जानें यूपी में BJP की हार की असली वजह,समीक्षा रिपोर्ट में सामने आए ये बड़े कारण..

Mona Jha
By Mona Jha

UP Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को यूपी में मिली हार बेचैन किए हुए है।बीजेपी को इस बार के चुनाव में कई राज्यों की सीटों पर ऐसी हार का सामना करना पड़ा ,जिससे पार्टी को न ही दिन में चैन है और न ही रातों को नींद आ रही है। पार्टी को इस बार सबसे बड़ा झटका यूपी में लगा है। जहां से वो सोच भी नहीं सकते थे की उनको हार मिलेगी।

वहीं यूपी में जीत हासिल कर के सपा इस बार के चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी ।उत्तर प्रदेश में बीजेपी को मिली हार ने पार्टी के अंदर ही कई सवाल खड़े कर दिए हैं। बीजेपी की हार को लेकर समीक्षा का भी दौर शुरू हो गया है। RSS से लेकर बीजेपी की समीक्षा रिपोर्ट में कई कारण सामने आए हैं। इसमें बीजेपी की हार के कारणों का खुलासा हो पाया है।

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पार्टी की हार का कारण?

सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने कहा कि कांग्रेस-समाजवादी पार्टी गठबंधन ने बीजेपी के दलित और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक में सेंधमारी की है। जो उत्तर प्रदेश लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार का कारण है।

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बेरोजगारी और पेपर लीक भी है हार का वजह

वहीं रिपोर्ट के अनुसार, बीजेपी की हार को लेकर RSS की ओर से आयोजित एक बैठक में चर्चा की गई, जिसमें आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबोले भी शामिल हुए। उन्होंने इस बैठक में बीजेपी के चुनावी प्रदर्शन की समीक्षा की। जिस दौरान आरएसएस ने कहा कि उसका मानना ​​है कि बीजेपी की सीटों में कमी का कारण बेरोजगारी और पेपर लीक को लेकर युवाओं में बढ़ता गुस्सा है।

इसी के साथ ही संघ ने अब रोजगार जैसे मुद्दों पर काम करने और दलितों व पिछड़े वर्गों तक पहुंच बनाने का निर्णय लिया है। आरएसएस ने कहा, “यूपी में बीजेपी की हार का मुख्य कारण सपा-कांग्रेस के नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन की ओर से दलितों और पिछड़े वर्गों के वोट बैंक में सेंधमारी माना जा रहा है।”

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बीजेपी से खिसका वोट बैंक?

इस दौरान आरएसएस ने कहा, “संघ और बीजेपी का मानना ​​है कि यह वोट बैंक बिखर गया और सपा के पक्ष में चला गया। इस संदर्भ में संघ अब दलितों और पिछड़े वर्गों के बीच पैठ बढ़ाने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। अब इन समुदायों पर अधिक कार्यक्रम और अभ्यास केंद्रित किए जा रहे हैं।”

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संविधान के मुद्दे पर दलित वोट हुआ दूर

भाजपा के पक्ष में मतदान कम होने का कारण बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की अधिकारियो और जनप्रतिनिधियों से नाराजगी भी रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि तमाम कोशिशों के बाद भी ओबीसी वोट बैंक के बिखराव को रोका नहीं जा सका और दलित वोट संविधान के मुद्दे पर दूर होता गया। यह रिपोर्ट तीन चरणों मे तैयार हुई है।

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सपा ने 37 पर जीत दर्ज की

लोकसभा चुनाव के दौरान प्रदेश की कुल 80 सीटों में से सपा ने 37 पर जीत दर्ज की थी। जबकि, बीजेपी को 33 सीटें ही मिल सकी थी। वहीं, कांग्रेस को 6 सीट, रालोद को 2 सीट, आजाद समाज पार्टी और अपना दल (एस) को एक-एक सीट हासिल हुई थी। वहीं मायावती की पार्टी बसपा अपना खाता भी नहीं खोल सकी।

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