Ladakh Army Accident: लद्दाख के लेह जिले में सोमवार सुबह एक दर्दनाक हादसा हो गया, जब सेना का काफिला दुरबुक से चोंगताश की ओर जा रहा था। इसी दौरान रास्ते में अचानक एक विशाल चट्टान टूटकर एक सैन्य वाहन पर गिर पड़ी। इस हादसे में लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह और लांस दफादार दलजीत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए।
हादसा सुबह 11:30 बजे हुआ
सेना के प्रवक्ता ने बताया कि यह हादसा सुबह करीब 11:30 बजे हुआ, जब सेना की टुकड़ी दुरबुक से चोंगताश के बीच यात्रा कर रही थी। रास्ते में अचानक पहाड़ी से एक बड़ी चट्टान खिसककर सीधे एक सैन्य गाड़ी पर गिर गई। चट्टान की चपेट में आने से वाहन बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया और उसमें सवार अधिकारी एवं जवान गंभीर रूप से घायल हो गए।
घायलों को लेह के सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया
हादसे के तुरंत बाद अन्य जवानों की मदद से घायलों को बाहर निकाला गया और लेह स्थित मिलिट्री हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। अस्पताल सूत्रों के मुताबिक, घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है और उनका प्राथमिक उपचार किया जा रहा है। हादसे में घायल हुए अधिकारियों की पहचान मेजर मयंक शुभम, मेजर अमित दीक्षित और कैप्टन गौरव के रूप में की गई है।
खराब मौसम और भूस्खलन से सेना को आती है दिक्कतें
लद्दाख जैसे पहाड़ी इलाकों में सेना को अक्सर भूस्खलन और चट्टान खिसकने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। खराब मौसम और ऊंचाई पर चलने वाले सैन्य अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों को विशेष सतर्कता बरतनी पड़ती है। यही कारण है कि सेना के लिए ये रास्ते बेहद चुनौतीपूर्ण साबित होते हैं।
मौके पर पहुंची रेस्क्यू टीम, सेना ने शुरू की जांच
हादसे के तुरंत बाद सेना की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुंची और राहत एवं बचाव कार्य शुरू किया। मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है और वाहन को घटनास्थल से हटाने की प्रक्रिया जारी है। सेना ने इस दुर्घटना के कारणों की जांच शुरू कर दी है। आशंका जताई जा रही है कि हालिया बारिश के चलते चट्टानें कमजोर हो गई थीं, जिससे यह हादसा हुआ।
लेफ्टिनेंट कर्नल भानु प्रताप सिंह और लांस दफादार दलजीत सिंह की शहादत से सेना में शोक की लहर है। दोनों जवान अपनी ड्यूटी पर तैनात थे और देश के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दे बैठे। सोशल मीडिया पर सेना और आम नागरिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है।यह घटना एक बार फिर इस बात की याद दिलाती है कि सीमावर्ती और दुर्गम क्षेत्रों में तैनात भारतीय सेना के जवान किन खतरों और कठिनाइयों का सामना करते हैं। सेना की तरफ से घायलों के इलाज और परिजनों को सूचित करने की प्रक्रिया तेज़ी से चल रही है।