जानें रेरा खत्मा पर क्या है योगी सरकार का एक्शन ..

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By suhani
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उत्तर प्रदेश रेरा: उत्तर प्रदेश में जब से बीजेपी सरकार आई है तब से जुर्म की दुनिया का खत्मा करने के लिए कमर कंस ली बात करे जुर्म की दुनिया में जीतने भी आपराधिक मामलों से  लेकर अवैध मामलो में कड़ी करवाई करना शुरू कर दिया गया वही उत्तर प्रदेश में अवैध मकान , जमीनो पर बुलोडोजर चलाना माफियाओ पर सख्त एक्शन लेना साथ ही बढ़ते माफियाओं के हाथ पर योगी सरकार ने शिकंजा कस दिया हैं। वही बात उत्तर प्रदेश मे जुर्म के नाम में सबसे पहला नाम आजकल रेरा का नाम पहले नम्बर पर है जीसे लेकर बीजेपी सरकार कई अहम बैठको के साथ कडी करवाई करना भी शुरू कर दी है।

आपको बता दें उत्तर भारत के रियल एस्टेट हब का सबसे बड़ा शहर नोएडा इस वक्त बुरे दौर से गुजर रहा है. वही इस शहर में जितना बड़ा बिल्डर है, वह उतना ही बड़ा डिफॉल्टर है. आपको बता दें गौतमबुद्ध नगर के जिलाधिकारी मनीष वर्मा (Manish Verma IAS) ने कलेक्ट्रेट में प्रेस कॉन्फ्रेंस की ओर डिफॉल्टर बिल्डरों की लिस्ट जारी की है.

बताया जा रहा है इन बिल्डरों पर प्रॉपर्टी खरीदारों के अरबों रुपये बकाया है. डीएम ने बताया कि उनके पास उत्तर प्रदेश भू-संपदा विनियामक प्राधिकरण की ओर से जारी की गई 1,705 आरसी हैं, जिनके जरिये बिल्डरों से 503 करोड़ रुपये की वसूली करनी है. यूपी रेरा की ओर से यह आरसी मई 2018 से लगातार जारी की जा रही हैं. अब डिफॉल्टर बिल्डरों से आम आदमी का पैसा वसूल करने में किसी तरह की लापरवाही या कोताही नहीं बरती जाएगी

बिल्डरों के लिए UP RERA में नए प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन

उत्तर प्रदेश रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण या UP RERA ने प्रोजेक्ट्स के पंजीकरण संबंधी मानदंडों को कड़ा कर दिया है। अब बिल्डरों के लिए UP RERA में नए प्रोजेक्ट्स का रजिस्ट्रेशन कराना आसान नहीं होगा। प्रोजेक्ट रजिस्ट्रेशन के लिए रियल एस्टेट डेवलपर को खुद के साथ-साथ रियल एस्टेट प्रोजेक्ट में पार्टनर्स का पूरा ब्योरा देना होगा। UP RERA पूरा सत्यापन और ऑन-साइट निरीक्षण के बाद ही प्रोजेक्ट्स को मंजूरी देगा।

माना जा रहा है कि RERA के नियमों में इस बदलाव से बिल्डर्स के लिए प्रोजेक्ट पूरा करने की जिम्मेदारी से भागना मुश्किल होगा। साथ ही खरीदारों से धोखाधड़ी की संभावना भी कम होगी। वहीं अगर कोई बिल्डर प्रोजेक्ट बीच में ही छोड़ देता है तो उसके पार्टनर्स के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। इसके अलावा, ज़मीन के मालिकों तथा रियल एस्टेट डेवलपर्स के बीच मतभेद होने की स्थिति में उनके बीच हुए समझौते या करार का रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। फर्म में प्रत्येक भागीदार को पता, परिवार के सदस्यों का नाम और फोन नंबर जैसे विवरण उपलब्ध कराने होंगे

बिल्डरों की होगी संपत्ति सील

जिला प्रशासन की गठित 40 टीमों ने बिल्डर कंपनियों के दफ्तरों से लेकर घरों तक जाकर मुनादी करना शुरू कर दिया. उनके घर और दफ्तर के बाहर आरसी के नोटिस चस्पा किए जा रहे है. जो मुनादी के बाद भी रिस्पांस नहीं करेंगे. जिला प्रशासन उनकी संपत्ति सील करेगा, जब्त करने की कार्रवाई करेगा और जरूरत के अनुसार जेल भी भेजेगा. वहीं इनमें तमाम बिल्डर कंपनियों के मालिकों के दफ्तर दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव, गाजियाबाद या अन्य जिलों में है. वहां जाकर भी सरकारी टीमें कार्रवाई करेंगी. वहां के लोकल जिला प्रशासन और पुलिस की सहयोग इसके लिए लिया जाएगा. 

डीएम ने बताया कि 101 बिल्डर कंपनियों में तहसील दादरी के अंतर्गत 73 बिल्डर कंपनियां आती हैं. इसमें कई बड़े बिल्डर ग्रुपों की कंपनियां हैं. वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड से 80.55 करोड़ की आरसी वसूली जानी है. लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. से 34.57 करोड़, सुपरटेक टाउनशिप प्रोजेक्ट लि. से 33.56 करोड़, महागुन इंडिया प्रा. लि. से 19.97 करोड़, पार्श्वनाथ डेवलपर्स लि. से 13.39 करोड़, इसके अलावा भी कई बड़े ग्रुपों की कंपनियां इनमें शामिल हैं, जिनसे वसूली होगी. 

312 करोड़ की संपत्ति हुई जब्त

जिला प्रशासन ने इस तरह आरसी वसूलने के लिए पहले भी बिल्डरों पर कार्रवाई की है. वर्ष 2021 में 32 बिल्डरों की 315 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त कर चुका है. अब जिला प्रशासन ने बड़े स्तर पर वसूली के लिए अभियान चलाने का फैसला लिया है. आज से ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है. प्रशासन का लक्ष्य है कि अगले एक दो महीने में इन 503 करोड़ रुपये में से ज्यादा से ज्यादा रकम बिल्डरों से वसूला जा सके.

दादरी तहसील के पास 73 बकायेदार बिल्डर हैं, जिनके पास यूपी रेरा की 1,325 आरसी का 487 करोड़ रुपये बकाया हैं. सबसे बड़ा बकायेदार बिल्डर वेवमेगा सिटी सेंटर है, जिस पर 80 करोड़ रुपये बकाया हैं. सदर तहसील में 28 बिल्डरों की 380 आरसी हैं, जो 129 करोड़ रुपये की है. जिले के और बड़े बकायेदार बिल्डरों में लॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर, सुपरटेक, रूद्र बिल्डवेल, कॉसमॉस इन्फ्राएस्टेट, महागुन इंडिया, अजनारा, जयप्रकाश एसोसिएट्स, पार्श्वनाथ डेवलपर्स, फ्यूचर वर्ल्ड ग्रीन होम्स, सिक्का बिल्डर और वर्धमान इंफ्रा डेवलपर्स जैसे नामचीन कंपनियां शामिल हैं.

अलग अलग टीम करेगी कार्रवाई


101 बिल्डर कंपनियों में तहसील दादरी के अंतर्गत 73 बिल्डर कंपनियां आती हैं। इसमें कई बड़े बिल्डर ग्रुपों की कंपनियां हैं। वेव मेगा सिटी सेंटर प्राइवेट लिमिटेड से 80.55 करोड़ की आरसी वसूली जानी है। ल़ॉजिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्रा. लि. से 34.57 करोड़, सुपरटेक टाउनशिप प्रॉजेक्ट लि.से 33.56 करोड़, महागुन इंडिया प्रा. लि. से 19.97 करोड़, पार्श्वनाथ डवलपर्स लि. से 13.39 करोड़, इसके अलावा भी कई बड़े ग्रुपों की कंपनियां इनमें शामिल हैं, जिनसे वसूली होगी। वहीं, तहसील सदर की टीम 28 बिल्डर कंपनियों से आरसी का पैसा वसूलना है। इनमें ग्रीनवे आरिस इंफ्रा से 17.63 करोड़ की वसूली का जानी है। इम्पीरिया स्ट्रक्चर लि. से 9.41 करोड़ की वसूली की जानी है। पार्श्वनाथ डवलपर्स लि. से 4.99 करोड़, न्यूटैक प्रमोटर से 3.79 करोड़ व बाकी सबसे इससे कम की राशि वसूली जानी है।

लिस्ट में नहीं हैं एनसीएलटी में जाने वाली कंपनियां


101 बिल्डर कंपनियां हैं जो कि एनसीएलटी (नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में नहीं है। कुछ आरसी ऐसी बिल्डर कंपनियों की भी जिला प्रशासन के पास थी जो कि एनसीएलटी में चली गई हैं। उनकी आरसी जिला प्रशासन ने रेरा को वापस भेज दी है। हालांकि, कई बड़े बिल्डर ग्रुप के नाम इस लिस्ट में हैं जिनकी दूसरी कंपनियों के मामले एनसीएलटी में चल रहे हैं। इस लिस्ट में जो कंपनियां हैं उनके अधिकार अभी बिल्डरों के पास ही है इसीलिए उनके वसूली की कार्रवाई जिला प्रशासन सख्ती से करने जा रहा है।

रेरा जारी करता है आरसी

रेरा लगातार बायर्स के हक में आदेश जारी कर रहा है। कई हजार मामले ऐसे हैं जिनमें रेरा के आदेश को भी बिल्डर नहीं मान रहे हैं। ऐसे मामले में जब पीड़ित बायर फिर से रेरा के पास अपना केस लेकर जाता है और बिल्डर के खिलाफ आदेश न मानने की शिकायत करता है तो रेरा आरसी जारी कर जिला प्रशासन को वसूली के लिए भेज देता है।

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