जानें खरना पूजा के विधि विधान..

Mona Jha
By Mona Jha

Chhath Puja 2023 : आस्था का सबसे बड़ा पर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ कल से शुरू हो गया है। वही उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों में छठ पूजा को लेकर जोरदार उत्साह देखने को मिल रहा है।छठ पूजा सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि बिहार और यूपी के लोगों के लिए एक इमोशन है। जहां परिवार के सभि सदस्‍य एक जगह इक्कठा होकर छठ पूजा करते है। वहीं पूजा का आरंभ हो चुका है। आज दुसरा दिन है जिसको हम खरना (Kharna) के रुप मे मनाते है।

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आज खरना है। खरना के दिन व्रती पूरा दिन व्रत रखते हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड के खीर का प्रसाद बनाते हैं। फिर शाम को पूजा संपन्‍न होने के बाद इस गुड़ की खीर को प्रसाद के रूप व्रती ग्रहण करता है और इसे प्रसाद के रूप में घर परिवार के सदस्‍यों में बांटा जाता है। इसके बाद अगले दिन घाट पर जाने की तैयारी शुरू होती है।

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खरना का मतलब क्या है..

बता दें कि खरना से मतलब क्या है साफ और शुद्ध करना साथ ही शुद्ध खाना खाना है। इस तरह शुद्ध करने और शुद्ध खाने से मिलकर बना है – खरना के दिन बने भोजन और प्रसाद में शुद्धता का ख्‍याल रखना बहुत अहम मना जाता है। खरना के बाद से ही छठ का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।

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इस दिन क्या करते है व्रती..

आपके जानकारी के लिए बता दें कि खरना के दिन सबसे पहले सुबह उठ कर स्‍नान करके सूर्य को जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद व्रती पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत करता है, और शाम को फिर भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इसमें गुड़ से बनी खीर और रोटी का भोग लगाया जाता है। फिर यही प्रसाद व्रती ग्रहण करता है। जिसके बाद से 36 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ होता है। इसके साथ खरना कार्तिक शुक्ल पंचमी को होता है। इसी दिन खरना के भोजन के साथ-साथ छठ का प्रसाद भी बनाया जाता है। यह सब पकवान मिट्टी के चूल्‍हे में आम की लकड़ी को जलाकर बनाए जाते हैं। फिर षष्‍ठी तिथि की शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्‍य दिया जाता है। उसके बाद अगले दिन सप्‍तमी तिथि को उगते हुए सूर्य को अर्घ्‍य देने के बाद व्रती छठ पूजा का प्रसाद थेकुआ खाकर अपना व्रत खोलते हैं।

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पौराणिक कथाओं के अुसार..

छठी मैया को ब्रह्मा की मानसपुत्री और भगवान सूर्य की बहन माना गया है। छठी मैया निसंतानों को संतान प्रदान करती हैं। संतानों की लंबी आयु के लिए भी यह पूजा की जाती है। वहीं यह भी माना जाता है कि महाभारत के युद्ध के बाद अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे का वध कर दिया गया था। तब उसे बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा को षष्ठी व्रत (छठ पूजा) रखने की सलाह दी थी।

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