Lucknow News: इटौंजा क्षेत्र के गांवों में गोमती (Gomti) नदी का जलस्तर कम होने के बावजूद ग्रामीणों को प्रशासन की ओर से कोई मदद नहीं मिली है। ग्रामीणों को मवेशियों के लिए चार से पांच फीट गहरे पानी में जाकर चारा लाना पड़ रहा है। स्कूली बच्चों और बाहर काम करने वाले लोगों को भी पानी से होकर आना-जाना पड़ रहा है। सबसे पहले गोमती का पानी गांव को चारों तरफ से घेर लेता है और पूरा गांव एक टापू बन जाता है। शौचालय से लेकर रास्ते तक सब जगह पानी भर जाता है।
लासा गांव में पंद्रह ग्रामीणों के घरों और मवेशियों के भूसाघरों में पानी भरा है। आधा दर्जन से अधिक बाढ़ग्रस्त गांवों में ग्रामीणों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है। दूध का उत्पादन के लिए गांव वाले भैसों को पालते हैं। पालतू मवेशियों को बांधने की जगह भी नहीं बची है। बाढ़ प्रभावित गांव सुल्तानपुर, बहादुरपुर, लासा, इकड़रिया खुर्द, इकड़रिया कला, हरदा, दुघरा, जमखनवा में महिलाओं को सबसे अधिक परेशानी हो रही है। गांव में अभी तक कोई स्वास्थ्य टीम भी नहीं पहुंची है।
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उफान पर गोमती, किसान परेशान

बीकेटी क्षेत्र में कहीं गोमती उफान पर है तो कहीं किसान अपनी फसल बचाने के लिए सरकारी नलकूप सही करवाने के लिए चक्कर काट रहे हैं। किसानों का कहना है कि बिजली लाइन सही करवाने के लिए कई बार फरियाद की गई है ताकि नलकूप चल सके। सिंहामऊ राजकीय नलकूप संख्या 88 पिछले काफी दिनों से खराब है, जिससे लगभग तीन सौ एकड़ धान की रोपाई प्रभावित हो रही है। यहां के किसान ब्रजेश सिंह, रमेश कुमार रावत, सुंदर लाल, मोहन गुप्ता व अन्य अधिकारीयों के चक्कर काट रहे हैं।
महोना में राजकीय नलकूप संख्या 157 भी पिछले छह माह से बंद पड़ा है। नगर पंचायत महोना के गोविंदपुरी हार में स्थित राजकीय नलकूप संख्या 157 बिजली का खंभा टूटने के कारण बंद है। किसानों का कहना है कि उनकी फसलें बर्बाद हो गई हैं और अब उन्हें धान की बुवाई की चिंता सता रही है।
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प्रशासन की लापरवाही

एसडीएम बीकेटी (BKT) सतीश चंद्र त्रिपाठी ने तीन दिन पहले निर्देशित किया था कि जलस्तर कम होने की शुरुआत के साथ ही राजस्व टीम सुल्तानपुर, बहादुरपुर, लासा, इकड़रिया खुर्द, इकड़रिया कला, हरदा, दुघरा और जमखनवा में गोमती के पानी में डूबी सब्जियों और धान की नर्सरी का आंकलन करेगी। इन गांवों के किसान शनिवार को दोपहर तक इंतजार करते रहे, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। ग्रामीणों ने बताया कि पानी कम हो रहा है और रविवार तक आवागमन सही से हो सकेगा। गांव के बाहर मवेशियों के लिए झोपड़ी और भूसा घरों में पानी भरने से नुकसान हो गया है। उधर, पूर्व विधायक गोमती यादव (Gomti Yadav) ने जिला उपाध्यक्ष सुनील भदौरिया (Sunil Bhadoria) व पूर्व प्रधान राजकिशोर लोधी समेत अन्य के साथ प्रभावित गांवों का दौरा किया। उन्होंने यहां ग्रामीणों से उनकी फसल नुकसान को लेकर बातचीत की।
माधोपुर में जमीन पैमाइश करने पहुंची राजस्व टीम

इटौंजा (Itaunja) क्षेत्र में डूबी फसल के नुकसान का आंकलन करने की बजाय राजस्व टीम माधोपुर में प्रॉपर्टी डीलरों की जमीन पैमाइश करने पहुंची थी। जब राजस्व टीम से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रधानों से संपर्क किया जा रहा है। आरोप है कि इटौंजा क्षेत्र में राजस्व निरीक्षक राजेंद्र प्रसाद नुकसान की जानकारी गांवों में जाकर लेने के बजाय ग्राम प्रधानों से फोन पर किसानों के आधार और खतौनी मांग रहे हैं।
किसानों ने कैम्प लगाकर फसल नुकसान का आंकलन करने की मांग की। एसडीएम बीकेटी सतीश चंद्र त्रिपाठी ने बताया कि पानी कुछ कम हुआ है, लेकिन अभी डूबी फसलों का कुछ हिस्सा ही स्पष्ट हो पा रहा है। जलस्तर थोड़ा और कम होगा तो नुकसान की तस्वीर पूरी तरह साफ हो पाएगी। अभी तुरंत आंकलन करवाने से सभी किसानों के नुकसान का सही ढंग से आकलन नहीं हो पाएगा।
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