LIC News: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को झारखंड राज्य के कर अधिकारियों ने 65 करोड़ रुपये का जीएसटी भुगतान कम करने पर नोटिस भेजा है। इस नोटिस में 6.5 करोड़ रुपये का अतिरिक्त जुर्माना और ब्याज भी जोड़ा गया है, जिससे कुल देय राशि बढ़कर 71.5 करोड़ रुपये हो गई है। एलआईसी ने इस बारे में शेयर बाजार को जानकारी देते हुए बताया कि यह मांग पत्र 30 अक्टूबर को प्राप्त हुआ। कर अधिकारियों का कहना है कि जीएसटी के भुगतान में कथित तौर पर कमी के चलते यह बकाया राशि बन गई है।
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एलआईसी की ओर से आया स्पष्टीकरण
इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए एलआईसी ने कहा कि इस नोटिस का उसकी वित्तीय स्थिति, परिचालन या अन्य कार्यों पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। एलआईसी के अनुसार, कंपनी अपनी वित्तीय स्थिरता को देखते हुए इन कर दावों को संतुलित करने की योजना बना रही है। इसके अलावा, कंपनी का कहना है कि वह जीएसटी सहित सभी कर नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसे बेहतर बनाने के प्रयास करती रहती है।
आगे की रणनीति पर अब तक नहीं लिया कोई निर्णय
इस नोटिस के जवाब में एलआईसी ने अभी यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह इस कर आदेश का पालन करेगी या कानूनी प्रक्रिया का सहारा लेगी। फिलहाल, कंपनी ने यह बताया है कि वह कानूनी दृष्टिकोण से इस मामले का मूल्यांकन कर रही है और इसके आधार पर निर्णय लेगी। एलआईसी का कहना है कि उनकी नीतियों के अनुसार, वह समय-समय पर वित्तीय प्रबंधन को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयासरत है, ताकि कर नियमों का पालन सुनिश्चित किया जा सके।
विश्लेषकों की राय: तात्कालिक प्रभाव नहीं
वित्तीय विशेषज्ञों और बाजार विश्लेषकों का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की इस बड़ी बीमा कंपनी पर इस कर मांग का कोई तात्कालिक असर नहीं पड़ेगा। विश्लेषकों के अनुसार, एलआईसी जैसी आर्थिक रूप से सशक्त कंपनी के लिए यह मांग एक सामान्य वित्तीय कार्रवाई है, जिसका उसके कारोबार पर कोई प्रत्यक्ष प्रभाव देखने को नहीं मिलेगा। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि एलआईसी इस मामले का समाधान कैसे करती है। एलआईसी की आगे की रणनीति इस बात पर निर्भर करेगी कि कर अधिकारियों के इस नोटिस का उसके व्यापारिक कार्यों पर दीर्घकालिक असर किस हद तक होता है।
कंपनी का इतिहास

एलआईसी (LIC) का यह कहना कि वह कर नियमों का पालन करने के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध है, उसके वर्षों से बनाए गए भरोसे को दर्शाता है। एलआईसी को एक जिम्मेदार और अनुशासित वित्तीय संस्थान के रूप में देखा जाता है। सरकारी बीमा कंपनी होने के नाते एलआईसी का रुख इस मामले में पारदर्शी होने की उम्मीद की जाती है। इसके पहले भी, एलआईसी ने कई वित्तीय और कानूनी प्रक्रियाओं को सफलता से संभाला है, जिससे उसका सार्वजनिक भरोसा कायम रहा है।
जीएसटी और बीमा कंपनियों का कर ढांचा
बता दें कि भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी बड़ी कंपनियों पर जीएसटी और अन्य करों के भुगतान का प्रभाव आमतौर पर संतुलित रहता है। बीमा क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों को अपने ग्राहकों और हितधारकों के प्रति अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए अधिक ध्यान देना होता है। ऐसे मामलों में कंपनियों के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वे कर नियमों का पालन करते हुए अपने व्यापार को सही दिशा में बनाए रखें।
एलआईसी की अगली चाल का इंतजार
इस मामले में एलआईसी की आगे की कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि कंपनी इस कर नोटिस का सामना कैसे करती है। एलआईसी का इस नोटिस का कानूनी या वित्तीय समाधान का तरीका उसके भविष्य के कारोबारी संबंधों और उसके प्रभाव को निर्धारित करेगा।
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