UP के रण में जानिए Agra का हाल,हाथ के दम पर चलेगी साइकिल या खिलेगा कमल?

Aanchal Singh
By Aanchal Singh

Agra Loksabha Seat: लोकसभा चुनाव का समय नजदीक है और सभी दलों की नजर यूपी पर है. वजह है 543 लोकसभा सीटों में यूपी की सबसे ज्यादा 80 सीटें है. ऐसे में यूपी के राजनीतिक सियासत के बारे में हर कोई जानने को बहुत ही उत्सुक है. इसलिए ‘प्राइम टीवी’ यूपी की उन 80 लोकसभा सीटों और वहां के चुनावी समीकरणों को समझने के लिए दर्शकों को जानकारी दे रही है, जिसे हर कोई जानने के लिए बेकरार है.

बात करें अगर आगरा लोकसभा सीट की तो ये काफी ज्यादा अहम मानी जाती है. क्योंकि आगरा पर निगाहें लखनऊ और दिल्ली तक की टिकी रहती है.इस सीट पर कई उतार-चढ़ाव भी देखे गए हैं. यहां की सियासी हवाएं बदलती रहती हैं. लेकिन पिछले 3 चुनाव से लगातार बीजेपी को मौका दिया जा रहा है. यानी ये अनुमान लगाया जा सकता है कि आगरा की जनता जिसे दिल से पसंद करती है. उसे सिर-आंखों पर बिठाती है और जिसे पसंद नहीं करती. उसे हार का मुंह दिखा देती है.

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शहर की बदलती तस्वीर

आगरा लोकसभा सीट की बदलती सियासी हवा के बारें में बात करें तो साल 1991-1998 तक भाजपा का इस सीट पर कब्जा रहा. उसके बाद साल 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव सपा के राज बब्बर जीते. 2009 और 2004 में बीजेपी रामशंकर कठेरिया ने जीत दर्ज की. उसके बाद 2019 में भाजपा ने प्रत्याशी बदल दिया. राम शंकर कठेरिया की जगह SP सिंह बघेल को टिकट दे दिया. फिर क्या था बीजेपी के बघेल ने सबके चारों खाने चित कर के रख दिया.

कास्ट फैक्टर बहुत बड़ा असर

अब अगर आगरा लोकसभा सीट के कास्ट फैक्टर की बात करें, तो आगरा लोकसभा पर कास्ट फैक्टर बहुत बड़ा असर डालता है.आगरा का शहरी क्षेत्र वैश्य बाहुल्य माना जाता है.इसके साथ ही दलित वोट की संख्या भी बड़ी तादाद में है.मुस्लिम वोट भी इस लोकसभा सीट पर असर डालता है.आगरा लोकसभा सीट का जातीय समीकरण में करीब 3.15 लाख वैश्य वोटर है. अनुसूचित जाति के करीब 2 लाख 80 हजार वोटर, 2 लाख 70 हजार मुस्लिम मतदाता, 1 लाख 30 हजार बघेल वोटर है.

इस सीट पर किसको मिला फायदा?

करीब 19 लाख वोटरों वाले इस लोकसभा सीट पर को दलित और मुस्लिम वोटरों का गढ़ माना जाता है.हालांकि, दलित वोटर होने के बावजूद यहां से बसपा को कभी फायदा नहीं मिला. हां इतना जरूर है कि बीएसपी कुछ चुनाव में टक्कर देती हुई जरूर देखी गई.राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा यूपी में कुल 7 दिनों तक रुकी.इस दौरान 17 लोकसभा सीटों पर अखिलेश के राजीनामे के बाद ताजनगरी में राहुल और अखिलेश का साझा रोड शो देखा गया. कहा ये भी जा रहा है कि बीजेपी के बघेल को कड़ी फाइट देने के लिए अखिलेश यादव बघेल जाति से आने वाले कैंडिडेट को मैदान ए जंग में उतार सकते हैं.

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