Swami Avimukteshwaranand Saraswati :शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के निमंत्रण पर ज्योतिर्मठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती (Jyotirmath Swami Avimukteshwarananda Saraswati) ‘मातोश्री’ पहुंचे और उनके साथ बैठक की. इस मुलाकात के बाद स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मीडिया से बातचीत की और कहा कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के साथ विश्वासघात हुआ है, जिससे उन्हें और कई अन्य लोगों को दुःख हुआ है. उन्होंने कहा कि यह दुःख तब तक नहीं जाएगा जब तक उद्धव ठाकरे पुनः महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री नहीं बन जाते.
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असली हिंदुत्व क्या है?

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि असली हिंदुत्व क्या है, इसे समझना जरूरी है. उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति विश्वासघात करता है, वह हिंदू नहीं हो सकता और जो व्यक्ति विश्वासघात सहन करता है, वह सच्चा हिंदू है. उन्होंने उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के साथ हुए विश्वासघात पर अपने दुख को प्रकट करते हुए कहा कि जब तक उद्धव ठाकरे पुनः मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान नहीं हो जाते, तब तक उनके मन की पीड़ा दूर नहीं होगी.
‘विश्वासघात को सबसे बड़े पापों में से एक बताया’

न्यूज ऐजेंसी के अनुसार, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि वे हिंदू धर्म के अनुयायी हैं और ‘पुण्य’ तथा ‘पाप’ में विश्वास करते हैं. उन्होंने विश्वासघात को सबसे बड़े पापों में से एक बताया और कहा कि यही पाप उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के साथ हुआ है. स्वामीजी ने उद्धव ठाकरे के आमंत्रण पर आने और स्वागत किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने उद्धव ठाकरे के साथ हुए विश्वासघात पर दुख व्यक्त किया.
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‘पूरे महाराष्ट्र की जनता इस विश्वासघात से पीड़ित’
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि पूरे महाराष्ट्र की जनता इस विश्वासघात से पीड़ित है और सभी के मन में इस बात का दर्द है. उन्होंने कहा कि चुनावों में भी यह बात स्पष्ट हो चुकी है कि महाराष्ट्र की जनता इस बात को मानती है कि उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के साथ विश्वासघात हुआ है. स्वामीजी ने जोर देकर कहा कि जब तक उद्धव ठाकरे पुनः मुख्यमंत्री नहीं बनते, तब तक लोगों के मन का दर्द दूर नहीं होगा.
‘राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं’
उन्होंने जनता के अनादर की निंदा की और कहा कि जनता जिसके लिए बहुमत देती है, उसे उसके समय तक बनाए रखना चाहिए. बीच में सरकार को तोड़ देना और जनमत का अनादर करना उचित नहीं है. उन्होंने कहा कि राजनीति से उनका कोई लेना-देना नहीं है, लेकिन विश्वासघात को पाप बताया गया है और इस बारे में किसी न किसी को बोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह राजनेताओं का काम नहीं है, बल्कि धर्माचार्यों का कर्तव्य है कि वे इस पाप के बारे में बोलें.
‘वे हमारे दुश्मन नहीं..’

बताते चले कि जब उनसे अनंत अंबानी की शादी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आशीर्वाद दिए जाने के बारे में पूछा गया, तो शंकराचार्य ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमारा आशीर्वाद लिया और हमने उन्हें दिया. वे हमारे दुश्मन नहीं हैं. हम प्रधानमंत्री मोदी के शुभचिंतक हैं.”
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