Lucknow:काम के दौरान अचानक बेहोश होकर गिरीं HDFC बैंक की अधिकारी, वर्क प्रेशर बना जानलेवा

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
सदफ फातिमा

Lucknow News: लखनऊ के HDFC बैंक में कार्यरत एक महिला अधिकारी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत ने कामकाजी दुनिया में तनाव और वर्क प्रेशर की गंभीरता को फिर से उजागर कर दिया है। बैंक की गोमतीनगर स्थित विभूतिखंड ब्रांच में कार्यरत 45 वर्षीय सदफ फातिमा की मंगलवार को अचानक मौत हो गई। बताया जा रहा है कि वह काम के दौरान अचानक बेहोश होकर अपनी कुर्सी से गिर गईं। ऑफिस स्टाफ ने तुरंत उन्हें अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है ताकि मौत के सही कारणों का पता चल सके।

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कौन थीं सदफ फातिमा?

सदफ फातिमा HDFC बैंक की एक सीनियर अधिकारी थीं, जो वजीरगंज इलाके की रहने वाली थीं। वह बैंक में एडिशनल डिप्टी वाइस प्रेसिडेंट के पद पर तैनात थीं और मंगलवार को ऑफिस में काम कर रही थीं जब यह हादसा हुआ। उनकी मौत के बाद ऑफिस के कर्मचारी और उनके परिवार सदमे में हैं।

वर्क प्रेशर और तनाव बना मौत की वजह

ऑफिस के कुछ कर्मचारियों का कहना है कि सदफ फातिमा लंबे समय से वर्क प्रेशर के कारण तनाव में थीं। कई कर्मचारियों ने खुलासा किया कि बैंक में काम का दबाव बेहद ज्यादा था, जिससे वह लगातार मानसिक तनाव झेल रही थीं। हालांकि, अभी तक इस मामले में कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं हुआ है, और न ही ऑफिस के किसी वरिष्ठ अधिकारी ने इस पर कोई टिप्पणी की है।

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पोस्टमार्टम रिपोर्ट से होगा मौत के कारण का खुलासा

विभूतिखंड पुलिस के अनुसार, मौत की असली वजह पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी। शुरुआती जांच में हार्ट अटैक की संभावना जताई जा रही है। वहीं, परिजनों ने भी अब तक इस मामले में कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है। मृतका के बहनोई महजर ने बताया कि सदफ को ब्लड प्रेशर की बीमारी थी और हाल ही में तीन दिन पहले उनकी तबीयत भी बिगड़ी थी, जिसके बाद वह केजीएमसी अस्पताल में भर्ती थीं। तीन दिन की छुट्टी के बाद ही वह ऑफिस लौटी थीं।

वर्क प्रेशर की मार से नई पीढ़ी प्रभावित

सदफ फातिमा की मौत सिर्फ एक घटना नहीं है, बल्कि यह वर्तमान में बढ़ते वर्क प्रेशर का परिणाम है, जो आज की नई पीढ़ी के कामकाजी लोगों पर भारी पड़ रहा है। इससे पहले भी पुणे में 26 वर्षीय चार्टर्ड अकाउंटेंट एना सेबेस्टियन पेरायिल की मौत का मामला सामने आया था। मार्च 2024 में प्रतिष्ठित कंपनी अर्न्स्ट एंड यंग (EY) में जॉइन करने वाली एना की भी जुलाई में काम के दौरान अचानक मौत हो गई थी। उनकी मां ने आरोप लगाया था कि एना पर अत्यधिक काम का दबाव डाला गया था, जिससे वह मानसिक तनाव का शिकार हो गईं।

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कंपनियों की भी है कुछ जिम्मेदारी

केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मनसुख मांडविया ने भी इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि कंपनियों को अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और मानसिक संतुलन का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने वादा किया था कि इस मामले की जांच की जाएगी और जरूरत पड़ने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह घटना एक बड़ा सवाल खड़ा करती है कि क्या आज के कॉर्पोरेट जगत में काम का दबाव इतना अधिक हो गया है कि लोग अपनी जान तक गंवा रहे हैं?

मानसिक स्वास्थ्य और काम का संतुलन: एक अनिवार्य ज़रूरत

आज के दौर में वर्क-लाइफ बैलेंस का महत्व तेजी से बढ़ रहा है। काम का अत्यधिक दबाव कर्मचारियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है। सदफ फातिमा और एना सेबेस्टियन की मौत इस बात का संकेत है कि काम के दबाव के कारण लोग तनावग्रस्त हो रहे हैं और उनकी जान तक चली जा रही है। कंपनियों को चाहिए कि वे अपने कर्मचारियों के काम के घंटे और वर्कलोड को बेहतर तरीके से मैनेज करें ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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काम के दबाव से बचने के उपाय

ऐसी घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि काम और निजी जीवन के बीच संतुलन कैसे बनाया जाए। मानसिक तनाव से बचने के लिए नियमित ब्रेक लेना, तनाव प्रबंधन तकनीक अपनाना, योग और ध्यान जैसी गतिविधियों को दिनचर्या में शामिल करना बेहद जरूरी है। इसके अलावा, कंपनियों को भी यह समझना चाहिए कि उनके कर्मचारियों की सेहत और मानसिक स्थिति उनके उत्पादन और संगठन की सफलता के लिए आवश्यक है।

बढ़ते वर्क प्रेशर से खतरे में जीवन

सदफ फातिमा और एना सेबेस्टियन की दुखद मौतें यह साफ संकेत देती हैं कि वर्तमान में काम का दबाव और तनाव किस हद तक लोगों की जान ले सकता है। यह जरूरी हो गया है कि कंपनियां अपने कर्मचारियों के स्वास्थ्य और मानसिक स्थिति का ध्यान रखें और वर्क-लाइफ बैलेंस को प्राथमिकता दें। यदि अब भी कदम नहीं उठाए गए, तो इस तरह की घटनाएं आगे भी सामने आती रहेंगी, जिससे कई परिवारों को अपने प्रियजनों को खोना पड़ेगा।

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