सावन के पावन माह मे जानें बाबा अमरनाथ की कहानी…

Shobhna Rastogi
By Shobhna Rastogi

AMARNATH KATH शिवपुराण के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से प्रश्न करते हुए पूछा कि ऐसा क्यों हैं कि आप अजर हैं, अमर हैं लेकिन मुझे आपकी अर्धांगिनी बनने के लिए हर जन्म में कठोर तपस्या करनी पड़ती है। जब मुझे हर जन्म में आपको ही पाना है तो मेरी इतनी कठिन परीक्षा क्यों? आप मुझे भी अजर-अमर होने का रहस्य बताइए साथ ही क्या आपके गले में पड़ी नरमुड़ माला का रहस्य है? महादेव पहले कुछ नहीं बोले , लेकिन पत्नी की हठ के कारण महादेव को माता पार्वती को कुछ गूढ़ रहस्य बताने पड़े।

कथा सुनाने से पहले महादेव ने क्यों पंचतत्वों को त्यागा…

पौराणिक कथा के अनुसार भगवान शिव नहीं चाहते थे कि कोई भी प्राणी इस गूढ़ रहस्य को जानें वरना पृथ्वी का संतुलन बिगड़ जाऐगा। कथा सुनाने के लिए भोलेनाथ ने एक स्थान चुना , वह स्थान था अमरनाथ जी की गुफा और महादेव उस ओर माता पार्वती के साथ चल पड़े। रास्ते में उन्होंने सबसे पहले नंदी, वासुकी, चंद्रमा, गणेश जी और पंचतत्वों का त्याग कर दिया था।

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कहते हैं भगवान भोलेनाथ ने अपनी सवारी नंदी को पहलगाम पर छोड़ दिया था साथ ही महादेव ने अपनी जटाओं से चंद्रमा को निकालकर चंदनवाड़ी में अलग कर दिया, गंगाजी को पंचतरणी में तथा वासुकी को शेषनाग पर छोड़ दिया। अगले स्थान पर भगवान शंकर ने अपने पुत्र गणेश को छोड़ दिया था जिसको महागुणा का पर्वत कहते है।

पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को त्यागा था। इस प्रकार महादेव ने जीवनदायिनी पांचों तत्वों को भी अपने से शरीर से कर दिया। भोलेनाथ चाहते थे कि जब मैं अमरत्व की कथा कहूँ तो पार्वती जी के सिवा कोई और न सुने।अगले स्थान पर भगवान शंकर ने अपने पुत्र गणेश को छोड़ दिया था जिसको महागुणा का पर्वत कहते है। पिस्सू घाटी में पिस्सू नामक कीड़े को त्यागा था। इस प्रकार महादेव ने जीवनदायिनी पांचों तत्वों को भी अपने से शरीर से कर दिया। भोलेनाथ चाहते थे कि जब मैं अमरत्व की कथा कहूँ तो पार्वती जी सिवा कोई और न सुने।

आखिर किसने सुनी अमर होने की कथा…

कथा सुनते-सुनते माता पार्वती को नींद आ गई और वह सो गईं जिसका शिवजी को पता नहीं चला। भगवान शिव अमर होने की कथा सुनाते रहे। उस समय दो सफेद कबूतर शिव जी से कथा सुन रहे थे और बीच-बीच में गूं-गूं की आवाज निकाल रहे थे। भगवान शिव को लगा कि माता पार्वती कथा सुन रही हैं और बीच-बीच में हुंकार भर रहीं हैं। इस प्रकार कबूतरों के एक जोड़े ने अमर होने की पूरी कथा सुन ली। कथा समाप्त होने पर भगवान शिव का ध्यान पार्वती की ओर गया तबShiva

ने देखा कि पार्वती सो रही है। तभी महादेव की दृष्टि कबूतरों पर पड़ी तो वे क्रोधित हो गए और उन्हें मारने के लिए आगे बढ़े।

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क्या आज भी जीवित है कबूतर का जोड़ा …

इस पर कबूतरों ने भगवान शिव से कहा कि, ‘हे प्रभु हमने आपसे अमर होने की कथा सुनी है यदि आप हमें मार देंगे तो अमर होने की यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर भगवान शिव ने कबूतरों को जीवित छोड़ दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम सदैव इस स्थान पर शिव पार्वती के प्रतीक चिन्ह के रूप में निवास करोगे।

अत: यह कबूतर का जोड़ा अजर-अमर हो गया। ऐसा माना जाता है कि आज भी इन दोनों कबूतरों का दर्शन भक्तों को यहां प्राप्त होते हैं और इस प्रकार से यह गुफा अमर कथा की साक्षी हो गई और इसका नाम अमरनाथ गुफा के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

कब होते है अमरनाथ जी के दर्शन …

जम्मू-कश्मीर की घाटियों में स्थित अमरनाथ धाम की यात्रा के लिए भगवान शिव के भक्त साल भर इंतजार करते हैं। चार धाम की तरह भक्त इस यात्रा को जीवन में एक बार करने की इच्छा जरुर रखते हैं। लोगो की अमरनाथ यात्रा के बारें में कहते है कि यहां भोले की इच्छा के बिना कोई भक्त नहीं पहुंच पाते हैं। जिसे भगवान शिव बुलाना चाहते हैं वही उनका दर्शन कर पाते हैं। अमरनाथ यात्रा हर साल जून-जुलाई के महीने में शुरू होती है और इस साल भी यह यात्रा शुरू हो चुकी है। यह यात्रा इस बार 1 जुलाई से शुरू हो थी और 31 अगस्त को समाप्त हो जाएगी।

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