Kolkata Doctor Case: पुलिस की FIR में देरी करने पर कोर्ट ने की कड़ी निंदा, जज ने कहा- ’30 साल में ऐसा नहीं देखा’

Akanksha Dikshit
By Akanksha Dikshit
kolkata case

Kolkata Doctor Case: कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या (Kolkata Doctor Case) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए आज बंगाल सरकार और पुलिस की कार्यवाही पर तीखे सवाल उठाए। न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान सरकार और पुलिस की भूमिका पर गहरी चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि इस पूरे मामले में कई अनसुलझे सवाल हैं, जिनका जवाब राज्य सरकार और पुलिस को देना होगा।

Read more: UP By-Election: उत्तर प्रदेश भाजपा में घमासान; संघ ने संभाली कमान, उपचुनाव के लिए बनाई खास रणनीति

पुलिस की देरी पर कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई से पहले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए क्रूर बलात्कार और हत्या की जांच पर एक प्रगति रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कोलकाता पुलिस की कार्यवाही में हुई देरी को ‘बेहद परेशान करने वाला’ बताया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने सवाल उठाते हुए कहा कि “आपके राज्य द्वारा अपनाई गई पूरी प्रक्रिया ऐसी है जिसका सामना मैंने अपने 30 वर्षों के अनुभव में कभी नहीं किया।”

Read more: Tripura Landslide: त्रिपुरा में भूस्खलन और बाढ़ से मचा हाहाकार! 10 लोगों की मौत, अमित शाह ने CM साहा को हर संभव मदद का दिया अश्वासन

पोस्टमार्टम और एफआईआर पर उठे सवाल

सुप्रीम कोर्ट ने पोस्टमार्टम की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाए। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पूछा, “पोस्टमार्टम कब किया गया था?” बंगाल सरकार के वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि पोस्टमार्टम शाम 6:10 से 7:10 बजे के बीच किया गया था। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि जब यह मामला अननैचुरल डेथ का नहीं था, तो पोस्टमार्टम की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके साथ ही कोर्ट ने यूडी केस और एफआईआर के समय को लेकर भी संदेह व्यक्त किया। न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा, “यूडी केस रात 11:30 बजे दर्ज किया गया और एफआईआर 11:45 पर, क्या यह रिकॉर्ड सही है?”

Read more: Bihar News: विंध्याचल से दर्शन कर लौटते वक्त हुआ हादसा, परिवार के पांच सदस्य काल के गाल में समाए

डॉक्टरों से वापस ड्यूटी पर लौटने का आग्रह

सुप्रीम कोर्ट ने हड़ताल पर बैठे डॉक्टरों से वापस काम पर लौटने की अपील की और राज्य सरकार को भी डॉक्टरों के खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाने का आदेश दिया। कोर्ट ने डॉक्टरों के लंबे समय तक काम करने की चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “डॉक्टरों को 36 घंटे तक काम करना पड़ता है। हम उनके बारे में चिंतित हैं।” सीजेआई ने एक नेशनल टास्क फोर्स के गठन की भी घोषणा की, जो स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र से जुड़े सभी पक्षों की समस्याओं को सुनेगी और समाधान की दिशा में काम करेगी।

Read more: Byju’s की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं, कर्मचारियों की जुलाई की सैलरी अटकी, CEO ने हाथ खड़े किए

बंगाल सरकार को लगाई फटकार

बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि राज्य ने भी एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल की है। इस पर कोर्ट ने कहा कि हमने कोलकाता पुलिस से रिपोर्ट जमा करने को कहा था। पीठ ने सीबीआई और राज्य सरकार दोनों द्वारा जमा की गई स्थिति रिपोर्ट पर गौर किया और मामले की आगे की सुनवाई की प्रक्रिया तय की।

Read more: Bareilly News: पहले ले गया होटल में फिर… बकरा काटने वाली छुरी से काट डाला माशूका का गला

न्याय की उम्मीद में लोग

यह मामला केवल एक महिला डॉक्टर के साथ हुए अन्याय का नहीं, बल्कि पूरी न्यायिक प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है। सुप्रीम कोर्ट ने जिस प्रकार से राज्य सरकार और पुलिस की कार्यवाही पर सवाल उठाए हैं, वह यह दिखाता है कि न्याय व्यवस्था की निगरानी के बिना प्रशासनिक कार्यवाही में देरी हो सकती है। यह घटना पूरे देश के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि सुरक्षा और न्याय सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हमें उम्मीद है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की कड़ी निगरानी के चलते पीड़िता को न्याय मिलेगा और दोषियों को कड़ी सजा मिलेगी।

Read more: Badlapur School Sexual Assault: कोर्ट का बड़ा फैसला, आरोपी अक्षय शिंदे को 24 अगस्त तक पुलिस कस्टडी में भेजा

Share This Article
Exit mobile version