Maharashtra Elections: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में महायुति (भाजपा-शिवसेना-अजित पवार गुट) ने 288 सदस्यीय विधानसभा में शानदार प्रदर्शन करते हुए 235 सीटों पर कब्जा जमाया। दूसरी ओर, विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस-एनसीपी शरद गुट-शिवसेना उद्धव गुट) को सिर्फ 54 सीटों पर संतोष करना पड़ा।
महाविकास अघाड़ी के खराब प्रदर्शन में सबसे ज्यादा नुकसान एनसीपी शरद गुट को हुआ, जिसे मात्र 10 सीटें मिलीं। शिवसेना उद्धव गुट ने 20 सीटें और कांग्रेस ने केवल 16 सीटों पर जीत दर्ज की।
शरद पवार ने मानी हार, अजित का पलड़ा भारी
एनसीपी शरद गुट के प्रमुख शरद पवार ने महाराष्ट्र चुनाव में महाविकास अघाड़ी की हार को स्वीकार करते हुए कहा कि नतीजे उनकी उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहे। कराड में आयोजित एक बैठक में उन्होंने कहा,”यह जनता का फैसला है, जिसे हमें स्वीकार करना होगा। हमें चुनाव परिणामों के कारणों का गहराई से अध्ययन करना होगा और जनता के बीच जाकर उनकी अपेक्षाओं को समझना होगा।” शरद पवार ने यह भी माना कि अजित पवार का कद इस चुनाव में बढ़ा है। उन्होंने कहा, “हर कोई जानता है कि एनसीपी का संस्थापक कौन है। अजित पवार को अधिक सीटें मिलीं, लेकिन यह पार्टी के भविष्य पर सवाल नहीं उठाता।”
बारामती में युगेंद्र पवार को मैदान में उतारना रहा सही निर्णय

शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार के खिलाफ बारामती सीट पर युगेंद्र पवार को उम्मीदवार बनाने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि वहां किसी न किसी को चुनाव लड़ना ही था। हालांकि, इस निर्णय के बाद भी एनसीपी शरद गुट को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी। इससे पहले लोकसभा चुनाव 2024 में अजित पवार गुट को सिर्फ एक सीट मिली थी, जबकि एनसीपी शरद गुट ने आठ सीटों पर जीत दर्ज की थी। उस समय अजित पवार के राजनीतिक भविष्य पर सवाल उठाए जा रहे थे। लेकिन विधानसभा चुनाव में बाजी पलट गई। अजित गुट ने 39 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि शरद गुट सिर्फ 12 सीटों तक सीमित रह गया। अजित पवार गुट के मत प्रतिशत में 7% की बढ़ोतरी हुई है, जो उनके पक्ष में मजबूत संकेत है।
Read more: Maharashtra: महाराष्ट्र में सरकार का चेहरा तय करना BJP के लिए बड़ी चुनौती; मराठा, ओबीसी या फडणवीस?
महिला वोटरों ने किया महायुति का समर्थन
शरद पवार ने चुनाव में महिला मतदाताओं की बड़ी भागीदारी को महायुति की जीत का एक प्रमुख कारण बताया। उन्होंने कहा,”महिला वोटर्स ने महायुति के लिए बड़ी संख्या में मतदान किया। हमें उनकी अपेक्षाओं को समझने और अपनी रणनीति में बदलाव लाने की जरूरत है।” विधानसभा चुनाव के नतीजों ने अजित पवार को मजबूती दी है। एनसीपी के कई नेता अब उनके खेमे में जाने का रुख कर सकते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अजित का बढ़ता दबदबा शरद पवार के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है।
जनता से दोबारा जुड़ने की तैयारी में है शरद पवार
\

शरद पवार ने हार के बाद संकेत दिए कि उनकी पार्टी जनता के बीच जाकर उनकी अपेक्षाओं को समझने की कोशिश करेगी। उन्होंने कहा,”हमारे पास अभी भी जनता से जुड़ने का समय है। हमें मेहनत करनी होगी और महाविकास अघाड़ी को मजबूत करना होगा।” वहीँ दूसरी तरफ अजित पवार ने अपने गुट को मजबूत करते हुए राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। अब देखना यह होगा कि शरद पवार और उनका गुट इस चुनौती का सामना कैसे करता है और 2029 के चुनावों के लिए क्या रणनीति अपनाता है।