UP By-Election: मीरापुर विधानसभा सीट (Meerapur By-Election) पर अगले महीने होने वाले उपचुनाव से पहले ही सियासी उठापटक शुरू हो चुकी है। बीजेपी-रालोद गठबंधन ने इस सीट पर बीजेपी नेत्री मिथलेश पाल (Mithlesh Pal) को प्रत्याशी बनाकर चुनावी रणनीति में नए पैंतरे खेले हैं। शुक्रवार, 25 अक्टूबर को मिथलेश पाल ने नामांकन दाखिल किया, जिसके बाद से राजनीतिक गलियारों में अटकलों का दौर जारी हो गया है।
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पीडीए फॉर्मूला को साधने की कोशिश
लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) फॉर्मूले से वेस्ट यूपी में बीजेपी को नुकसान उठाना पड़ा था। इस बार बीजेपी ने उस फॉर्मूले को टक्कर देने के लिए रालोद के साथ मिलकर ओबीसी वर्ग की मिथलेश पाल को चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है। मीरापुर सीट पर रालोद के टिकट से मिथलेश पाल का उतरना, गठबंधन की ओर से अखिलेश यादव के फॉर्मूले की काट माना जा रहा है।
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रालोद के बैनर तले चुनाव लड़ेंगी मिथलेश
मीरापुर में बीजेपी ने रालोद के प्रतीक चिन्ह पर मिथलेश पाल को चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया है। इसके पीछे बीजेपी और रालोद के बीच दो शर्तें तय हुई थीं – एक, बीजेपी के किसी नेता को रालोद (RLD) के बैनर तले लड़ाया जाए; और दूसरी, रालोद के किसी प्रत्याशी को बीजेपी के प्रतीक चिन्ह पर उतारा जाए। अंततः रालोद के सिंबल पर मिथलेश पाल के नाम पर सहमति बनी, जो खुद ओबीसी वर्ग से हैं और इस वर्ग में गठबंधन को मजबूत करने का प्रयास है।
सपा के महिला कार्ड को मिलेगा जवाब
समाजवादी पार्टी ने मीरापुर से पूर्व सांसद कादिर राणा की पुत्रवधु को मैदान में उतारा है। इसके जवाब में बीजेपी और रालोद ने भी ओबीसी वर्ग से मजबूत पृष्ठभूमि की महिला नेता को टिकट देने का निर्णय किया। मिथलेश पाल, जो इससे पहले मोरना विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं, को यह मौका मिला। राजनीतिक गलियारों में इस कदम को सपा के महिला कार्ड के जवाब के रूप में देखा जा रहा है।
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मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच फायदा लेने की कोशिश
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इस बार मीरापुर में चार मुस्लिम प्रत्याशियों के चुनावी मैदान में होने का फायदा बीजेपी-रालोद को मिल सकता है। वरिष्ठ पत्रकार पुष्पेंद्र शर्मा का कहना है कि इस मुकाबले में ओबीसी वर्ग की मजबूत उपस्थिति के चलते पिछड़ा वर्ग भी गठबंधन के पक्ष में जा सकता है। शर्मा का मानना है कि जयंत चौधरी, जो पहले सपा के साथ गठबंधन में थे, अब बीजेपी के साथ हैं और ऐसे में मुस्लिम मतदाता उनसे दूर हो सकते हैं।
जयंत का नया दांव
वरिष्ठ पत्रकार संतोष शुक्ला के अनुसार, जयंत चौधरी (jayant chaudhary) इस बार जातीय समीकरण से हटकर ओबीसी और अनुसूचित वर्ग को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रहे हैं। अनुसूचित वर्ग के अनिल कुमार को कैबिनेट में शामिल कर उन्होंने अपने इरादों का संकेत दिया था। अब ओबीसी वर्ग की मिथलेश पाल को रालोद से टिकट देकर, जयंत ने एक और अहम कदम उठाया है। शुक्ला का मानना है कि मिथलेश पाल के मैदान में उतरने से बीजेपी का भावनात्मक जुड़ाव बना रहेगा, वहीं रालोद के सिंबल से लड़ने के कारण रालोद के नेता भी पूरी ताकत लगाएंगे।\
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मीरापुर का सियासी कुरुक्षेत्र
बीजेपी-रालोद गठबंधन ने सपा के पीडीए फॉर्मूले की काट के लिए विशेष रणनीति बनाई है। इस सीट पर मिथलेश पाल का चुनावी भविष्य तय करेगा कि इस गठबंधन की सियासी बुनियाद कितनी मजबूत है। साथ ही, मीरापुर का यह उपचुनाव क्षेत्रीय राजनीति में जातीय समीकरण और नए गठबंधन की संभावना को भी प्रभावित करेगा।
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