Mahakumbh Stampede:प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 के दौरान मौनी अमावस्या के दिन संगम तट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा हुई, जिससे भगदड़ मच गई। इस हादसे में 30 श्रद्धालुओं की मौत हो गई और 90 से अधिक लोग घायल हो गए। यह घटना प्रशासन की तमाम तैयारियों के बावजूद हुई, जिससे यह सवाल उठता है कि इतनी बड़ी चूक कैसे हुई। आइए जानते हैं इस भगदड़ के कारण और प्रशासन की चूक के बारे में।
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होल्डिंग एरिया का अपर्याप्त उपयोग

महाकुंभ में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने होल्डिंग एरिया बनाए थे, लेकिन इनका उपयोग ठीक से नहीं किया गया। जब श्रद्धालु देर रात संगम की ओर बढ़ने लगे, तो उन्हें सही तरीके से व्यवस्थित नहीं किया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि रात 9 बजे से संगम तट पर भीड़ उमड़ने लगी और भगदड़ की स्थिति उत्पन्न हो गई।
वन-वे प्लान का नाकाम होना

प्रशासन ने महाकुंभ के स्नान के लिए एक वन-वे प्लान बनाया था, जिसके तहत श्रद्धालुओं को निर्धारित मार्गों से संगम तट पर भेजना था। हालांकि, यह योजना काम नहीं आई और श्रद्धालु एक ही रास्ते से आ-जा रहे थे, जिससे रास्ते पर भीड़ जमा हो गई और हादसा हो गया।
पांटून पुलों का बंद रहना

महाकुंभ में श्रद्धालुओं के लिए 30 पांटून पुल तैयार किए गए थे, लेकिन इनमें से 10 से अधिक पुल बंद रहे, जिससे झूंसी से आने वाले श्रद्धालुओं को पैदल यात्रा करनी पड़ी। बुजुर्ग और महिलाएं थककर संगम तट पर रुक गए, जिसके कारण भीड़ बढ़ी और भगदड़ मची।
प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग की समस्या

प्रशासन ने कई प्रमुख रास्तों पर बैरिकेडिंग की थी, जिससे श्रद्धालुओं को चलने में कठिनाई हुई। वे थककर संगम के किनारे बैठ गए और जल्दी नहीं निकलना चाहते थे। यह भी एक बड़ी वजह रही, जिससे स्थिति और बिगड़ी।
सुरक्षा बलों का दूर होना

महाकुंभ के सेक्टर-10 में सीआईएसएफ का कैंप था, लेकिन अन्य सेक्टरों में सुरक्षा बलों के कैंप नहीं थे। जब भगदड़ मची, तो कंपनी को बुलाने में समय लगा, जिससे स्थिति और बिगड़ी। अगर हर सेक्टर में सुरक्षा बलों का कैंप होता, तो इस स्थिति को जल्दी नियंत्रित किया जा सकता था।
श्रद्धालुओं को देर से भेजना

मौनी अमावस्या के दिन श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त में संगम तट पर स्नान करने के लिए पहुंचे, लेकिन प्रशासन ने उन्हें रात 8 बजे से संगम तट की ओर भेजना शुरू किया। अगर प्रशासन श्रद्धालुओं को पहले ही व्यवस्थित तरीके से भेजता, तो भगदड़ की स्थिति से बचा जा सकता था।
प्रशासन का बयान और बदलाव

महाकुंभ मेला अधिकारी विजय किरन आनंद और डीआईजी महाकुंभ वैभव कृष्ण ने बताया कि हादसे के समय श्रद्धालु अफरा-तफरी में बैरिकेडिंग तोड़कर नीचे सो रहे थे, और उनके ऊपर अन्य श्रद्धालु चढ़ गए, जिससे यह हादसा हुआ। इसके बाद प्रशासन ने कई अहम बदलाव किए हैं, जैसे नो व्हीकल जोन, वीवीआईपी पास कैंसिल करना, और वन-वे रूट का सख्ती से पालन कराना।