Manipur Jiribam Encounter: मणिपुर के जिरीबाम जिले में उग्रवादियों के खिलाफ जारी अभियान में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) को बड़ी सफलता मिली है। सोमवार को हुई इस मुठभेड़ में सीआरपीएफ जवानों ने 11 उग्रवादियों को मार गिराया। इसी दौरान सीआरपीएफ के दो जवान भी घायल हो गए, जिन्हें हेलीकॉप्टर से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। राज्य में पिछले कुछ दिनों से उग्रवादियों द्वारा बढ़ते हमलों के चलते सेना और अन्य सुरक्षाबलों ने व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया है।
एक दिन पहले जिरीबाम जिले में हुआ था अटैक
ताजा घटना से एक दिन पहले जिरीबाम जिले में उग्रवादी हमले और ड्रोन-रॉकेट हमलों में पांच लोग मारे गए थे। इसके बाद सुरक्षा बलों ने इलाके में तलाशी अभियान तेज किया। इस अभियान में भारी मात्रा में हथियार बरामद किए गए हैं, जिनमें स्नाइपर राइफलें, पिस्तौल, मोर्टार, ग्रेनेड और लंबी दूरी के रॉकेट बम शामिल हैं। इस घटना के बाद से पूरे इलाके में सुरक्षा बलों की चौकसी बढ़ा दी गई है।
बढ़ते तनाव के बीच किसान बने निशाना
जिरीबाम में हुई मुठभेड़ के बाद उग्रवादियों ने इम्फाल ईस्ट जिले में भी हमले किए, जिसमें एक किसान घायल हो गया। ये हमले उस वक्त हुए जब किसान अपने खेतों में काम कर रहे थे। घायल किसान को अस्पताल भेजा गया और उसकी स्थिति अब स्थिर बताई जा रही है। इसके अलावा, शनिवार को चुराचांदपुर जिले में एक महिला किसान को भी गोली मार दी गई थी। लगातार हो रहे इन हमलों ने पूरे क्षेत्र में तनाव और भय का माहौल पैदा कर दिया है।
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उग्रवादियों ने घरों में लगाई आग
रविवार को भी सनसाबी, सबुंखोक खुन्नौ, और थम्नापोकपी क्षेत्रों में उग्रवादियों ने गोलीबारी और बम धमाकों से दहशत फैलाई। इस दौरान बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन के अंत्गत आने वाले इलाके जकुराधोर में उग्रवादियों ने तीन से चार घरों में आग भी लगा दी। इसके बाद पुलिस स्टेशन के आसपास सीआरपीएफ, असम राइफल्स और राज्य बलों की तैनाती की गई।
जातीय हिंसा की आग में जल रहा मणिपुर
मणिपुर पिछले साल मई से जातीय हिंसा की आग में जल रहा है। इस हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और हजारों लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हुए हैं। राज्य के पहाड़ी इलाकों में बसे कुकी और इम्फाल घाटी के मैतेई समुदायों के बीच यह संघर्ष जारी है। राज्य के इतिहास में कुकी, नगा, और मैतेई समुदायों के बीच लंबे समय से तनाव रहा है।
मणिपुर में 1990 के दशक से कई उग्रवादी संगठनों का उदय हुआ है। ये संगठन अपने-अपने समुदायों की पहचान की रक्षा और स्वशासन की मांग को लेकर हिंसात्मक गतिविधियों में लिप्त रहे हैं। इसके चलते राज्य में अक्सर हिंसात्मक घटनाएं होती रही हैं, जिससे यहां का सामाजिक और राजनीतिक माहौल अस्थिर बना रहता है।
सुरक्षा बलों ने बढ़ाई चौकसी
इस घटना के बाद राज्य में सुरक्षा बलों की सक्रियता बढ़ाई गई है। प्रशासनिक अधिकारियों का कहना है कि सेना, सीमा सुरक्षा बल और पुलिस ने मिलकर स्थिति पर काबू पाने के लिए संयुक्त प्रयास किए हैं। इसके चलते सीमावर्ती इलाकों में भी सुरक्षा बलों को तैनात किया गया है। ऐसे में मणिपुर की जनता को सुरक्षाबलों से उम्मीद है कि राज्य में जल्द ही शांति बहाल होगी और उग्रवादी गतिविधियों पर लगाम लग सकेगी।