Mayavati का कांग्रेस पर तीखा हमला,कहा-‘दलित नेताओं का केवल बुरे वक्त में होता है इस्तेमाल’, बाबा साहेब के रास्ते पर चलने की दी सलाह

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Mayawati

Lucknow News: बहुजन समाज पार्टी (BSP) की प्रमुख मायावती (Mayavati) ने सोमवार को कांग्रेस और अन्य जातिवादी दलों पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस जैसे दल दलित नेताओं का इस्तेमाल सिर्फ अपने बुरे दिनों में करते हैं और जैसे ही स्थिति सुधरती है, इन नेताओं को हाशिये पर धकेल दिया जाता है। मायावती ने दलित नेताओं को सलाह दी कि उन्हें ऐसे दलों से खुद को अलग कर लेना चाहिए और अपने समाज को इनसे दूर रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि दलितों को अपने मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के आदर्शों का अनुसरण करना चाहिए।

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कांग्रेस पर साधा निशाना, हरियाणा का दिया हवाला

मायावती ने सिलसिलेवार पोस्ट में कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए कहा, “अब तक के राजनीतिक घटनाक्रम से यह साबित हो चुका है कि कांग्रेस और अन्य जातिवादी पार्टियों को केवल अपने बुरे दिनों में ही दलितों की याद आती है। जब इन्हें मुश्किल का सामना करना पड़ता है, तो दलित नेताओं को मुख्यमंत्री या संगठन के प्रमुख पदों पर बिठाया जाता है, लेकिन अच्छे दिनों में इन्हें दरकिनार कर दिया जाता है।”

उन्होंने हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि कांग्रेस ने वहां भी एक दलित नेता को किनारे कर दिया है, जबकि अच्छे समय में दलित नेताओं की जगह जातिवादी नेताओं को प्रमुख पदों पर बिठा दिया जाता है। मायावती ने हालांकि किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और सिरसा की सांसद कुमारी शैलजा की तरफ था।

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बाबा साहेब से प्रेरणा लेकर दलित नेताओं को दी सलाह

बसपा प्रमुख ने कहा, “ऐसे अपमानित हो रहे दलित नेताओं को अपने मसीहा बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर से प्रेरणा लेनी चाहिए और खुद को ऐसे दलों से अलग कर लेना चाहिए। साथ ही उन्हें अपने समाज को भी इन दलों से दूर रखने के लिए आगे आना चाहिए।” उन्होंने डॉ. आंबेडकर का उदाहरण देते हुए कहा कि बाबा साहेब ने भी कमजोर वर्गों के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान के लिए केंद्रीय कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।

मायावती ने कहा कि उन्होंने भी बाबा साहेब के पदचिन्हों पर चलते हुए सहारनपुर के दलित उत्पीड़न के मामले में संसद में बोलने का अवसर न मिलने पर राज्यसभा सांसद के पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने दलितों से आग्रह किया कि वे बाबा साहेब के दिखाए रास्ते पर चलें और अपना स्वाभिमान बनाए रखें।

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राहुल गांधी पर भी साधा निशाना

मायावती ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी हमला बोलते हुए कहा, “राहुल गांधी ने विदेश में जाकर आरक्षण को खत्म करने का ऐलान किया है। कांग्रेस और अन्य जातिवादी पार्टियां शुरू से ही आरक्षण के खिलाफ रही हैं और संविधान विरोधी हैं।” उन्होंने कहा कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों को ऐसे दलों से सचेत रहना चाहिए, जो उनके आरक्षण और संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ हैं।

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आरक्षण विरोधी दलों से दलित नेताओं को सचेत रहने की दी सलाह

मायावती ने कांग्रेस को आरक्षण विरोधी करार देते हुए कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्गों के नेता ऐसे दलों से दूरी बनाएं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस और अन्य जातिवादी पार्टियां हमेशा से ही इन वर्गों के आरक्षण के खिलाफ रही हैं। इन दलों ने संविधान का अपमान किया है, और यह बात दलितों को ध्यान में रखनी चाहिए।” मायावती का यह बयान ऐसे समय में आया है जब देश में राजनीतिक दलों के भीतर दलित नेतृत्व को लेकर बहस छिड़ी हुई है। उन्होंने साफ किया कि बसपा ही एकमात्र ऐसा दल है जो दलितों, पिछड़ों और अन्य कमजोर वर्गों के सम्मान और अधिकारों के लिए संघर्ष करता रहा है।

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मायावती का राजनीतिक संदेश

इस बयान के जरिए मायावती ने दलित नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि वे अपने सम्मान और स्वाभिमान के लिए संघर्ष करें और जातिवादी दलों के बहकावे में न आएं। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर के आदर्शों पर चलना ही दलित समाज के आत्म-सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा का सही रास्ता है। मायावती ने कांग्रेस और अन्य दलों को निशाने पर लेते हुए यह भी स्पष्ट किया कि उनके नेतृत्व में बसपा ही एकमात्र ऐसी पार्टी है जो दलितों और कमजोर वर्गों के हितों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। उनका यह बयान आगामी चुनावों के मद्देनजर दलित मतदाताओं को साधने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है।

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दलित नेताओं के लिए स्वाभिमान की लड़ाई

मायावती का यह बयान कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के खिलाफ राजनीतिक संदेश के रूप में सामने आया है। उन्होंने न केवल कांग्रेस पर हमला बोला, बल्कि दलित नेताओं को भी आह्वान किया कि वे बाबा साहेब आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलें और जातिवादी दलों से खुद को अलग करें। उनके इस बयान से राजनीतिक हलकों में हलचल मचना स्वाभाविक है, क्योंकि इससे दलित राजनीति की दिशा को लेकर नई बहस छिड़ सकती है।

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