Unnao News: उत्तर प्रदेश के उन्नाव (Unnao) से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। आमतौर पर हर महकमें से प्रमोशन की खबरें सुनने को मिलती हैं, लेकिन इस बार एक पुलिस अधिकारी के डिमोशन की खबर सामने आ रही है। उन्नाव के सीओ कृपा शंकर कनौजिया को डिप्टी एसपी के पद से हटाकर सिपाही बना दिया गया है।
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तीन साल पहले हुआ विवाद
कृपा शंकर कनौजिया, जो बीघापुर में प्रमोटी पीपीएस के पद पर तैनात थे, को पीएसी में सिपाही के मूल पद पर वापस भेज दिया गया है। तीन साल पहले कानपुर के एक होटल में महिला सिपाही के साथ पकड़े जाने पर मुख्यमंत्री के आदेश पर उन्हें निलंबित कर दिया गया था और निरीक्षक के पद पर पदावनत कर दिया गया था। इसके बाद उन्हें पीएसी गोरखपुर भेजा गया था। शासन ने पूरे मामले की जांच कराई। इसके बाद कृपा शंकर कनौजिया को रिवर्ट कर फिर से कांस्टेबल बनाने की सिफारिश की। एडीजी प्रशासन ने सीओ को सिपाही बनाने का आदेश जारी किया है।
लापता होने के बाद खुला राज
मिली जानकारी के अनुसार, कृपा शंकर ने 6 जुलाई 2021 को उन्नाव के एसपी से पारिवारिक वजहों से छुट्टी मांगी थी। छुट्टी मंजूर होने के बाद, वह घर जाने के बजाय कहीं और चले गए थे। इसके बाद, जब उनकी पत्नी ने उनकी खोजबीन शुरू की, तो पता चला कि वह कानपुर के एक होटल में महिला सिपाही के साथ रुके हुए थे।
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सर्विलांस से मिली जानकारी
सर्विलांस टीम ने पाया कि कृपा शंकर का मोबाइल कानपुर के एक होटल में बंद हो गया था। असल में उन्होंने कानपुर के एक होटल में चेक इन किया था। उनके साथ होटल में एक महिला सिपाही भी थी। इस दौरान सीओ ने अपने प्राइवेट और सरकारी दोनों ही मोबाइल नंबर बंद कर दिए थे। दोनों मोबाइल बंद होने पर कृपा शंकर की पत्नी ने एसपी उन्नाव से मदद मांगी। उन्नाव के एसपी ने सीओ कृपा शंकर की तलाश के लिए सर्विलांस टीम को जानकारी जुटाने का आदेश दिया। होटल की जांच करने पर पुलिस को कृपा शंकर और महिला सिपाही एक साथ मिले। सीसीटीवी कैमरे में दोनों की एंट्री कैद हो गई थी।
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राज्य सरकार की कार्रवाई
राज्य सरकार ने इस पूरे मामले की जांच कराई और दोषी पाए जाने पर कृपा शंकर कनौजिया को उनके मूल पद पर वापस भेजने का आदेश जारी किया। एडीजी प्रशासन ने सीओ कृपा शंकर को सिपाही बनाने का आदेश जारी किया है। शनिवार को उन्हें गोरखपुर की 26वीं वाहिनी में सिपाही के पद पर तैनात कर दिया गया।
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डिमोशन का असर
इस घटना के बाद, कृपा शंकर कनौजिया ने अपनी गाड़ी से बीजेपी का झंडा हटा दिया है। इस घटना ने अधिकारियों और नेताओं के बीच चल रहे टकराव को और बढ़ा दिया है। यूपी में इस तरह की घटनाएं पहले नहीं देखी गई थीं, लेकिन चुनावी हार के बाद अधिकारियों और बीजेपी नेताओं के बीच टकराव बढ़ रहा है। इस पूरे प्रकरण से उत्तर प्रदेश पुलिस में अनुशासन और आचरण के मुद्दे पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में इस मामले का क्या असर पड़ता है।