Maharashtra Election 2024: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को बड़ी राहत दी है। भाजपा ने 288 सीटों में से 132 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है। हालांकि, बहुमत के लिए 13 सीटों की कमी रह गई है, लेकिन चुनाव में भाजपा का शानदार प्रदर्शन सियासी समीकरणों को नया मोड़ दे रहा है। महाराष्ट्र की राजनीति में मराठा और ओबीसी समुदाय के बीच संतुलन साधना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बनकर उभरा है। लोकसभा चुनाव में मराठा आरक्षण के सवाल पर इन दोनों समुदायों के बीच तालमेल न बना पाने की कीमत भाजपा को चुकानी पड़ी थी। इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इन समुदायों को साधने की पूरी कोशिश की, जिसका नतीजा उसे भारी समर्थन के रूप में मिला।
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महाराष्ट्र में शानदार प्रदर्शन, बीजेपी ने बढ़ाया आत्मविश्वास
भाजपा ने इस बार 149 सीटों पर चुनाव लड़ा और 90% से अधिक की स्ट्राइक रेट के साथ 132 सीटों पर कब्जा जमाया। पार्टी का यह प्रदर्शन उसकी रणनीति और संगठन की ताकत को दर्शाता है। इससे पहले 2010 के बिहार चुनाव में भी भाजपा ने 90% स्ट्राइक रेट हासिल किया था। हालांकि, बहुमत से 13 सीट दूर होने के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर चेहरे को लेकर सियासत गरमाने लगी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी एक बार फिर देवेंद्र फडणवीस पर दांव लगाएगी या मराठा और ओबीसी समीकरण को साधने के लिए कोई नया चेहरा सामने लाएगी। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के नेतृत्व वाला महा विकास अघाड़ी (MVA) 46 सीटों तक सिमट गया। शिवसेना (उद्धव ठाकरे) को 20, कांग्रेस को 16 और एनसीपी (शरद पवार) को 10 सीटें मिलीं, जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) को 2 सीटें मिलीं। 10 सीटें अन्य दलों के खाते में गईं।

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने यह कहा कि तीनों पार्टियां मिलकर राज्य का अगला मुख्यमंत्री तय करेंगी। इसके पहले, फडणवीस ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट किया था जिसमें लिखा था, “एक हैं तो सेफ हैं।” महायुति में बीजेपी, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) और एनसीपी (अजित पवार) शामिल हैं, जबकि महाविकास अघाड़ी में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) और एनसीपी (शरद पवार) हैं। महाराष्ट्र विधानसभा की 288 सीटों पर 20 नवंबर को मतदान हुआ था। इस बार 2019 के मुकाबले 4% अधिक मतदान हुआ। 2019 में जहां 61.4% वोट पड़े थे, वहीं इस बार 65.11% मतदान दर्ज किया गया।
महायुति को मिला प्रचंड समर्थन, एमवीए को मिला झटका
महायुति (भाजपा-शिवसेना-एनसीपी) ने इस बार 15% अधिक वोट शेयर के साथ विपक्षी महा विकास आघाड़ी (एमवीए) को करारी शिकस्त दी। लोकसभा चुनाव में जहां दोनों गठबंधनों को लगभग बराबर वोट मिले थे, वहीं इस बार विधानसभा चुनाव में महायुति को व्यापक समर्थन मिला। महिला, बुजुर्ग, और युवाओं को केंद्र में रखकर चलाई गई योजनाओं का प्रभाव साफ नजर आया। मुख्यमंत्री शिंदे की “माझी लाडकी बहिन योजना” और “बटेंगे तो कटेंगे” जैसे नारों ने शिवसेना (यूबीटी) के मतदाताओं को भी प्रभावित किया।

इस चुनाव में एनसीपी (अजीत पवार गुट) ने बड़ा असर डाला। अजीत पवार ने अपने चाचा शरद पवार के वोट बैंक में सेंध लगाते हुए अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई। इससे एनसीपी शरद गुट कमजोर होता दिखा। महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों में हरियाणा की झलक साफ दिखाई दी। लोकसभा चुनाव के मुकाबले महाराष्ट्र में इस बार 4% अधिक मतदान हुआ। भाजपा और संघ ने अपनी जमीनी कार्यकर्ताओं की ताकत झोंक दी, जिससे पार्टी समर्थकों को मतदान केंद्रों तक लाने में सफलता मिली।
मुख्यमंत्री पद: आखिर किसे मिलेगा ताज?
मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट), और एनसीपी (अजीत पवार गुट) के बीच सहमति की जरूरत है। मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा है कि मुख्यमंत्री का चेहरा महायुति की बैठक में तय होगा। शिंदे का कहना है, “महायुति ने जो फैसले लिए और जो काम किया, उसका परिणाम हमारे सामने है। मुख्यमंत्री कौन बनेगा, यह मिलकर तय करेंगे।”
महाराष्ट्र में भी भाजपा का बढ़ता दबदबा
महाराष्ट्र चुनाव ने भाजपा को एक बार फिर राज्य की राजनीति में मजबूत किया है। हालांकि, बहुमत से कुछ कदम दूर रहने के बावजूद भाजपा को अपने सहयोगियों के साथ सामंजस्य बिठाना होगा। मराठा और ओबीसी समीकरण साधने के साथ-साथ महायुति के भीतर समन्वय बनाए रखना पार्टी के लिए चुनौती होगी। अब देखना यह होगा कि महायुति की यह जीत 2024 के लोकसभा चुनाव में क्या रंग लाएगी।