लोहड़ी एक महत्वपूर्ण पंजाबी और हिंदी त्योहार है, लोहड़ी खुशी से भरा हुआ त्योहार है, जो खासकर उत्तर भारत, विशेषकर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मनाया जाता है। यह मकर संक्रांति के एक दिन पहले, 13 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन की खासियत यह है कि यह सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का प्रतीक है। लोहड़ी के दिन की तैयारी शुरू करने के लिए कुछ खास बातों का ध्यान रखना चाहिए। यह त्योहार न केवल एक सांस्कृतिक पर्व है, बल्कि कृषि संबंधी और मौसम परिवर्तन का भी प्रतीक है।

सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत

लोहड़ी 13 जनवरी को मनाई जाती है, जो मकर संक्रांति से एक दिन पहले होता है। यह दिन सर्दियों के समाप्त होने और गर्मियों के आगमन का प्रतीक होता है, और यह प्राकृतिक बदलावों को सेलिब्रेट करने का अवसर है।लोहड़ी के दिन से सूर्य उत्तरायण होता है, यानी सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य की किरणें अधिक तीव्र होती हैं, जिससे मौसम में बदलाव आता है और सर्दियों का प्रभाव कम होने लगता है।सर्दियों के अंत के साथ-साथ यह दिन खेतों में अच्छी फसल की कटाई का समय होता है, जो किसानों के लिए खुशहाली का प्रतीक है।
कृषि संबंधी त्योहार लोहड़ी

लोहड़ी का त्योहार किसानों के लिए खास महत्व रखता है, क्योंकि यह फसल कटाई और कृषि से जुड़ा हुआ एक प्रमुख पर्व है। लोहड़ी, खासकर सर्दियों के बाद आने वाली गर्मियों के आगमन के प्रतीक रूप में मनाई जाती है, और यह दिन फसलों की समृद्धि और अच्छे उत्पादन की कामना के लिए समर्पित होता है।लोहड़ी के समय आमतौर पर मक्के, गन्ने, गेहूं, और तिल जैसी फसलों की कटाई होती है। यह त्योहार किसानों के लिए उनकी कठिन मेहनत और कृषि कार्य के परिणामस्वरूप उपज के लिए आभार और उत्सव का समय है।
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लोहड़ी की आग

लोहड़ी की आग को “लोहड़ी की आग” या “लोहड़ी की रागी” कहा जाता है, और इसे सूर्य देवता को अर्पित किया जाता है। लोग इस आग के चारों ओर नाचते-गाते हैं और पारंपरिक गीत गाते हैं। गुड़, तिल, रेवड़ी, पॉपकॉर्न और लकड़ियाँ इस आग में डाली जाती हैं, जो शुभ संकेत माने जाते हैं और साथ ही बुराई के नाश और अच्छाई की जीत का प्रतीक होते हैं। आग की लपटों में तिल और गुड़ डालने से सर्दी का मौसम समाप्त होता है और गर्मी की शुरुआत होती है।लोहड़ी का यह उत्सव कृषि और मौसम चक्र से भी जुड़ा हुआ है, और यह फसल की कटाई, खासकर रवी की फसल की शुरुआत को मनाने का एक तरीका है। यह पारंपरिक पर्व न केवल एक धार्मिक पर्व है बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है, जिसमें परिवार और समुदाय मिलकर खुशी मनाते हैं।
गाना और नृत्य विशेष

लोहड़ी एक प्रमुख पंजाबी त्योहार है जो सर्दियों के मौसम में मनाया जाता है, खासकर पंजाब और अन्य उत्तर भारतीय क्षेत्रों में। यह पर्व फसल की कटाई, अग्नि पूजा और सूरज के उदय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। लोहड़ी के साथ जुड़ा हुआ गाना और नृत्य विशेष रूप से पंजाबी संस्कृति का हिस्सा हैं।लोहड़ी के गाने बहुत ही खास होते हैं, जिनमें पंजाबी लोक संगीत का भरपूर प्रभाव होता है। ये गाने खासतौर पर लोहड़ी के आग के आसपास गाए जाते हैं।
नव विवाहिता और नवजात बच्चों का सम्मान

लोहड़ी के पर्व पर नव विवाहिता महिलाओं और नवजात बच्चों का सम्मान विशेष महत्व रखता है। यह परंपरा पंजाबी संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा है, जो खुशी, समृद्धि और नए जीवन के स्वागत का प्रतीक है। लोहड़ी के दौरान इन दोनों समूहों का सम्मान करने के पीछे गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण होते हैं:लोहड़ी के दौरान नव विवाहिता महिलाओं का सम्मान करने की परंपरा विशेष रूप से खुशी और आशीर्वाद का प्रतीक मानी जाती है। यह उनके नए जीवन की शुरुआत को शुभ बनाने के लिए किया जाता है।
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तिल और गुड़ का महत्व

लोहड़ी के त्योहार में तिल और गुड़ का विशेष महत्व है। यह दोनों सामग्री न केवल स्वाद में मीठी होती हैं, बल्कि इनके साथ जुड़ी हुई परंपराएं और धार्मिक मान्यताएँ भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। तिल और गुड़ का उपयोग लोहड़ी में विशेष रूप से समृद्धि, सुख-शांति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना के लिए किया जाता है। तिल (सिंत) को स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। तिल में एंटीऑक्सिडेंट्स, कैल्शियम, आयरन और प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है, जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करते हैं और हड्डियों को मजबूत बनाते हैं। गुड़ एक प्राकृतिक मिठास का स्रोत होता है, जिसमें आयरन और अन्य पोषक तत्व होते हैं। यह रक्त को साफ करता है, पाचन तंत्र को सुधारता है और शरीर को गर्मी प्रदान करता है, जो सर्दियों में विशेष रूप से लाभकारी होता है।