UP Assembly Election: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती ने आज लखनऊ में पार्टी की भाईचारा कमेटी की अहम बैठक बुलाई। बैठक में वरिष्ठ नेता, मंडल संयोजक और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के पदाधिकारी शामिल हुए। मायावती ने संगठन को जाति और धर्म से ऊपर उठकर भाईचारे के सिद्धांत पर चलने का संदेश दिया। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम बसपा के मुस्लिम–दलित गठजोड़ (MDA) को मजबूत करने और सपा के पीडीए (पिछड़ा–दलित–अल्पसंख्यक) फार्मूले को चुनौती देने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है।
2027 विधानसभा चुनाव की रणनीति
बैठक में मायावती ने आगामी विधानसभा चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करने का ब्लूप्रिंट पेश किया। उन्होंने कहा कि पार्टी अब सिर्फ बयानबाजी नहीं, बल्कि सक्रिय जनसंपर्क अभियान चलाएगी। हर मंडल में एक मुस्लिम और एक दलित संयोजक को संयुक्त रूप से भाईचारा कमेटी की जिम्मेदारी दी जाएगी। ये कमेटियां विधानसभा स्तर तक बैठकों का आयोजन कर स्थानीय समुदायों को जोड़ेंगी और ग़लतफहमियों को दूर करेंगी। मायावती ने कार्यकर्ताओं से कहा कि बसपा सभी वर्गों को साथ लेकर चलेगी, लेकिन किसी के दबाव में नहीं।
मुस्लिम मतदाताओं पर फोकस
बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि बसपा को अल्पसंख्यक वर्ग के बीच अपनी सक्रियता बढ़ानी होगी। उन्होंने चेताया कि मुस्लिम समाज को भ्रमित करने की कोशिश कई दल कर रहे हैं, लेकिन बसपा ही उनका सच्चा राजनीतिक साझीदार बन सकती है। कार्यकर्ताओं को बूथ स्तर तक जाकर मुस्लिम समाज से संवाद बढ़ाने और उन्हें पार्टी से जोड़ने के निर्देश दिए गए। यह रणनीति सपा के पारंपरिक मुस्लिम वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश के रूप में देखी जा रही है।
दलित–मुस्लिम गठजोड़ को मजबूत करना
बसपा लंबे समय से दलित–मुस्लिम गठजोड़ के सहारे सत्ता में रही है। मायावती ने कहा कि भाईचारा कमेटी केवल औपचारिक न रहे, बल्कि दोनों समुदायों के बीच विश्वास और संवाद का सेतु बने। पार्टी को हर मंडल में ऐसा वातावरण बनाना होगा जहां दलित और मुस्लिम समुदाय एक-दूसरे के मुद्दों को अपनी लड़ाई समझें।
सपा और भाजपा पर अप्रत्यक्ष हमला
बैठक के दौरान मायावती ने बिना नाम लिए सपा और भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ दल भाईचारे की बात केवल चुनाव के समय करते हैं, जबकि कुछ सरकारें समाज को बांटने का काम करती हैं। कार्यकर्ताओं को पार्टी मिशन पर केंद्रित रहने और सतर्क रहने के निर्देश दिए गए।
संगठनात्मक सक्रियता
हर मंडल में दो भाईचारा कमेटियां बनाई जाएंगी, विधानसभा स्तर तक संवाद बैठकों का कार्यक्रम तय किया गया है। बूथ स्तर पर घर-घर सदस्यता अभियान चलाया जाएगा। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी भाईचारा मिशन अभियान शुरू करने की तैयारी है।
मायावती ने स्पष्ट किया कि बसपा फिर से सामाजिक न्याय और सम्मान की राजनीति के एजेंडे पर लौट रही है। यदि यह रणनीति सफल होती है, तो उत्तर प्रदेश की सियासत में बसपा एक तीसरा ध्रुव तैयार कर सकती है, जो NDA और MDA दोनों को चुनौती देगा।
