की आत्मा है। भागवत ने छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन पर बनी फिल्म ‘छावा’ का उदाहरण देते हुए कहा कि केवल राजा-महाराजा ही नहीं, बल्कि आम लोगों ने भी धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने धर्म की रक्षा में जनता की भूमिका को ऐतिहासिक और प्रेरणादायक बताया।
“धर्म को बताया सत्य और पुण्य का मार्ग”
संघ प्रमुख ने कहा, “धर्म सत्य है, पुण्य कार्य है और यह समाज में शांति और सामंजस्य बनाए रखने का मार्ग है। जब व्यक्ति धर्म के पथ पर चलता है तो उसे कठिनाइयों में साहस और रास्ता खोजने की शक्ति प्राप्त होती है।” उन्होंने सभी से आग्रह किया कि वे धर्म के मूल सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारें। सितंबर 2021 में मुस्लिम विद्वानों के एक कार्यक्रम में भी भागवत ने कहा था कि भारत में रहने वाले हिन्दुओं और मुसलमानों के पूर्वज एक जैसे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों को भारत में डरने की कोई जरूरत नहीं है और हमें भारत वर्चस्व की सोच अपनानी चाहिए न कि किसी धार्मिक वर्चस्व की।
“हिंदू कोई जाति नहीं, बल्कि एक जीवनदर्शन है”
भागवत ने यह स्पष्ट किया कि “हिंदू” कोई जाति या भाषा नहीं है, बल्कि यह एक जीवन जीने की पद्धति और परंपरा है, जो हर व्यक्ति को विकास और आत्मोत्थान की दिशा में प्रेरित करती है। उन्होंने कट्टरपंथ के खिलाफ समझदार मुस्लिम नेताओं से मुखर होने की अपील की। हाल ही में केरल में एक शिक्षा सम्मेलन के दौरान भागवत ने कहा कि कट्टर हिंदू का मतलब किसी का विरोध करना नहीं, बल्कि सबको अपनाना है। उन्होंने भारत को शक्ति संपन्न और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की जरूरत पर बल दिया।
