Chhath Puja 2023 Date And Time : छठ पूजा दिवाली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ पूजा का पर्व कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाता है। इसे सूर्य षष्ठी भी कहा जाता है। उत्तर प्रदेश और बिहार समेत कई राज्यों में छठ पूजा को लेकर जोरदार उत्साह देखने को मिल रहा है। छठ पूजा सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि बिहार और यूपी के लोगों के लिए एक इमोशन है। बता दें कि आज शाम सूर्यास्त के समय सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाएगा, इसके साथ छठ पर्व का यह पहला अर्घ्य होगा और अर्घ्य को देने का सही समय शाम 5 बजकर 26 मिनट है।
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इसका सेवन नहीं करना चाहिए..

बता दें कि छठ पूजा नहाय-खाय के साथ से शुरू हो जाता है।जिसके बाद दुसरा दिन खरना के रुप में मनाया जाता है जिसके बाद छठ पर्व के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद चौथे दिन यानी कल उगते सूरज को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है और इसके बाद ही व्रती महिलाएं कुछ खा पी सकती हैं।मान्यता है कि इन 36 घंटों को दौरान व्रती महिलाओं को पानी, जूस, दूध या किसी भी अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए।
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जानें डूबते हुए सूर्य का महत्व..

हिंदू परंपरा में छठ एकमात्र ऐसा पर्व है। जिसमें शाम के समय यानी डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, इसके साथ पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सांयकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ रहते हैं, इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है, और धार्मिक मान्यता है कि इस समय सूर्य की पूजा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। ज्योतिषियों के अनुसार, ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसके अलावा सेहत से जुड़ कई समस्याएं भी दूर होती हैं।
अर्घ्य देने के नियम..
- इस दिन अस्ताचलगामी सूर्य अर्घ्य देने के लिए किसी साफ लोटे में जल लेकर उसमें कच्चा दूध मिलाएं।
- इसी लोटे में लालचन्दन, लालफूल, चावल और कुश डालकर पूरे मन से सूर्य की ओर मुख करके खड़े हो जाएं।
- पानी के इस कलश को छाती के बीच थोड़ा ऊपर उठाएं और सूर्य मंत्र का जाप करें।
- अब धीरे-धीरे जल की धारा प्रवाहित कर भगवान सूर्य को अर्घ्य दें और पुष्पांजलि अर्पित करें।
- जल प्रवाहित करते समय अपनी नजर कलश की धारा वाले किनारे पर ही रखें।