लोकसभा चुनाव 2024: जानें अमेठी सीट का चुनावी इतिहास

Laxmi Mishra
By Laxmi Mishra

लोकसभा चुनाव: आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर सभी की नजरें बनी हुई हैं कि कौन कितना दांव मारेगा यह तो अभी तय नहीं किया जा सकता मगर चुनाव को लेकर जोरशोर की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बता दे कि लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अभी से सभी दलों ने तैयारी शुरू कर दी हैं और अपनी-अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं। वहीं अगर देखा जाए तो लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश की राजनीति की सबसे बड़ी अहमियत होती है, क्योंकि यूपी में बाकी राज्यों के मुकाबले सबसे अधिक यानि की 80 सीटें हैं।

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अमेठी का इतिहास

यूपी की 80 सीटो में से अमेठी के इतिहास की बातकरें तो अमेठी एक प्रमुख शहर के साथ राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र भी है। साथ ही अमेठी यूपी का 72वां जिला है जिसे B.S.P.सरकार द्वारा आधिकारिक तौर पर 1 जुलाई 2010 को अस्तित्व में लाया गया था। अमेठी में सुल्तानपुर जिले की तीन तहसील मुसाफिरखाना, अमेठी, गौरीगंज तथा रायबरेली जिले की दो तहसील सलोन और तिलोई को मिला कर एक जिले का रूप दिया गया है। आपको बतादें कि गौरीगंज शहर अमेठी जिले का मुख्यालय है। शुरुआत में इसका नाम छत्रपति साहूजी महाराज नगर था, मगर इसे दोबारा बदलकर अमेठी कर दिया गया है।

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बताते चले कि अमेठी जिले का एक महत्वपूर्ण शहर और नगर पंचायत क्षेत्र है। इसे रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है। यह जिला भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि भी है। जहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु उनके पोते संजय गाँधी, राजीव गाँधी तथा उनकी पत्नी सोनिया गाँधी ने जिले का प्रतिनिधित्व किया है। वहीं अगर वर्तमान की बात करें तो 2014 के आम चुनाव में राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए।

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अमेठी का ऐतिहासिक स्थल

अमेठी के ऐतिहासिक स्थल की बात करें तो अमेठी रियासत का इतिहास एक हजार वर्ष से भी पुराना है। अमेठी में पीपरपुर ग्राम सभा में मनोरमा नदी के पूर्वी तट पर महर्षि पिप्पलाद का पावन पौराणिक आश्रम स्थित है। आश्रम में महर्षि की मूर्ति और प्राण प्रतिष्ठित शिव लिंग स्थापित है।

माँ अहोरवा भवानी देवी धाम सिंघपुर ब्लाक, माँ हिंगलज देवी धाम दादरा मुसाफिरखाना ब्लॉक, माँ दुर्गनभवानी देवी धाम सैठा रोड गौरीगंज ब्लाक, माँ कालिकन देवी धाम अमेठी जिले में स्थित एक तीर्थस्थल है, जो च्यवन मुनि की तपस्थली के रूप में ख्यात है।

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कादूनाला- मुसाफिर खाना तहसील में स्थित एक ऐतिहासिक स्थान जहाँ पर 1857 ई० में “भालेसुल्तान क्षत्रियों” द्वारा अंग्रेजो के साथ लड़ाई हुई, जिसमे सैकड़ो क्षत्रियों ने अपने प्राणों कि आहुति दी थी। जिसके याद में मुसाफिर खाना तहसील से 5 किमी० पश्चिम में कादुनाला पुल के आगे थौरी मार्ग पर एक विशाल शहीद स्मारक का निर्माण हुआ जहां पर प्रत्येक वर्ष कार्तिक एकादशी के दिन यहाँ मेला का आयोजन होता है।

कोरवा अमेठी में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड की एक इकाई है जो भारतीय वायु सेना के लिए विमान बनाती है। अमेठी में इंडो गल्फ फर्टीलाइशर्स की एक खाद बनाने की इकाई भी मौजूद है। अमेठी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य एक प्रमुख शहर एवं राजनीतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण लोकसभा क्षेत्र है। नगरकेन्द्र में प्रसिद्ध हनुमानगढ़ी मन्दिर स्थित है।

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जिले के रियासत का दौर

अमेठी के रियासत की बात करें तो राजा सोढ़ देव ने तुर्कों के आक्रमण के दौरान 966 ई. में इस रियासत की स्थापना की थी। तब से अब तक अमेठी रियासत ने कई झंझावातों को झेला लेकिन उसका मान-सम्मान और गरिमा बनी रही। यहां की गरिमा बने रहे इसका ख्याल हर रियासत के नरेश ने रखा हैं। वहीं राजा सोढ़ देव ने 966 ई. से 1007 ई. तक रियासत पर शासन किया। तुर्कों के बाद मुगल शासकों ने भी इस रियासत पर हमले किए।

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वहीं आगे अंग्रेजों ने अमेठी रियासत के विलय का भी प्रयास किया, जिसमें वे असफल रहे। 1842 में राजा विशेषवर बख्श सिंह की मौत हो गई। उनकी मौत के बाद रानी पति के मृत शरीर को गोद में लेकर सती हो गईं। मान्यता के अनुसार आज भी क्षेत्र की महिलाएं प्रत्येक गुरुवार को सती महारानी मंदिर पर दुरदुरिया का आयोजन कर सुहागिन रहने का आशीर्वाद मांगती हैं।
राजा विशेषवर बख्श सिंह के बाद राजा लाल माधव सिंह ने 1842 में गद्दी संभाली।

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जिसके बाद 1891 में इनकी मृत्यु के बाद राजा भगवान बख्श सिंह अमेठी के राजा बने इनके चार पुत्र जंगबहादुर सिंह, रणवीर सिंह, रणंजय सिंह और शत्रुंजय सिंह थे। रणवीर सिंह की कम उम्र में मौत हो गई और जंग बहादुर सिंह और शत्रुंजय सिंह के कोई औलाद नहीं थी साथ ही राजा रणंजय सिंह भी संतानहीन थे। जिसके चलते 1962 ई. में राजा रणंजय सिंह ने ब्लॉक भेटुआ के अमेयमाफी निवासी गयाबख्श सिंह के पुत्र संजय सिंह को अपना दत्तक पुत्र बनाया था। उस समय संजय सिंह पांचवी कक्षा में पढ़ाई कर रहे थे।

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जिले का राजनीतिक सफर

बताते चले कि इस जिले के रायपुर-अमेठी भी कहा जाता है। यह जिला भारत के गांधी परिवार की कर्मभूमि भी है। जहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु उनके पोते संजय गाँधी, राजीव गाँधी तथा उनकी पत्नी सोनिया गाँधी ने जिले का प्रतिनिधित्व किया है। वहीं अगर वर्तमान की बात करें तो 2014 के आम चुनाव में राहुल गाँधी यहाँ से साँसद चुने गए।

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वहीं अगर बात करें संजय गांधी की तो संजय अमेठी में सक्रिय होने के साथ ही देश में आपातकाल घोषित हो चुका था। इसके बाद 1977 में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में संजय गांधी और इंदिरा गांधी को बुरी तरह पराजय का भी सामना करना पड़ा था, साथ ही उत्तर भारत में कांग्रेस बुरी तरह से पराजित भी हुई थी। वहीं कांग्रेस का तो यूपी, और बिहार में खाता ही नहीं खुला था। रवींद्र प्रताप सिंह ने संजय गांधी को हराकर संसद में प्रवेश किया था।

वहीं जब 1980 में संपन्न मध्यावधि चुनाव में इंदिरा गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस की वापसी हुई तब इन्दिरा गांधी रायबरेली से पुन: निर्वाचित हुई जबकि संजय गांधी अमेठी के सांसद बने, मगर एक विमान दुर्घटना के चलते संजय गांधी की मौत हो गई। जिसके बाद राजीव गांधी को सक्रिय राजनीति में उतारा और वह 1981 में अमेठी से सांसद बने तथा अपने जीवन के अंतिम समय (20 मई 1991) तक संसद में अमेठी की सेवा में लगे रहे।

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इसी दौरान संजय गांधी की पत्नी मेंनका गांधी पारिवारिक विवाद के कारण इंदिरा गांधी से अलग हो गईं। इसके बाद 1984 में इन्दिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी को प्रधानमंत्री का पद स्वीकार करना पड़ा था। 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के कुछ ही महीनों के बाद संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में सहानुभूति लहर का बेहद प्रभाव रहा तथा कांग्रेस को पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ और राजीव गांधी देश के पुन: प्रधानमंत्री बने।

वहीं जब 1991 में चुनाव अभियान के दौरान ही राजीव गांधी की नृशंस हत्या कर दी गई। कांग्रेस को इसका सियासी फायदा मिला और उसकी सत्ता में वापसी हुई। वहीं राजीव गांधी की अमेठी की विरासत को उनके परिवार के बेहद करीबी कैप्टन सतीश शर्मा ने संभाला। गांधी परिवार से करीबी का सतीश शर्मा को फायदा भी मिला और वह दो बार लगातार न सिर्फ सांसद बने बल्कि केंद्र में पेट्रोलियम मंत्री का भी कार्यभार उन्हें सौंपा गया। उन्हीं के कार्यकाल में अमेठी क्षेत्र में राजीव गांधी पेट्रोलियम इंस्टीट्यूट की आधारशिला रखी गई।

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सोनिया गांधी ने अपने पति की पूर्व संसदीय सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस बीच रायबरेली की विशिष्ट सीट भी उनके ‘अपनों’ के ही कब्जे में रही। गांधी परिवार ने इसके बाद सियासत को खुलकर अपनाया और बाद में सोनिया गांधी ने जहां अपनी सास इंदिरा गांधी की संसदीय सीट रही रायबरेली को अपनाया वहीं उनके बेटे राहुल गांधी ने पिता की सियासत का गढ़ रहे अमेठी का नेतृत्व किया।

राहुल गांधी 2004 के आम चुनाव में पहली बार अमेठी से सांसद बने ,2014 के चुनावों में भी अमेठी की जनता ने राहुल गाँधी को चुना, जिनके प्रतिद्वंद में स्मृति ईरानी और कुमार विश्वास थे। जिसके बाद 2019 के आम चुनाव में स्मृति ईरानी पहली बार अमेठी से सांसद बनी, राहुल गांधी को हराकर यह जीत हासिल की।

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जिले की शिक्षा व्यवस्था

  • विश्वविद्यालय और कॉलेज
  • राजीव गांधी पेट्रोलियम प्रौद्योगिकी संस्थान
  • इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी
  • फुटवियर डिजाइन और विकास संस्थान
  • राजीव गांधी राष्ट्रीय उड्डयन विश्वविद्यालय
  • बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, सैटेलाइट कैंपस, अमेठी
  • आईआईआईटी टिकामाफी अमेठी
  • राजर्षि रणंजय सिंह कॉलेज ऑफ फार्मेसी
  • गवर्नमेंट गर्ल्स पॉलिटेक्निक, अमेठी
  • संजय गांधी पॉलिटेक्निक
  • राजर्षि रणंजय सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी (आरआरएसआईएमटी अमेठी), अमेठी
  • अमेठी जिले में 1,431 सरकारी प्राथमिक स्कूल
  • 433 सरकारी उच्च प्राथमिक स्कूल
  • 33 सरकारी सहायता प्राप्त प्राथमिक स्कूल
  • 42 मदरसे
  • एक सरकारी इंटर कॉलेज
  • 15 इंटरमीडिएट स्कूल

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अमेठी सीट की लिस्ट

  • 1967 – अमेठी – कांग्रेस – वी डी वाजपेयी
  • 1971 – अमेठी – कांग्रेस – विद्याधर बाजपेयी
  • 1977 – अमेठी – कांग्रेस – रवीन्द्र प्रताप सिंह
  • 1980 – अमेठी – कांग्रेस – संजय गांधी
  • 1981 उप-चुनाव – अमेठी – कांग्रेस – राजीव गांधी
  • 1984 – अमेठी – कांग्रेस – राजीव गांधी
  • 1989 – अमेठी – कांग्रेस – राजीव गांधी
  • 1991 उप-चुनाव – अमेठी – कांग्रेस – सी एस के शर्मा
  • 1991 – अमेठी – कांग्रेस – राजीव गांधी
  • 1996 – अमेठी – कांग्रेस – सतीश शर्मा
  • 1998 – अमेठी – कांग्रेस – संजय सिंह
  • 1999 – अमेठी – कांग्रेस – सोनिया गांधी
  • 2004 – अमेठी – कांग्रेस – राहुल गांधी
  • 2009 – अमेठी – कांग्रेस – राहुल गांधी
  • 2014 – अमेठी – कांग्रेस – राहुल गांधी
  • 2019 – अमेठी – कांग्रेस – स्मृति ईरानी

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जानें अमेठी का जातीय समीकरण

जनपद अमेठी का गठन 1 जुलाई 2010 को हुआ, इसका मुख्यालय गौरीगंज में स्थित है। जनपद का कुल भौगोलिक क्षेत्रफल 3063.78 वर्ग किमी0 है, जिसमें पुरूष/ स्त्री का अनुपात 1000 / 973 वहीं अगर बात करें साक्षरता की तो इसका अनुपात 772.99 / 510.80 है। जनपद में कुल चार तहसील क्रमशः गौरीगंज, अमेठी, तिलोई व मुसाफिरखाना तथा 4 ही पुलिस सर्किल है।

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ऐसे में अगर 2019 के चुनाव की मानें तो अमेठी लोकसभा में कुल वोटरों की संख्या 1716102 थी। अनुमानित जातीय आंकड़ों की माने तो इनमें से सर्वाधिक संख्या अनुसूचित जाति के वोटर्स की है। दलित वोटर्स की संख्या लगभग 26 % है। लगभग 20 % मुस्लिम हैं। 18 % वोटर्स ब्राह्मण हैं। 11 % क्षत्रिय हैं। यादव और मौर्य मिलाकर भी संख्या लगभग 16 % होती है। 10 % के लगभग लोध और कुर्मी वोटर हैं।

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