Mehbooba Mufti ने चुनाव लड़ने से किया इनकार, कहा-“जम्मू-कश्मीर के लोगों को बंदर की तरह नचाने की हो रही कोशिश”

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
महबूबा मुफ्ती

Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर में इस साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है, लेकिन पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने चुनाव लड़ने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने चुनाव कराने की प्रक्रिया को साफ तौर पर “तमाशा” करार देते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन किया जा रहा है। महबूबा मुफ्ती ने चुनाव आयोग की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब लोकसभा चुनाव हुए हैं, तो क्या चुनाव आयोग को यहां के सुरक्षा परिदृश्य का पता नहीं था? उन्होंने कहा, “चुनाव कराना है तो कराएं, नहीं कराना है तो मत कराएं, लेकिन तमाशा न करें।”

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संवैधानिक अधिकारों का हनन

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के प्रति यह जो रवैया अपनाया जा रहा है, वह सही नहीं है। उन्होंने कहा, “यहां चुनाव की डुगडुगी बजाकर जम्मू-कश्मीर के लोगों को बंदर की तरह नचाने की कोशिश हो रही है।” महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि चुनाव कराना जनता का संवैधानिक हक है और उन्हें किसी की भीख की जरूरत नहीं है।

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विधानसभा चुनाव लड़ने से इनकार

विधानसभा चुनाव में खुद लड़ने से इनकार करते हुए महबूबा मुफ्ती ने कहा, “मैं पहले ही कह चुकी हूं कि मैं विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने जा रही हूं। मैंने उस समय विधानसभा चुनाव लड़ा था जब हमारा अपना झंडा था, अपना निशान था, अपना संविधान था। उस समय हमारी विधानसभा इस मुल्क की सबसे शक्तिशाली विधानसभा थी।”

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चुनाव के नाम पर हो रहा तमाशा

महबूबा मुफ्ती ने वर्तमान स्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज की विधानसभा में एक भी बिल बिना उपराज्यपाल की मर्जी के नहीं लाया जा सकता। एक आईएएस अधिकारी को मुख्यमंत्री नहीं बदल सकता और चपरासी तक की नियुक्ति के लिए उपराज्यपाल की अनुमति लेनी पड़ती है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए तो ऐसी विधानसभा का चुनाव लड़ना तो दूर, उसके बारे में सोचना भी मुश्किल है।” पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि चुनाव के नाम पर जम्मू-कश्मीर के लोगों को बंदर का नाच नचाया जा रहा है, जो सही नहीं है। उन्होंने कहा, “चुनाव कराना है तो कराएं, नहीं कराना है तो मत कराएं, लेकिन चुनाव के नाम पर तमाशा न किया जाए।”

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2019 के बाद से स्थिति और बिगड़ी

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि साल 2019 के बाद से जिस तरह से जम्मू-कश्मीर के साथ व्यवहार किया जा रहा है, वह किसी लोकतांत्रिक मुल्क को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा, “चुनाव तो एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन जम्मू-कश्मीर में इसे तमाशा बना दिया गया है।” महबूबा मुफ्ती के बयान से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में चुनावी प्रक्रिया को लेकर गहरा असंतोष है। उनके अनुसार, लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हो रहा है और चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं।

महबूबा मुफ्ती के इनकार के बावजूद, यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अन्य राजनीतिक दल और नेता इस चुनावी प्रक्रिया को कैसे देखते हैं और क्या वे भी इसी प्रकार के आरोप लगाते हैं। जम्मू-कश्मीर की राजनीति में यह समय बहुत संवेदनशील है और चुनाव आयोग को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से चुनाव कराना होगा ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।

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