महाकुंभ में कथावाचक जया किशोरी जी ने श्रद्धालुओं को ‘हंस’ बनने का मंत्र दिया, जो एक गहरी आध्यात्मिक शिक्षा का प्रतीक है। ‘हंस’ को भारतीय संस्कृति में आत्मा की शुद्धता और उच्चतम अवस्था का प्रतीक माना जाता है। जया किशोरी जी का यह संदेश इस बात की ओर इशारा करता है कि जैसे हंस सिर्फ अमृत का सेवन करता है और सभी नकारात्मकताओं को छोड़ देता है, वैसे ही हमें अपने जीवन में भी केवल शुद्ध और सकारात्मकता को अपनाना चाहिए।
उनका यह उपदेश आत्म-संयम, सत्य और प्रेम की दिशा में एक उच्च जीवन जीने की प्रेरणा देता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में इस हंस-like अवस्था को अपनाकर आध्यात्मिक उन्नति की ओर बढ़ें। यह संदेश जीवन को सरल, शुद्ध और उद्देश्यपूर्ण बनाने की ओर एक प्रेरणा है।
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साधना में ‘हंस’ मंत्र का महत्व
भारतीय साधना में हंस को बहुत महत्व दिया जाता है, और उसे शुद्धता, निर्विकारता, और सर्वोच्च आत्मज्ञान का प्रतीक माना जाता है। हंस का यह गुण कि वह केवल अमृत ग्रहण करता है और शेष सब कुछ छोड़ देता है, हमें यह सिखाता है कि जीवन में हम भी वही ग्रहण करें जो हमारे लिए सही, शुद्ध और सकारात्मक हो, और बाकी सब नकरात्मकता, धोखाधड़ी या अन्य बुराइयों को छोड़ दें।
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जीवन में शांति, प्रेम, और संतुलन ‘हंस’ मंत्र
कथावाचक जया किशोरी का यह उपदेश हमें अपने जीवन में शांति, प्रेम, और संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। उनका कहना है कि हमें अपने आत्मिक विकास के मार्ग पर चलने के लिए अच्छे और सकारात्मक कर्म करने चाहिए। इसके माध्यम से हम अपने जीवन को उच्च आध्यात्मिक स्थिति में पहुंचा सकते हैं, जहां शांति और संतुष्टि का अनुभव होता है।
‘हंस’ बनने का मंत्र वास्तव में हमारे जीवन को एक नई दिशा देने की शक्ति रखता है, जिससे हम अपने भीतर की शुद्धता को पहचान सकें और एक संतुलित, सुकून भरी जिंदगी जी सकें। आगे उनका कहा…. हंस केवल अमृत को ग्रहण करता है, और यही विचार हमें अपनी जीवन यात्रा में केवल सकारात्मकता और अच्छाई को स्वीकार करने की प्रेरणा देता है। वह हमें यह सिखाती हैं कि हमें अपने विचारों, कार्यों और दृष्टिकोण में शुद्धता लानी चाहिए, ताकि हम अपने आत्मिक विकास की ओर बढ़ सकें।
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जया ने कहा….. नकरात्मकताओं से बचने बने आत्मनिर्भर

यह मंत्र, जो हमें संसार की नकरात्मकताओं से बचने और आत्मनिर्भर बनने की बात करता है, वास्तव में एक गहरे आध्यात्मिक संदेश को व्यक्त करता है। वह चाहती हैं कि हम अपने जीवन में केवल उन चीजों को अपनाएं जो हमारे जीवन के उद्देश्य और आत्मिक शांति के लिए फायदेमंद हों, जबकि निरर्थक और नकारात्मक चीजों से दूरी बनाए रखें।इसके जरिए वह हमें यह भी सिखाती हैं कि आध्यात्मिक रूप से जागरूक बनने के लिए हमें अपने भीतर के शुद्ध विचारों और सकारात्मक दृष्टिकोण को अपनाना होगा। यह मंत्र हमें आत्मविश्वास और संतुलन प्रदान करता है, जिससे हम जीवन के हर पहलु में शांति और सुख का अनुभव कर सकते हैं।