जानें हिन्दू धर्म के इन प्रतीकों के साइंटिफिक रहस्य…

Shobhna Rastogi
By Shobhna Rastogi

1.शंख

हिदू धर्म में हर शुभ व मांगलिक कार्य प्रारंभ करने से पहले शंख बजाया जाता है। शंख बजाना बहुत ही अच्छा शगुन माना जाता है। वहीं शास्त्रों की मानें तो शंख बजाने के बहुत से धार्मिक महत्व होते हैं जहां शास्त्रों का कहना है कि शंख बजाने से सुख-समृद्धि सहित कई अन्य लाभ होते हैं।

वैज्ञानिको के अनुसार

वहीं वैज्ञानिक कारणों से भी शंख बजाने के कई फायदे होते हैं इससे कई बीमारियां दूर होती हैं। शंख बजाने से फेफड़ों को शक्ति मिलती है और फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचने से पहले ही समाप्त हो जाता है। कोरोना महामारी में कई लोगों ने नियमित शंख बजाए जिसके कारण ज्यादातर लोगों को आज तक फेफड़ों संबंधी कोई संक्रमण नही हुआ। फेफड़ों के साथ-साथ ब्रेन में भी ब्लड सर्कुलेशन तेज होता है।शंख बजाने से चेस्ट मसल्स टोंड होते हैं। शंख बजाने से गले में मौजूद मांसपेशियों का व्यायाम होता है, जिससे वोकल कार्ड और थायराइड से जुड़ी समस्या खत्म हो जाती है।शंख को जब दबाव लगाकर बजाते हैं तो यूरिनरी ब्लैडर की एक्सरसाइज होती है, जिससे यह स्वस्थ रहता है। शंख को रात भर पानी मे भीगो कर रखें और पानी को सुबह खाली पेट इस पानी को पीने से कब्ज और इससे जुड़ी बीमारियाँ खत्म हो जाती है।

2.शिखा

सनातन धर्म में ‘शिखा’ यानि सिर के विशेष भाग पर कुछ बालों को चोटी के रूप में छोड़ देना इसका हिंदू धर्म मे विशेष महत्तव है, धर्म की मानें तो परमात्‍मा की शक्ति इसी मार्ग से मनुष्‍य के भीतर प्रवेश करती है। यही नहीं समाधि लेने वाले योगियों की आत्‍मा का महाप्रयाण भी इसी स्‍थान से होता है। इसीलिए सिर के विशेष स्‍थान पर होने वाली‘शिखा’को अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण माना गया है।

वैज्ञानिको के अनुसार

जिस स्‍थान पर शिखा होती है उसके नीचे एक ग्रंथि होती है, जिसे कि पिट्टयूरी ग्रंथि कहा जाता है। इससे एक रस का निर्माण होता है। जो कि पूरे शरीर और बुद्धि को तेज संपन्‍न, स्‍वस्‍थ और चिरंजीवी बनाता है।एक अंग्रेज चिकित्‍सक क्‍लार्क ने लिखा है कि‘शिखा’शरीर का अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। वह कहते हैं कि‘शिखा’ रखने का सनातन धर्म का यह नियम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी उत्‍तम है। वह यह भी बताते हैं कि‘शिखा’सुषुम्‍ना की रक्षा करती है साथ ही इससे स्‍मरण शक्ति का भी विकास होता है। साथ ही यह मानसिक रोगों से भी बचाव करती है।

वेदों के अनुसार‘शिखा’को कसकर बांधने की वजह से मस्तिष्‍क का दबाव बनता है। इसके चलते रक्‍त का संचार भी सही तरीके से होता है। साथ ही आंखों की रोशनी भी सही रहती है और शरीर भी सक्रिय रहता है।

3.जनेऊ

धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि जनेऊ धारण करने से शरीर शुद्घ और पवित्र होता है। शास्त्रों अनुसार आदित्य, वसु, रुद्र, वायु, अग्नि, धर्म, वेद, आप, सोम एवं सूर्य आदि देवताओं का निवास दाएं कान में माना गया है।अत: उसे दाएं हाथ से सिर्फ स्पर्श करने पर भी आचमन का फल प्राप्त होता है। आचमन अर्थात मंदिर आदि में जाने से पूर्व या पूजा करने के पूर्व जल से पवित्र होने की क्रिया को आचमन कहते हैं। इस्लाम धर्म में इसे वजू कहते हैं।

वैज्ञानिको के अनुसार

शौच के समय जनेऊ को कान के ऊपर लपेटने से कान के पास से गुजरने वाली उन नसों पर दबाव पड़ता है, जिनका संबंध सीधे आंतों से होता है और इन नसों पर दबाव पड़ने से कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।साथ ही इस प्रकार की कई बीमारियाँ खत्म हो जाती है जैसे- एसीडीटी, पेट रोग, मूत्रन्द्रीय रोग, रक्तचाप, हृदय के रोगों सहित अन्य संक्रामक रोग नहीं होते। चिकित्सा विज्ञान के अनुसार दाएं कान की नस अंडकोष और गुप्तेन्द्रियों से जुड़ी होती है। मूत्र विसर्जन के समय दाएं कान पर जनेऊ लपेटने से शुक्राणुओं की रक्षा होती है।

4.मोली या कलाबा

धार्मिक दृष्टि से माना जाता है कि कलावा बांधने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती तीनों देवियों की अनुकूलता का भी लाभ मिलता है।मान्यता है कि कलावे में देवी या देवता अदृश्य रूप में विराजमान रहते हैं। मौली का धागा कच्चे सूत से तैयार होता है और यह कई रंगों जैसे पीला, सफेद, लाल या फिर नारंगी रंग का होता है। इसे कलाई पर बांधने से आर्थिक समस्या भी दूर होती है,

वैज्ञानिको के अनुसार

शरीर के ज्यादातर अंगों तक पहुंचने वाली नसें कलाई से होकर गुजरती हैं। कलाई पर मौली या कलावा बांधने से इन नसों की क्रिया नियंत्रित रहती हैं। इससे वात, पित्त और कफ की अनुकूलता बनी रहती है। माना जाता है कि कलावा बांधने से ब्लड प्रेशर, हृदय संबंधी रोग, डायबिटीज और पैरालिसिस जैसे रोगों से काफी बचाव होता है।रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह और लकवा जैसी गंभीर बीमारियों से भी बचाता है।

5.चंदन

भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ से लेकर हर शुभ कार्य के लिए जाते समय माथे पर तिलक लगाने की परंपरा है हिंदू धर्म मे सभी लोग हर विशेष पर्व पर तरह-तरह के तिलक का प्रयोग करते हैं जिनमें से एक चंदन का तिलक है। चंदन का पूजा-पाठ में विशेष महत्व है,अक्सर चंदन का इस्तेमाल माथे पर टीका लगाने के लिए किया जाता है कहा जाता है कि चंदन के तिलक का उपयोग करने से सेहत में वृद्धि होती है। माथे पर चंदन का तिलक लगाने से तंत्रिकाएं शांत रहती है, जिससे सिरदर्द की समस्या दूर हो जाती है।

वैज्ञानिको के अनुसार

यदि आप हर दिन चंदन का तिलक अपने माथे पर लगाते हैं तो दिमाग में सेराटोनिन और बीटा एंडोर्फिन का स्राव संतुलित तरीके से होता है, जिससे उदासी दूर होती है और मन में उत्साह जगता है। यह उत्साह मनुष्य को अच्छे कामों में लगाता है। इससे तनाव और सिरदर्द में काफी हद तक कमी आती है। बुखार मे चंदन का तिलक लगाने से शरीर का तापमान कम होता है,एकाग्र शक्ति में वृद्धि होती है अनिद्रा और तनाव की समस्या खत्म हो जाती है।

Share This Article
Exit mobile version