Mayawati की नई रणनीति! बसपा अब एक नई दिशा में कदम बढ़ाने की तैयारी में…

Aanchal Singh
By Aanchal Singh
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UP Politics: सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के आरक्षण को सब कैटेगरी में बांटने के फैसले के विरोध में कई संगठनों ने 21 अगस्त को भारत बंद (Bharat Bandh) का आह्वान किया है. इस बंद को अब व्यापक समर्थन मिलता दिख रहा है. दलितों की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी, बहुजन समाज पार्टी (BSP), ने भी इस बंद का समर्थन करने का ऐलान किया है. यह पहली बार होगा जब बसपा भारत बंद के समर्थन में सड़क पर नजर आएगी.

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बसपा की पारंपरिक राजनीति से अलग रुख

बसपा की पारंपरिक राजनीति से अलग रुख

बताते चले कि बसपा की राजनीति अक्सर सड़क पर विरोध प्रदर्शन के लिए नहीं जानी जाती है. कांशीराम के नेतृत्व से लेकर मायावती के नेतृत्व तक, बसपा की राजनीति सत्ता के माध्यम से दलितों और पिछड़े वर्गों के हितों की सेवा पर केंद्रित रही है. बसपा का कैडर चुपचाप और साइलेंट तरीके से दलित और पिछड़े समाज में अपनी पैठ बनाता रहा है. लेकिन, अब मायावती (Mayawati) दशकों बाद एक नई रणनीति अपनाते हुए सड़क पर उतरने की तैयारी कर रही हैं. बसपा ने दलित संगठनों के भारत बंद का समर्थन करने का फैसला किया है, जिससे इस आंदोलन को और भी अधिक बल मिलेगा.

मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद की भूमिका

मायावती के उत्तराधिकारी आकाश आनंद की भूमिका

आपको बता दे कि बसपा सुप्रीमो मायावती (Mayawati) के उत्तराधिकारी और पार्टी के कोऑर्डिनेटर आकाश आनंद ने भी भारत बंद के समर्थन का एलान किया है. आकाश आनंद (Akash Anand) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ SC/ST समाज में काफी गुस्सा है. फैसले के विरोध में हमारे समाज ने 21 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया है. हमारा समाज शांतिप्रिय है, लेकिन हमारी आजादी पर हमला किया जा रहा है, जिसे हमें शांतिपूर्ण तरीके से जवाब देना होगा.”

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बसपा की नई राजनीतिक रणनीति

बसपा की नई राजनीतिक रणनीति

बसपा का यह कदम ऐतिहासिक माना जा रहा है, क्योंकि पार्टी ने पहले कभी इस प्रकार से सड़क की राजनीति में भाग नहीं लिया था. 35 साल पहले, 1989 में, बसपा सड़कों पर तब दिखाई दी थी जब कांशीराम के नेतृत्व में मंडल कमीशन को लागू करने की मांग को लेकर बोट क्लब में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया था. इसके बाद 2016-17 में भी बसपा ने सड़कों पर एक बड़ा प्रदर्शन किया था, जब बीजेपी नेता दयाशंकर सिंह ने मायावती पर विवादित टिप्पणी की थी.

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कार्यकर्ताओं से बड़ी संख्या में शामिल होने का आह्वान

बसपा महासचिव सतीश चंद मिश्रा ने बसपा कार्यकर्ताओं से इस बंद में अनुशासित और संवैधानिक तरीके से बढ़चढ़ कर हिस्सा लेने का आह्वान किया है. उनका कहना है कि बसपा के सभी कार्यकर्ता इस बंद में बड़ी संख्या में शामिल हों और अपनी आवाज को बुलंद करें. इस एलान के बाद, माना जा रहा है कि बसपा की राजनीति में एक नया मोड़ आ सकता है, जहां पार्टी अब सड़क पर उतर कर अपने मुद्दों को अधिक मुखरता से उठाएगी.

बसपा की नई दिशा

बसपा के इस समर्थन से यह स्पष्ट है कि पार्टी अब एक नई दिशा में कदम बढ़ा रही है. मायावती के नेतृत्व में बसपा ने हमेशा सत्ता के माध्यम से बदलाव की राजनीति की है, लेकिन इस बार वे अपने समर्थकों के साथ सड़क पर उतरकर विरोध दर्ज कराने की तैयारी में हैं. इससे बसपा की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ सकता है, जो आने वाले समय में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है.

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