Bangladesh Jeshoreshwari Temple: बांग्लादेश (Bangladesh) के सतखिरा जिले के श्यामनगर स्थित जेशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Temple) से मां काली का मुकुट चोरी हो गया है. यह मुकुट मार्च 2021 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनकी बांग्लादेश यात्रा के दौरान उपहार स्वरूप मंदिर को दिया गया था. बता दे कि चोरी की यह घटना गुरुवार को दोपहर 2 बजे से 2:30 बजे के बीच हुई, जब मंदिर के पुजारी दिलीप मुखर्जी पूजा समाप्त कर मंदिर से बाहर गए थे.
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चोरों ने किया सांस्कृतिक धरोहर का अपहरण

एक रिपोर्ट के अनुसार, जब सफाई कर्मचारी मंदिर पहुंचे तो उन्होंने पाया कि मां काली की प्रतिमा के सिर से मुकुट गायब था. मंदिर प्रशासन ने तुरंत इस घटना की सूचना श्यामनगर पुलिस स्टेशन को दी. श्यामनगर पुलिस के इंस्पेक्टर ताइज़ुल इस्लाम ने बताया कि पुलिस सीसीटीवी फुटेज की जांच कर रही है ताकि चोरों की पहचान की जा सके. चांदी और सोने की परत से बने इस मुकुट का न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी है. इसे मां काली के लिए एक महत्वपूर्ण आभूषण माना जाता है, जो हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिए एक पवित्र धरोहर थी.
शक्तिपीठों में शामिल जेशोरेश्वरी मंदिर

आपको बता दे कि जेशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Temple) , जिसे “जेशोर की देवी” के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के 51 शक्तिपीठों में से एक है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, यहां देवी सती की हथेलियां और पैरों के तलवे गिरे थे, इसलिए यह स्थल अत्यधिक पवित्र माना जाता है. इस मंदिर में देवी काली की पूजा की जाती है और शिव भगवान को चंदा के रूप में पूजा जाता है.
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पीएम मोदी का उपहार

27 मार्च 2021 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी बांग्लादेश (Bangladesh) यात्रा के दौरान जेशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Temple) का दौरा किया था. यह दौरा उनके द्वारा COVID-19 महामारी के बाद किसी भी देश की पहली यात्रा थी.पीएम मोदी ने अपने दौरे के दौरान मां काली की प्रतिमा के सिर पर मुकुट रखा था, जो प्रतीकात्मक रूप से एक धार्मिक सम्मान और सांस्कृतिक उपहार था. इस दौरे का एक वीडियो भी पीएम मोदी ने साझा किया था, जिससे यह घटना विशेष रूप से महत्वपूर्ण बन जाती है.
मंदिर का ऐतिहासिक महत्व
जेशोरेश्वरी मंदिर (Jeshoreshwari Temple) का निर्माण 12वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में अनाड़ी नामक ब्राह्मण द्वारा किया गया था. उन्होंने मंदिर के लिए 100 दरवाजों वाला भव्य ढांचा बनाया था. 13वीं शताब्दी में लक्ष्मण सेन ने इसका जीर्णोद्धार करवाया, और फिर 16वीं शताब्दी में राजा प्रतापदित्य ने मंदिर का पुनर्निर्माण किया. इस प्रकार, यह मंदिर बांग्लादेश के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है.
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चोरी की घटना का धार्मिक समुदाय पर प्रभाव

मां काली के मुकुट की चोरी से धार्मिक समुदाय में आक्रोश है. यह मुकुट न केवल एक धार्मिक धरोहर था, बल्कि यह बांग्लादेश और भारत के बीच सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक भी था. चूंकि इसे प्रधानमंत्री मोदी द्वारा भेंट किया गया था, इस चोरी ने दोनों देशों के बीच की सांस्कृतिक धरोहरों की सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं. पुलिस की जांच और सीसीटीवी फुटेज से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही चोरों को पकड़ा जाएगा और मां काली का मुकुट वापस लाया जाएगा.
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