प्रयागराज में हर साल की तरह इस बार भी महाकुंभ (Mahakumbh ) माघ पूर्णिमा के अवसर पर संगम तट पर लाखों श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया। माघ पूर्णिमा का दिन विशेष रूप से महत्व रखता है, और इस दिन संगम में डुबकी लगाने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंचे। इस ऐतिहासिक स्नान के दौरान लाखों लोगों की भीड़ को व्यवस्थित और सुरक्षित तरीके से संभालने के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए थे।
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महाकुंभ की महाव्यवस्था

महाकुंभ माघ पूर्णिमा के मौके पर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य, और सुविधा के लिए कड़े इंतजाम किए थे। 10000 से ज्यादा पुलिसकर्मियों की तैनाती के साथ-साथ 40 SDRF (State Disaster Response Force) की टीमों को भी तैयार रखा गया था।
इसके अलावा, मेडिकल सुविधाएं, बुनियादी ढांचा, और जल यातायात के लिए भी व्यवस्था की गई थी।इस विशाल आयोजन को शांतिपूर्ण और व्यवस्थित बनाने के लिए प्रयागराज प्रशासन ने श्रावकों के लिए मार्गदर्शन व्यवस्था बनाई थी, जिससे श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के संगम तक पहुँच सकें। श्रद्धालुओं के लिए सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा गया था, और किसी भी आपातकालीन स्थिति में SDRF टीमों को तैनात किया गया था।

श्रद्धालुओं का स्नान और सुरक्षा के इंतजाम
माघ पूर्णिमा पर लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने पहुंचे। संगम तट पर स्नान के बाद लोगों ने अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए पूजा-अर्चना की। प्रशासन ने इस दिन की महत्ता को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को बेहद कड़ा किया। श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ड्रोन कैमरों और सीसीटीवी कैमरों की निगरानी भी की जा रही थी।इस दिन के दौरान, न केवल पुलिसबल बल्कि कई एनजीओ और स्वयंसेवकों की टीमों ने भी श्रद्धालुओं की मदद की। विभिन्न स्थानों पर जलपान की सुविधा और शौचालयों की व्यवस्था की गई थी, ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के इस धार्मिक अवसर का हिस्सा बन सकें।
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पर्यावरण सुरक्षा का ध्यान

महाकुंभ माघ पूर्णिमा स्नान के दौरान पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। प्रशासन ने धार्मिक आयोजन के साथ-साथ पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए। संगम तट पर कूड़े के निपटान के लिए डस्टबिन और कचरा संग्रहण केंद्र लगाए गए थे, जिससे श्रद्धालु अपने कचरे को सही स्थान पर डाल सकें।
इसके अलावा, कचरा निस्तारण और सफाई के लिए सफाई कर्मचारियों की तैनाती की गई। पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पॉलिथीन और प्लास्टिक के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगाया गया, ताकि नदियों और तटों पर प्रदूषण को रोका जा सके। इस पहल से यह सुनिश्चित हुआ कि महाकुंभ के दौरान धार्मिक आस्थाओं के साथ-साथ प्राकृतिक संसाधनों की भी रक्षा की जा सके।