Acharya Kishor Kunal : पटना के महावीर मंदिर न्यास के सचिव, समाजसेवी और पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का निधन हो गया। वह 74 वर्ष के थे और शनिवार को पटना के महावीर वात्सल्य अस्पताल में दिल का दौरा पड़ने के बाद उनका निधन हुआ। उनके निधन से पूरे समाज और धार्मिक क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई है, क्योंकि उन्होंने अपनी ज़िन्दगी को समाज सेवा, धार्मिक कार्यों और मंदिर के विकास में समर्पित किया था।
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हार्ट अटैक के बाद अस्पताल में हुआ निधन

आचार्य किशोर कुणाल को दिल का दौरा पड़ने के बाद तुरंत महावीर वात्सल्य अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनकी हालत नाजुक होने के कारण उनका निधन हो गया। उनके निधन से न केवल उनके परिवार, बल्कि उनके अनुयायियों, समाजसेवियों और धार्मिक समुदाय में भी गहरा शोक छा गया है। आचार्य कुणाल ने महावीर मंदिर न्यास के संचालन में अहम भूमिका निभाई थी, और उनके योगदान के कारण ही यह मंदिर आज एक प्रतिष्ठित धार्मिक स्थल के रूप में उभरा है।
समाज और धार्मिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान

पूर्व आईपीएस अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल का जीवन समाज सेवा और धार्मिक कार्यों से जुड़ा हुआ था। वे बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के अध्यक्ष और पटना महावीर मंदिर न्यास के सचिव के रूप में सक्रिय रूप से कार्य कर रहे थे। उनके प्रयासों ने महावीर मंदिर न्यास को और अधिक सशक्त और प्रभावशाली बनाया। इसके अलावा, आचार्य कुणाल अयोध्या मंदिर ट्रस्ट के संस्थापकों में भी शामिल थे और बाबरी मस्जिद विवाद के समाधान में उन्होंने मध्यस्थता की भूमिका निभाई थी, जिसे उनके जीवन के एक अहम मोड़ के रूप में देखा जाता है।
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जीवन की शुरुआत और शिक्षा
आचार्य किशोर कुणाल का जन्म 10 अगस्त 1950 को बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के बरुराज गांव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही प्राप्त की और फिर पटना विश्वविद्यालय से इतिहास और संस्कृत में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 1983 में मास्टर डिग्री भी हासिल की।

इसके बाद उनका झुकाव पुलिस सेवा की ओर हुआ और वे भारतीय पुलिस सेवा (IPS) से जुड़ गए। अपनी सेवाओं के दौरान उन्होंने कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।
परिवारिक संबंध
किशोर कुणाल का परिवार भी महत्वपूर्ण था, क्योंकि वे बिहार सरकार के मंत्री अशोक चौधरी के समधि थे। अशोक चौधरी की बेटी शांभवी की शादी आचार्य कुणाल के बेटे से हुई थी। आचार्य कुणाल का जीवन सामाजिक और धार्मिक कार्यों से भरा हुआ था, और उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

उनके निधन से समाज और धार्मिक क्षेत्र में जो रिक्तता आई है, उसे भरना बहुत मुश्किल होगा। उनके द्वारा किए गए कार्यों का असर लंबे समय तक लोगों पर रहेगा, और उनका नाम हमेशा समाज सेवा और धार्मिक कार्यों के क्षेत्र में आदर्श के रूप में लिया जाएगा।