Lakhimpur Kheri: सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में आशीष मिश्रा को दी जमानत

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
Ashish Mishra

Lakhimpur Kheri Case:  सुप्रीम कोर्ट ने 2021 के लखीमपुर-खीरी (Lakhimpur Kheri) हिंसा मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को जमानत दे दी है। कोर्ट ने जमानत अर्जी मंजूर करते हुए उन्हें दिल्ली या लखनऊ में रहने का निर्देश दिया है। साथ ही, कोर्ट ने अधीनस्थ अदालत को मामले की सुनवाई में तेजी लाने और समयसीमा तय करने का निर्देश दिया है। आशीष मिश्रा को तीन कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़कने और के छह दिन बाद 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।

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लखीमपुर खीरी हिंसा की पृष्ठभूमि

लखीमपुर खीरी में अक्टूबर 2021 में हुई हिंसा में आठ लोगों की जान चली गई थी। यह हिंसा तब भड़की थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के दौरे का विरोध कर रहे थे। यूपी पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, चार किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया था, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे। इसके बाद गुस्साए किसानों ने एसयूवी चला रहे व्यक्ति और दो भाजपा कार्यकर्ताओं को पीट-पीट कर मार डाला था। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी।

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अंतरिम जमानत और शर्तें

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 25 जनवरी को आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) को अंतरिम जमानत दी थी। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने मामले में किसानों को भी जमानत दी और ट्रायल कोर्ट को सुनवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया। अदालत ने मिश्रा को अंतरिम जमानत देते हुए कई शर्तें लगाई थीं। आशीष मिश्रा को अपनी रिहाई के एक सप्ताह के भीतर उत्तर प्रदेश छोड़ना होगा और वह यूपी या दिल्ली/एनसीआर में नहीं रह सकते।

उन्हें अदालत को अपने स्थान के बारे में सूचित करना होगा और उनके परिवार के सदस्यों या स्वयं मिश्रा द्वारा गवाहों को प्रभावित करने के किसी भी प्रयास से उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी। अदालत ने कहा कि मिश्रा को अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा और मुकदमे की कार्यवाही में शामिल होने के अलावा वह यूपी में प्रवेश नहीं करेंगे।

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कानून व्यवस्था की स्थिति पर खड़े हुए सवाल

आशीष मिश्रा की जमानत और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद यह देखना होगा कि अधीनस्थ अदालतें कितनी तेजी से इस मामले की सुनवाई पूरी करती हैं। इस घटना ने न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक और कानूनी तौर पर भी बड़े सवाल खड़े किए हैं। किसानों और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच हुई इस हिंसा ने पूरे देश का ध्यान आकर्षित किया था और इसने कानून व्यवस्था की स्थिति पर भी सवाल खड़े किए थे। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक महत्वपूर्ण कदम है, जो न्यायिक प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता को बनाए रखने में मदद करेगा।

आशीष मिश्रा को जमानत मिलने से यह संदेश भी जाता है कि कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए भी न्याय सुनिश्चित किया जा सकता है। लेकिन, इस मामले में तेजी से सुनवाई और न्यायिक प्रक्रिया को पूरा करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है ताकि न्याय की जल्द से जल्द स्थापना हो सके। आखिरकार, यह मामला सिर्फ एक कानूनी मुद्दा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज के न्यायिक और प्रशासनिक तंत्र की विश्वसनीयता का भी परीक्षण है। हमें उम्मीद है कि सभी पक्ष मिलकर न्याय की राह पर आगे बढ़ेंगे और इस घटना से जुड़े सभी प्रश्नों का उचित समाधान पाएंगे।

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