जानें विश्व ज़ूनोसिस-डे पर खतरनाक बीमारी के बारें मे….

Shobhna Rastogi
By Shobhna Rastogi

World Zoonoses Day 2023: पूरे विश्व भर में यह 6 जुलाई को विश्व ज़ूनोसिस-डे मनाया जाता है। यह एक वैश्विक स्तर की गंभीर बीमारी है जिसमें एक प्रजाति से दूसरी प्रजाति में संक्रमण फैलने का खतरा रहता है। जानवरों से इंसानों में और इंसानों से जानवरों में बीमारी फैलने वाली यह स्थिति बेहद खतरनाक है जिसका अगर समय रहते इलाज न किया जाए तो यह गंभीर बीमारी का रुप ले लेती हैं।

ज़ूनोसिस एक ऐसा संक्रामक रोग है, जो दो अलग अलग प्रजातियों के बीच फैलता है। आसान भाषा में कहें, तो यह जानवरों से इंसानों में और इंसानों से जानवरों में फैलने वाली बीमारी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार, “ज़ूनोटिक रोगज़नक़ बैक्टीरिया या पैरासाइटिक हो सकते हैं। ये सीधे संपर्क में आने, खाने के जरिए या फिर पानी और पर्यावरण के माध्यम से भी इंसानों में फैल सकती हैं।

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ज़ूनोसिस विश्व भर की एक प्रसिध्द सार्वजनिक समस्या है क्योंकि खेत में पशु और इंसान दोनों साथ मिलकर खेती करते हैं। अगर एक बार इन दोनों में से किसी में भी ज़ूनोसिस की समस्या उत्पन्न होती है, तो यह पशुओं से मिलने वाले सामानों के उत्पादन और व्यापार में बाधा भी पैदा कर सकता है।” हर साल की तरह इस साल भी विश्व भर में ज़ूनोसिस दिवस 6 जुलाई को मनाया जाएगा। आइये जानते हैं इसदिन का क्या है इतिहास साथ ही जानेगें क्या है महत्व है।

विश्व ज़ूनोसिस दिवस का क्या है इतिहास ?

फ्रेंच केमिस्ट और माइक्रोबायोलॉजिस्ट लुई पाश्चर ने 6 जुलाई, 1885 को रेबीज वायरस के खिलाफ पहले टीकाकरण की खोज की थी। रेबीज वायरस भी एक ज़ूनोटिक बीमारी है और यह भी प्रजातियों के संपर्क में आने से फैलने के लिए जानी जाती है। चाहे ये वेक्टर जनित हों या भोजन जनित, ज़ूनोटिक रोग जानवरों और मनुष्यों के बीच अनियंत्रिता से फैलनी वाली वैश्विक बीमारी हैं।

विश्व ज़ूनोसिस दिवस का क्या है? महत्व

ज़ूनोटिक बीमारियां फैलने के कई कारणो में से एक कारण मच्छर का काटना भी है। WHO द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार “ज़ूनोज़ में सभी नए पहचाने गए संक्रामक रोगों के साथ-साथ कई पहले से मौजूद संक्रामक रोगों का भी एक बड़ा प्रतिशत इसमें शामिल है,

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इसका एक बहुत अच्छा उदाहरण HIV। इसकी शुरुआत एक ज़ूनोसिस बीमारी के रूप में होई थी , लेकिन म्यूटेट होने के बाद यह केवल ह्यूमन स्ट्रेन में बदल जाती है। इसके अलावा अन्य ज़ूनोज़ बीमारी, जैसे कि इबोला वायरस, साल्मोनेलोसिस यी फिर नोवल कोरोनवायरस (Covid ​​-19), में वैश्विक महामारी पैदा करने की क्षमता है।”

विश्व ज़ूनोज़ दिवस को मनाने का मुख्य कारण इस दिन को सेलीब्रेट करना है, जिस दिन इस बीमारियों के खिलाफ पहला टीकाकरण बनाया गया था। इसके अलावा इस दिन का मकसद लोगों को बीमारियों के बारे में अधिक जागरूक होने का आग्रह करना भी है।

जानें लुई पाश्चर कौन है ?

लुई पाश्चर एक फ्रांसीसी वैज्ञानिक थे जिन्होंने सूक्ष्म जीव विज्ञान और रसायन विज्ञान के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें रोग के रोगाणु सिद्धांत पर अपने काम के लिए जाना जाता है,पाश्चर का जन्म 1822 में डोले, फ्रांस में हुआ था, और उन्होंने पेरिस में इकोले नॉर्मले सुप्रीयर में विज्ञान का अध्ययन किया था। इन्होंने रसायन शास्त्र के प्रोफेसर के रूप में अपना करियर शुरू किया था ,और बाद में इकोले नॉर्मले सुप्रीयर में वैज्ञानिक अध्ययन के निदेशक बने। 1850 के दशक में, इन्होंने किण्वन प्रक्रिया का अध्ययन करना शुरू किया, जिससे इन्हें सूक्ष्मजीवों की खोज और यह अहसास हुआ कि वे भोजन और पेय के खराब होने में भूमिका निभाते हैं।

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