Maha Kumbh 2025:प्रयागराज में महाकुंभ 2025 (Maha Kumbh 2025) के दौरान बढ़ती श्रद्धालु भीड़ ने शहर की सड़कों पर जाम की स्थिति उत्पन्न कर दी। शाम के लगभग साढ़े पांच बजे जानसेनगंज से लीडर रोड तक सड़क पूरी तरह से भीड़ से जाम हो चुकी थी, जिससे श्रद्धालु आगे नहीं बढ़ पा रहे थे। यात्री आश्रय स्थल (सप्लाई प्वाइंट्स) मिनटों में भर गए, और सिविल लाइंस की ओर भी हजारों लोग स्टेशन की दिशा में बढ़ने लगे। स्थिति इतनी विकट हो गई कि प्रयागराज जंक्शन की ओर आने वाली तीन किलोमीटर की सड़क का हाल एक टीथर्ड ड्रोन से नजर में आया, जिससे प्रशासन को तत्काल अलर्ट जारी करने की आवश्यकता महसूस हुई।
मौनी अमावस्या जैसी भीड़ की स्थिति

गूगल मैप्स पर लाल रेखाओं से स्पष्ट हो गया कि भीड़ बहुत अधिक बढ़ चुकी थी, और यह स्थिति मौनी अमावस्या की भीड़ जैसी प्रतीत हो रही थी। जब भीड़ और जाम की स्थिति पर नियंत्रण पाना मुश्किल हो गया, तो रेलवे ने तत्काल आपातकालीन योजना लागू कर दी।
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रेलवे का आपातकालीन प्लान और रूट डायवर्जन

रेलवे ने शाम लगभग छह बजे जानसेनगंज से स्टेशन की ओर जाने वाले लीडर रोड मार्ग को बंद कर दिया। बैरिकेडिंग के दौरान यात्रियों से झड़प भी हुई, लेकिन फिर भी रेलवे ने कड़ाई से रोड बंद कर दिया। इसके साथ ही डायवर्ट रूट पर जाने वाली सड़कों को भी ब्लॉक कर दिया गया। बेनीगंज पुल के नीचे स्थित मार्गों पर भी हालत बहुत खराब हो गए थे। यात्री लकड़ी और टीन से बंद की गई सड़कों के रास्ते को चौक से सुखरोबाग तक पहुंचने के लिए भेजे जाने लगे।
यात्रियों के लिए कठिन रास्ते

सुलेमसरांय से नकास कोहना जा रही रीना शर्मा ने बताया कि मुडेरा, सुलेम सरांय और धूमनगंज का पूरा रास्ता जाम हो गया था। किसी तरह बेनीगंज पुल से नीचे उतरी तो हालत और भी कठिन हो गए थे। यात्रियों को लेकर जा रही गाड़ियों को बहुत समय लगा, और ऐसा महसूस हो रहा था जैसे यह मौनी अमावस्या वाली भीड़ का दृश्य हो।
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रेलवे ने 100 से अधिक विशेष ट्रेनों का संचालन किया

भीड़ और जाम की स्थिति से निपटने के लिए रेलवे ने ताबड़तोड़ 100 से अधिक विशेष ट्रेनों का संचालन शुरू किया। ट्रेनें दिशावार भेजी जा रही थीं ताकि भीड़ को सही तरीके से संभाला जा सके। हालांकि, जिस गति से भीड़ हटती, उतनी ही तेजी से नई भीड़ आती थी। इसके कारण आश्रय स्थलों पर भी यात्री जल्दी से भर रहे थे।
श्रद्धालुओं का रेला और कठिन हालात

डायवर्ट रूट पर श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ने लगी, जिससे चौकी पर पहले से मौजूद भीड़ के साथ हालत और अधिक कठिन हो गए। रेलवे और प्रशासन को इन स्थितियों से निपटने के लिए निरंतर प्रयास जारी रखने पड़े, ताकि यात्रियों को किसी प्रकार की असुविधा का सामना न हो।