Mahakumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ (Mahakumbh) के दौरान एक नई और अनोखी पहल सामने आई है। सोमवार को महाकुंभ नगर के सेक्टर-2 स्थित मीडिया सेंटर के पास यूपी के पहले डबल डेकर बस रेस्तरां “पंपकिन” का उद्घाटन किया गया। इस मौके पर बस रेस्तरां के संस्थापक मनवीर गोदरा ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि इस रेस्तरां में दो मंजिलें हैं। ग्राउंड फ्लोर और फर्स्ट फ्लोर पर शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन उपलब्ध कराया जाएगा, जहां एक साथ 25 लोग बैठकर भोजन का आनंद ले सकते हैं।
भोजन की दर किफायती

मनवीर गोदरा ने कहा कि पंपकिन ब्रांड की लॉन्चिंग महाकुंभ (Mahakumbh) मेले से की जा रही है, और आने वाले समय में इसे काशी, मथुरा, अयोध्या जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर भी स्थापित किया जाएगा। इस रेस्तरां में भोजन की दर किफायती रखी गई है और यहां विशेष अवसरों पर उपवास का खाना भी उपलब्ध होगा। इसके अलावा, बस के अंदर और बाहर लगी एलईडी स्क्रीन पर महाकुंभ से संबंधित धार्मिक फिल्मों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
महाकुंभ और भारतीय धार्मिक परंपराओं की एक अद्वितीय झलक
बताते चले कि, कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है, जो हजारों सालों पुराना है। महाकुंभ मेला विशेष रूप से प्रयागराज में आयोजित होता है और यह विश्वभर में प्रसिद्ध है। हर बारह साल में यह मेला विशेष ज्योतिषीय संयोगों के आधार पर आयोजित होता है, जहां लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं। इस मेले का इतिहास ह्वेन त्सांग जैसे यात्रियों द्वारा भी वर्णित किया गया है, जिन्होंने इस आयोजन को धार्मिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना।

महाकुंभ न केवल एक धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भारतीय समाज की सामूहिक आस्था, संघर्ष और एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्धि और विविधता को दर्शाता है, जो हर बार इस अद्वितीय आयोजन के माध्यम से जीवित होती है।
नागा साधुओं की पेशवाई: भारतीय वीरता और आस्था का प्रतीक

महाकुंभ (Mahakumbh) में एक और प्रमुख आकर्षण नागा साधुओं की पेशवाई होती है, जो न केवल धार्मिक आस्था, बल्कि भारतीय वीरता और संघर्ष का भी प्रतीक है। इन साधुओं ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए कई आक्रमणों का सामना किया, जिनमें 17वीं शताब्दी का अफगान आक्रमण प्रमुख था। उनकी पेशवाई में भागीदारी भारतीय वीरता और धार्मिक अनुशासन का परिचायक है, जो हर साल महाकुंभ में श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।