Maha Kumbh 2025 : महाकुंभ (Mahakumbh 2025) का आयोजन इस बार ऐतिहासिक बनता हुआ दिखाई दे रहा है। संगम में स्नान के लिए आ रहे श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ रही है, और अब यह आंकड़ा 50 करोड़ के पार पहुंचने की ओर बढ़ रहा है। माघी पूर्णिमा स्नान के बाद, बुधवार को लगभग 2 करोड़ 4 लाख श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई, जिससे कुल संख्या 48.29 करोड़ तक पहुंच गई। गुरुवार तक यह आंकड़ा 50 करोड़ के पार जा सकता है। इस विशाल संख्या का अनुमान पहले 45 करोड़ श्रद्धालुओं का था, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है।
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महाकुंभ में रिकॉर्ड स्नान और श्रद्धालुओं की तात्कालिक भागीदारी
महाकुंभ का आयोजन इस बार अपूर्व तरीके से हुआ है। श्रद्धालु, साधु-संत, कल्पवासी और गृहस्थ सभी त्रिवेणी संगम में अमृत पान करने के लिए आ रहे हैं। हालात यह हैं कि महाकुंभ के समापन में अब सिर्फ 13 दिन और एक महत्वपूर्ण स्नान पर्व बाकी है। सरकार और प्रशासन के अनुमान के अनुसार, आने वाले दिनों में श्रद्धालुओं की संख्या में और वृद्धि हो सकती है, और महाशिवरात्रि के दौरान यह संख्या और भी बढ़ने की संभावना है।

महाशिवरात्रि पर एक करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के संगम में स्नान करने का अनुमान है। इस दिन की विशिष्टता को देखते हुए यह दिन महाकुंभ के लिए महत्वपूर्ण है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पहले ही इस साल के महाकुंभ को भव्य और दिव्य बताते हुए श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड टूटने की भविष्यवाणी की थी।
महाकुंभ के समापन तक श्रद्धालुओं की भारी संख्या

महाकुंभ के इस धार्मिक आयोजन में अब भी 13 दिन शेष हैं, और इस दौरान छह से सात करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना जताई जा रही है। तीनों अमृत स्नान— मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी— के बाद भी श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। मौनी अमावस्या पर आठ करोड़ श्रद्धालुओं ने पवित्र संगम में स्नान किया, वहीं मकर संक्रांति पर 3.5 करोड़ श्रद्धालु अमृत स्नान में शामिल हुए। वसंत पंचमी पर 2.57 करोड़ श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगाई।
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असाधारण श्रद्धालु और धार्मिक यात्रा

महाकुंभ के दौरान धर्म, आस्था और आध्यात्मिकता के प्रतीक के रूप में कई प्रमुख लोग भी पवित्र त्रिवेणी में स्नान करने पहुंचे। इनमें से एक प्रमुख नाम है क्रिकेट के महान खिलाड़ी अनिल कुंबले का। वह बिना किसी वीआईपी प्रोटोकॉल के अपने परिवार के साथ प्रयागराज पहुंचे और माघी पूर्णिमा पर संगम में डुबकी लगाई। यह उनके जीवन का एक अनूठा अनुभव था, जिसे उन्होंने धार्मिक रूप से महसूस किया।