जानें महान व्यक्तित्व वाली महिला मदर टेरेसा के सिद्धांत के बारे में

Mona Jha
By Mona Jha

MotherTeresa : मदर टेरेसा एक महान व्यक्तित्व वाली महिला थी, जिन्होंने अपनी पुरी जिंदगी निर्धन और गरीबों की सेवा में लगा दिया। वहीं मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त, 1910 को ‘यूगोस्लाविया’ में हुआ था । इनके पिताजी का नाम निकोला बोयाजू और माताजी का नाम द्राना बोयाजू था । इनके पिताजी एक व्यवसायी थे । मदर टेरेसा का पूरा नाम ‘अगनेस गोंझा बोयाजिजू’था। बता दे कि 18 साल की उम्र में उन्होंने नन बनकर अपने जीवन को एक नई दिशा की तरफ मोड़ दिया था । जहां मदर टेरेसा भारत की नहीं थीं, लेकिन जब वे पहली बार भारत आई तो यहां के लोगों से उन्हें काफी लगाव हो गया था और यहां के लोगों से मदर टेरेसा प्रेम कर बैठीं थी । जिसके वजह से उन्होंने अपना पूरा जीवन भारत में बिताने का निर्णय लिया और भारत के लिए अभूतपूर्व काम किए।

असंभव कार्य करने के लिये प्रेरित किया

मदर टेरेसा पूरे विश्व में अपने अच्छे कार्यों के लिये प्रसिद्ध हैं । उनके चेहरे पर हमेशा एक उदार मुस्कुराहट रहती थी । वह एक ऐसी महिला थी, जिन्होंने बहुत सारे लोगों को उनके जीवन में असंभव कार्य करने के लिये प्रेरित किया है। वह हमेशा एक नीले बाडर्र वाली सफेद साड़ी पहनना पसंद करती थी, और स्वयं को ईश्वर की समर्पित सेवक मानती थी, जिसको धरती पर झोपड़-पट्टी समाज के गरीब, असहाय और पीड़ित लोगों की सेवा के लिये भेजा गया था ।

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कहां की थी मदर टेरेसा


मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को मैसोडोनिया की राजधानी स्कॉप्जे में हुआ था । वहीं इस देश मे बोले जाने वाला भाषा “अल्बानिया” है, जो की पहले मैसेडोनिया को यूगोस्लाविया के नाम से भी जाना जाता था। टेरेसा का वास्तविक नाम “अगनेस गोंझा बोयाजिजू” था। मदर टेरेसा रोमन कैथोलिक नन थीं, जिन्होंने सन् 1948 में स्वेच्छा से भारतीय नागरिकता लेकर पूरा जीवन भारतवासियों की सेवा में अर्पण कर दिया।

मदर टेरेसा के सिद्धांत

  • यदि आप एक सौ लोगों को भोजन नहीं करा सकते हैं, तो सिर्फ एक को ही भोजन करवाए।
  • यदि हमारे बीच कोई शांति नहीं है, तो वह इसलिए क्योंकि हम भूल गए हैं कि हम एक दूसरे से संबंधित है।
  • प्यार के लिए भूख को मिटाना रोटी के लिए भूख की मिटने से कहीं ज्यादा मुश्किल है।
  • यदि आप चाहते है, कि एक प्रेम संदेश सुना जाय तो पहले उसे भेजें । जैसे एक चिराग को जलाए रखने के लिए हमें दिए में तेल डालते रहना पड़ता है।
  • अकेलापन सबसे भयानक ग़रीबी है।
  • प्यार क़रीबी लोगों की देखभाल लेने के द्वारा शुरू होता है, जो आपके घर पर हैं।
  • अकेलापन और अवांछित रहने की भावना सबसे भयानक ग़रीबी है।
  • प्यार हरमौसम में होने वाला फल है, और हर व्यक्ति के पहुंच के अन्दर है।
  • आज के समाज की सबसे बड़ी बीमारी कुष्ठ रोग या तपेदिक नहीं है, बल्कि अवांछित रहने की भावना है।
  • मैं चाहती हूँ, कि आप अपने पड़ोसी के बारे में चिंतित रहें । क्या आप अपने पड़ोसी को जानते हो।
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