जानें देवउठनी एकादशी के बारे में..

Mona Jha
By Mona Jha

Tulsi Vivah 2023- बहुत से लोग अपने घरों में तुलसीजी का पौधा लगाते है, क्योंकि उन्हें लगता है कि वह काफी ज्यादा शुभ होता है । उसे अपने घर में लगाने के साथ वह उसकी पूजा भी करते है, क्योंकि उसे अपने घर में रखने से घर कि सुख शांति बनी रहती है और घर में बरकत भी होती है। ठीक वैसे ही है तुलसी विवाह जिसका दूसरा नाम है देवउठनी एकादशी है ।वहीं घर के बड़ी बुजृर्ग महिलाओं का यह मनना है कि घर में तुलसी जी कि पूजा करने से घर के माहौल का वतावरण अच्छा होता है और उसके साथ घर में फैली दलदरिता और आशातिं जैसी चीजें घर से बहुत दूर हो जाती है।

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भगवान विष्णु का विवाह माना गया शुभ

वहीं अगर देवउठनी एकादशी के बारे में बात कि जाए तो इस एकादशी के खास मौके पर जो भी तुलसी माता और भगवान विष्णु के स्वरूप शालिग्राम जी का विवाह करवाता है, उसके परिवार में सुख शांति का निवास बना रहता हैं। आपको बता दें कि जो हमारा : सनातन धर्म है उसमें तुलसी के पौधे का काफी ज्यादा महत्व है, वहीं कार्तिक माह में होने वाली इस एकादशी को देवउठनी और प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। , क्योंकि ऐसा मना जाता है की देवउठनी एकादशी के इस दिन पर तुलसी कि महत्वता भी काफी ज्यादा बढ़ जाती हैं फिर इसके दूसरे दिन मतलब यानी द्वादशी तिथि पर तुलसी जी और शालिग्राम का विवाह करवाया जाता है जिसे काफी शुभ माना जाता है।

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शुभ मुहूर्त..

अब हम बात करेगें तुलसी विवाह के मुहूर्त के बारे में कि मुहूर्त कब से कब तक है सबसे पहले तो जो कार्तिक माह की द्वादशी तिथि है उसका समय है तारिख 23 नवंबर रात 09 बजकर 01 मिनट और बात करे इसके समापन कि तो समापन का समय है तारिख 24 नवंबर शाम 07 बजकर 06 मिनट पर वहीं तुलसी और शालिग्राम के विवाह के लिए 24 नवंबर का दिन शुभ मना जाएगा और इस दिन प्रदोश काल भी लगने वाला है तो देर ना करते हुए आपको उसका भी समय बता देते हैं तो प्रदोश काल का समय है शाम 05 बजकर 25 मिनट से 06 बजकर 04 मिनट तक।

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जानें पूजा विधि

  • कोशिश करे कि तुलसी विवाह कि पूजा के दिन आप जल्द उठकर स्नान कर ले ।
  • फिर जो पूजा का स्थान है उस पर अच्छे से गंगाजल को छिड़क दे जिससे उस जगह का पूरी तरह से शुद्धीकरण हो जाए ।
  • उसके बाद दो लकड़ी की चौकी ले और उस पर लाल रंग का आसान बिछा दे फिर एक कलश ले उसमें गंगा जल भर ले उसमें आम के 5 पत्ते डालें दे और फिर उसे पूजा के आसन पर रख दे।
  • फिर दूसरे आसन पर तुलसी के पौधे को रख दे फिर शालिग्राम को वहा पर स्थापित कर दे।
  • तुलसी जी का जो गमला है उस पर गेरू लगाएं और उसके पास घी का एक दीपक जला दें ।
  • इसके बाद तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल को छिड़क दे फिर उस पर रोली या चंदन से टीका लगाएं ।
  • जो तुलसी का पौधा आपके पास है उस पर गन्नो कि मदद से एक मंडप बना ले फिर तुलसी माता का शृंगार करें और उन्हें लाल चुनरी पहनाएं।
  • शालिग्राम जी कि जो चौकी है उसे अपने हाथों पर लेकर तुलसी जी की 7 बार परिक्मा करें।
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