Mahakumbh 2025: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में 2025 की पहली कड़ी में महाकुंभ (Mahakumbh)के विषय पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर हो रहा है और यह एक ऐसा आयोजन है, जो न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को आकर्षित करता है। इस बार महाकुंभ में कई दिव्य योग बन रहे हैं, जो इसे और भी विशेष बना रहे हैं। प्रधानमंत्री ने इसे ‘विविधता में एकता’ का उत्सव करार दिया, जहां दुनिया भर के लोग एकत्रित हो रहे हैं।
कुंभ में भेदभाव और जातिवाद का अंत

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर भी जोर दिया कि महाकुंभ एक ऐसा आयोजन है, जिसमें अमीर और गरीब, उच्च और निम्न जाति के लोग एक समान होते हैं। यहां कोई भेदभाव नहीं होता, सभी लोग संगम की पवित्र रेती पर आकर नदियों में डुबकी लगाते हैं और एक साथ भंडारों में भोजन करते हैं। उन्होंने कहा कि महाकुंभ का यह रूप भारत की सांस्कृतिक एकता और समरसता का प्रतीक है। यह दिखाता है कि हजारों साल पुरानी इस परंपरा में जातिवाद और भेदभाव की कोई जगह नहीं है।
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युवाओं की भागीदारी और सभ्यता से जुड़ाव

प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ में युवाओं की बढ़ती भागीदारी का भी जिक्र किया। उन्होंने खुशी जाहिर की कि इस बार के महाकुंभ में युवा बड़ी संख्या में भाग ले रहे हैं और यह एक सकारात्मक संकेत है। जब युवा पीढ़ी अपनी सभ्यता और संस्कृति से जुड़ती है, तो न केवल उसकी जड़ें मजबूत होती हैं, बल्कि उसका भविष्य भी उज्जवल होता है। महाकुंभ के दौरान युवा अपनी संस्कृति के प्रति गर्व महसूस कर रहे हैं, जो एक सकारात्मक बदलाव है।
डिजिटल दुनिया में महाकुंभ की वैश्विक लोकप्रियता

प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ के डिजिटल पहलू की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि इस बार महाकुंभ का डिजिटल फुटप्रिंट पहले से कहीं ज्यादा बड़ा है। यह एक ऐतिहासिक परिवर्तन है, जहां महाकुंभ की पूरी दुनिया में लोकप्रियता बढ़ी है। इंटरनेट और सोशल मीडिया के जरिए अब पूरी दुनिया इस धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व को देख रही है, जो हर भारतीय के लिए गर्व की बात है।
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कुंभ: भारत की सांस्कृतिक धरोहर
प्रधानमंत्री मोदी ने महाकुंभ को भारत की सांस्कृतिक धरोहर और समृद्ध परंपराओं का एक अद्वितीय उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला भारत के विभिन्न हिस्सों से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं का एक अद्भुत संगम है। यह पर्व न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया में एकता, शांति और भाईचारे का संदेश देता है।