Mahashivratri 2025:हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025 को पड़ रही है। यह विशेष दिन भगवान शिव की पूजा और व्रत के लिए समर्पित होता है। शिव भक्त इस दिन विशेष रूप से भगवान शिव के साथ-साथ मां पार्वती की भी पूजा करते हैं, ताकि वे अपने जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का अनुभव कर सकें। महाशिवरात्रि का पर्व विशेष रूप से विवाह, कारोबार, और परिवारिक खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
महाशिवरात्रि व्रत का धार्मिक महत्व

महाशिवरात्रि का व्रत सच्चे मन से किया जाता है और इस दिन का पालन विधिपूर्वक करना आवश्यक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान शिव की पूजा से भक्तों को अनेक लाभ होते हैं। विशेष रूप से यह व्रत कुंवारी लड़कियों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है, क्योंकि कहा जाता है कि इस दिन व्रत रखने से उन्हें मनचाहा वर प्राप्त होता है। इसके अलावा, इस व्रत को करने से पारिवारिक जीवन में खुशहाली बनी रहती है और भगवान शिव की कृपा से कारोबार में भी वृद्धि होती है।
महाशिवरात्रि के दिन महादेव का विशेष अभिषेक

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव का विशेष अभिषेक किया जाता है। इस दिन शिवलिंग का विधिपूर्वक पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी तरह की बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। महादेव की पूजा करने से विवाह में आ रही समस्याओं का समाधान होता है और शिव जी की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
महाशिवरात्रि और फाल्गुन माह का विशेष संबंध

हालांकि शिवरात्रि का व्रत हर महीने की अमावस्या या चतुर्दशी तिथि को किया जाता है, लेकिन महाशिवरात्रि विशेष रूप से फाल्गुन माह में मनाई जाती है। फाल्गुन माह का भगवान शिव से गहरा संबंध है। यह माह विशेष रूप से शिव पूजा के लिए उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भगवान शिव का ध्यान और उपासना अधिक फलदायी मानी जाती है।
महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है?

महाशिवरात्रि का महत्व सिर्फ एक दिन की पूजा तक सीमित नहीं है। इसे विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना का दिन माना जाता है, जो जीवन के हर पहलू को संतुलित करने की शक्ति रखते हैं। शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और वह मोक्ष प्राप्त करने की दिशा में एक कदम और बढ़ता है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि को भगवान शिव की तांडव लीला का दिन भी माना जाता है, जब उन्होंने संसार की रचनात्मक शक्ति को नियंत्रित किया था।