Manmohan Singh Demise: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता, डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) ने बीते दिन दुनिया को अलविदा कह दिया। 92 वर्ष की आयु में उन्होंने दिल्ली के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अपनी अंतिम सांस ली। डॉ. सिंह लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे और उनकी कई बार बाईपास सर्जरी भी हो चुकी थी। उनका निधन देश के लिए एक बड़ी क्षति है, क्योंकि वह भारतीय राजनीति और आर्थिक जगत में एक अनमोल धरोहर थे।
अर्थशास्त्र के विशेषज्ञ और आर्थिक सुधारों के जनक

बताते चले कि, डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को भारतीय अर्थव्यवस्था का मास्टरमाइंड माना जाता था। उनका योगदान भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक मानकों के साथ जोड़ने में महत्वपूर्ण था। उनका करियर अर्थशास्त्र से शुरू हुआ और उन्होंने हमेशा आर्थिक नीतियों में सुधार के लिए काम किया। वर्ष 1982 में उन्हें भारत के केंद्रीय बैंक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) का गवर्नर नियुक्त किया गया। वह इस पद पर 1985 तक रहे। उनके कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए।
इसके पहले, 1972 में डॉ. मनमोहन सिंह ने भारत सरकार के चीफ इकॉनोमिक एडवाइजर के रूप में कार्यभार संभाला था। इस पद पर वह लगभग चार साल तक कार्यरत रहे। इसके बाद 1985 से 1987 तक उन्होंने प्लानिंग कमीशन के अध्यक्ष के रूप में भी अपनी जिम्मेदारी निभाई। उनके नेतृत्व में देश की आर्थिक योजना को नई दिशा मिली।
उच्चतम सम्मान और महत्वपूर्ण सरकारी पद

डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को उनकी आर्थिक सेवाओं के लिए 1987 में पद्म विभूषण से नवाजा गया। इसके बाद 1991 में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री बनाया गया। इस पद पर रहते हुए उन्होंने भारत में आर्थिक सुधारों की नींव रखी, जिसमें भारत की बाजार व्यवस्था को खुले बाजार के अनुरूप ढालने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए। उनकी नीतियों के चलते भारत ने आर्थिक संकट से जूझते हुए वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई। हालांकि, इस दौरान उन्हें विपक्षी नेता अटल बिहारी वाजपेयी और अन्य राजनेताओं की कड़ी आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा।
राजनीतिक सफर और प्रधानमंत्री के रूप में योगदान

कांग्रेस पार्टी ने डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) को राज्यसभा के माध्यम से संसद भेजा था, लेकिन उन्होंने एक बार दिल्ली से लोकसभा चुनाव भी लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद, सोनिया गांधी ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की पेशकश की, और वह 2004 से 2014 तक भारत के प्रधानमंत्री बने। उनके कार्यकाल में भारत ने कई आर्थिक संकटों से उबरते हुए विकास की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
डॉ. मनमोहन सिंह ने देश को कई बार आर्थिक संकट से उबारने में अहम भूमिका निभाई। उनके नेतृत्व में भारत ने वैश्विक मंदी के बावजूद अपनी अर्थव्यवस्था को स्थिर बनाए रखा। आज देश उन्हें उनकी नीतियों और योगदान के लिए याद कर रहा है।
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